तेजी से हो रही है साइबर अपराधों में बढो़त्तरी, पढ़ें बचने के उपाए
देश में हर साल हजारों लोग साइबर ठगी का शिकार होते हैं। किसी के एटीएम कार्ड की क्लोनिंग कर पैसे निकाल लिए जाते हैं तो किसी खातों से ऑनलाइन पैसे निकल जाते हैं। लेकिन यह जानकर हैरानी होगी कि पिछले
देश में हर साल हजारों लोग साइबर ठगी का शिकार होते हैं। किसी के एटीएम कार्ड की क्लोनिंग कर पैसे निकाल लिए जाते हैं तो किसी खातों से ऑनलाइन पैसे निकल जाते हैं। लेकिन यह जानकर हैरानी होगी कि पिछले कुछ सालों में साइबर क्राइम के मामलों में 40 फीसदी से ज्यादा का इजाफा हुआ है।
नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो की रिपोर्ट के अनुसार, 2014 में 7021 मामले आईटी एक्ट तहत दर्ज किए गए जबकि साइबर क्राइम के करीब ढाई हजार मामले आईपीसी के तहत दर्ज हुए। जबकि 2013 में साइबर क्राइम के मामलों की संख्या 4356 जो आईटी एक्ट के तहत दर्ज हुए थे। वहीं 2012 में साइबर क्राइम के 2876 मामले सामने आए थे। इन आंकडो़ं से साफ हो रहा है कि हर साल साइबर मामलों में डेढ़ गुना से ज्यादा की बढो़त्तरी हो रही है।
साइबर अपराधों में एटीएम फ्रॉड, ऑनलाइन फ्रॉड, लॉटरी फ्रॉड, कम्यूटर या इलेक्ट्रॉनिक मशीन से छेड़छाड़ कर सूचनाएं लेना या किसी की गुप्त या निजी सूचना को ऑनलाइन लीक करना आदि आते हैं। आंकडो़ं के अनुसार फ्रॉड के मामलों में सबसे ज्यादा बढ़ोत्तरी हुई है। ऐसे में लोगों को साइबर अपराधों का शिकार होने से खुद को बचाना एक बड़ी चुनौती बन गया है।
साइबर क्राइम ताजा घटना में नोएडा में ठगों ने एक इलेक्ट्रानिक इंजीनियर का एटीएम कार्ड की क्लोनिंग कर खाते से 1.50 लाख रुपये निकाल लिए। इंजीनियर का कार्ड आरोपियों के ही पास था। कार्ड से पैसे निकाले जाने के बाद पीडि़त के मोबाइल में मैसेज आने लगे जिसके बाद उन्होंने तुरंत अपना डेबिट कार्ड बंद करा दिया।
घटना 4 जुलाई की है। तीन माह बाद एसपी सिटी से शिकायत पर सेक्टर-20 थाना पुलिस ने मामले की एफआईआर दर्ज की। अमृतसर पंजाब के रहने वाले गौरव सेक्टर-19 सी-ब्लाक में रहते हैं। वह सेक्टर-16 की एक कंपनी में इलेक्ट्रानिक इंजीनियर हैं। उनका खाते सेक्टर-16 की एक बैंक में है। उन्होंने बताया कि 4 जुलाई को उनके खाते से 7 बार में 1.50 लाख रुपये निकल गए। जबकि उनका डेबिट कार्ड उन्हीं के पास था। बताया कि एक लाख रुपये एटीएम से निकाले गए और 50 हजार रुपये एक खाते में भेजे गए। उन्होंने मामले की लिखित शिकायत सेक्टर-20 थाने में दी थी। उन्होंने बताया कि बीते मंगलवार को वह मामले के बारे में जानकारी लेने थाने में पहुंचे तो पता चला कि उनकी एफआईआर ही नहीं दर्ज है। उन्होंने एफआईआर दर्ज करने की बात कही तो मना कर दिया गया। वह मामले कि शिकायत एसपी सिटी दिनेश यादव से करने पहुंचे। एसपी सिटी के आदेश पर सेक्टर-20 थाना पुलिस ने मामला दर्ज किया। अगली स्लाइड में पढ़ें कैसे होती है कार्ड क्लोनिंग और सावधानियां-
तेजी से हो रही है साइबर अपराधों में बढो़त्तरी, पढ़ें बचने के उपाए
ऐसे करते हैं कार्ड क्लोनिंग-
साइबर सिक्योरिटी एक्सपर्ट अनुज अग्रवाल ने बताया कि साइबर ठग एटीएम मशीन में डेटा स्किमिंग मसीन लगा देते हैं। जैसे ही लोग एटीएम मसीन में अपना डेबिट कार्ड डालते हैं, कार्ड नंबर व अन्य जानकारी स्किमिंग मसीन में आ जाती है। वहीं ठग एटीएम में लगी बटन को फोकस करते हुए एक कैमरा लगा देते हैं। जब लोग डेबिट कार्ड का पिन नंबर डालते हैं तो कैमरे में नंबर कैद हो जाता है। बाद में ठग प्लास्टिक का कार्ड खरीदकर डेटा को उस कार्ड में डालकर दूसरा डेबिट कार्ड बना लेते हैं और खाते से खरीदारी कर लेते हैं। जिस एटीएम पर गार्ड नहीं होते हैं। वहां ठग आसानी से मशीन लगा देते हैं। कई बार साइबर ठग तैनात गार्ड से खुद को मेंटिनेंस कंपनी का बताकर मशीन लगा देते हैं। लेकिन इन बातों की जानकारी के साथ ही अगर आप कुछ सावधानियां अपनाएं तो एटीएम में ठगी का शिकार होने से बच सकते हैं।
सावधानियां-
- एटीएम मशीन में पिन नंबर डालते समय दूसरा हाथ ऊपर से लगा लें।
- जिस एटीएम मशीन पर सिक्योरिटी गार्ड न हो उनसे पैसे निकालने से बचें।
- ऑनलाइन शॉपिंग करते समय एटीएम की डिटेल सेव मत करें।
- अपने खाते से पैसे निकालने की सीमा कम रखें।
- एसएमएस अलर्ट जरूर लगाकर रखें।
- सोशल साइट पर किसी से डेबिट कार्ड की डिटेल्स न साझा करें।
2 / 2
तेजी से हो रही है साइबर अपराधों में बढो़त्तरी, पढ़ें बचने के उपाए