देशभर में संसदीय सचिव बनाना वैध तो दिल्ली में क्यों नहीं: आप
दिल्ली सरकार के संसदीय सचिव बिल को राष्ट्रपति से मंजूरी न मिलने पर सत्तारूढ़ आप ने मंगलवार को केंद्र की मोदी सरकार पर निशाना साधा। आप ने सवाल किया कि पंजाब, राजस्थान, कर्नाटक, गुजरात और अरूणाचल...
दिल्ली सरकार के संसदीय सचिव बिल को राष्ट्रपति से मंजूरी न मिलने पर सत्तारूढ़ आप ने मंगलवार को केंद्र की मोदी सरकार पर निशाना साधा। आप ने सवाल किया कि पंजाब, राजस्थान, कर्नाटक, गुजरात और अरूणाचल प्रदेश में संसदीय सचिव वैध हैं तो दिल्ली में क्यों नहीं?
आप नेता संजय सिंह ने यहां एक प्रेस कांफ्रेंस में कहा कि मोदी जी दिल्ली में हार को पचा नहीं पा रहे हैं। केंद्र सरकार केजरीवाल सरकार के मामलों में अड़ंगा डाल रही है। उन्होंने कहा कि मोदी जी को केजरीवाल सरकार को काम करने देना चाहिए।
उन्होंने केंद्र सरकार से सवाल किया कि दिल्ली के साथ सौतेला व्यवहार क्यों किया जा रहा है? आखिर सीएम अरविंद केजरीवाल से इतनी नफरत क्यों है?
आप नेता आशुतोष ने कहा कि पंजाब में ड्रग्स मोदी जी के लिए चिंता का विषय नहीं है। देश में दाल के दाम बढ़े तो इसकी चिंता उनको नहीं है। उनको सिर्फ केजरीवाल की चिंता है।
उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार केजरीवाल सरकार को परेशान करने की साजिश कर रही है।
Parliamentary Secretaries in Punjab,Rajasthan,Karnataka,Gujarat,Arunachal Pradesh are legal but not in Delhi?: AAP
— ANI (@ANI_news) June 14, 2016
इससे पूर्व भाजपा ने आज सुबह आप पर निशाना साधा था। भाजपा नेता संबित पात्रा ने कहा कि यह आप की 'उड़ती' महत्वाकांक्षा के क्रैश लैंडिंग का उत्कृष्ट मामला है।
गौरतलब है कि राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने केजरीवाल सरकार द्वारा मंत्रियों के संसदीय सचिव बनाने के लिए दिल्ली विधानसभा सदस्यता संशोधन अधिनियम 2015 को मंजूरी नहीं दी है। इसका सीधा असर आप के उन 21 विधायकों की सदस्यता पर पड़ेगा, जिन्हें मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने मार्च 2015 में मंत्रियों का संसदीय सचिव नियुक्त किया था।
इन्हें लाभ के पद से बाहर रखने के लिए केजरीवाल सरकार ने पिछले साल ही विधानसभा से पारित कर दिया था। जिसे उपराज्यपाल नजीब जंग ने राष्ट्रपति की मंजूरी के लिए भेज दिया था। सूत्रों के मुताबिक राष्ट्रपति ने पिछले सप्ताह अधिनियम की धारा 3 में मुख्यमंत्री के संसदीय सचिव के साथ "और मंत्रियों" शब्द जोड़े थे।