मुलायम की बैठक से पहले हंगामा, भिड़े अखिलेश-शिवपाल समर्थक
सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव अपने चालीस साल से ज्यादा लंबे सियासी सफर की अब तक सबसे बड़ी चुनौती से जूझ रहे हैं। अब उनके पार्टी के विधायकों को साथ रखने की मशक्कत करनी पड़ रही है। मुख्यमंत्री बेटे अखिलेश...
सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव अपने चालीस साल से ज्यादा लंबे सियासी सफर की अब तक सबसे बड़ी चुनौती से जूझ रहे हैं। अब उनके पार्टी के विधायकों को साथ रखने की मशक्कत करनी पड़ रही है। मुख्यमंत्री बेटे अखिलेश यादव ने रविवार को अपनी ताकत दिखा दी। अब मुलायम आज अपने विधायकों के साथ बैठक कर बड़े सियासी फैसले का ऐलान कर सकते हैं। माना जा रहा है कि मुलायम को सपा विधानमंडल दल का नेता चुने जाने की पहल भी हो सकती है।
रविवार को अखिलेश यादव की बैठक के बाद आज मुलायम सिंह यादव ने अहम बैठक बुलाई है। बताया जा रहा है कि वे अपने विधायकों के साथ बैठक कर बड़े सियासी फैसले का ऐलान कर सकते हैं। इस बैठक से पहले ही वहां अखिलेश और शिवपाल समर्थक आपस में भिड़ गए। फिलहाल मौके पर मौजूद पुलिस बल स्थित नियंत्रण करने की कोशिश में जुटी है।
मुलायम ने तैयार की व्यूह रचना
अखिलेश द्वारा चार मंत्रियों को बर्खास्त करने, अमर सिंह व गायत्री को निशाने पर लेने के बाद रविवार को जब हालात बेकाबू हो गए तो मुलायम को अपने चचेरे भाई राम गोपाल को ही पार्टी से निकालने का फैसला लेना पड़ा। यही वही रामगोपाल हैं जिसे कुछ रोज पहले ही मुलायम ने पार्टी में नंबर दो पर बताया था।
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शाम को मुलायम सिंह ने मंत्री पद गवाने वाले व अपने छोटे भाई शिवपाल यादव को अपने आवास पर बुलाया और उनसे अखिलेश की बैठक में आने वाले विधायकों पर चर्चा की और भरोसा दिलाया कि सभी विधायक सोमवार को पार्टी दफ्तर में रहेंगे। उन्होने दिनभर चले घटनाक्रम व अखिलेश यादव के फैसलों से उपजे हालात पर चर्चा की। इसके बाद मुलायम ने शिवपाल, नारद राय, ओम प्रकाश सिंह, शादाब फातिमा, अम्बिका चौधरी व आशुमलिक मौजूद थे। इसके बाद उन्होंने रजत जयंती समारोह की तैयारियों के सिलसिले में गायत्री से लंबी चर्चा की।
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सुबह भी मुलायम ने की लंबी चर्चा
इससे पहले रविवार सुबह मुलायम सिंह यादव ने बेनी प्रसाद वर्मा, किरनमय नंदा, रेवती रमण सिंह व नरेश अग्रवाल के साथ चर्चा की। मुलायम ने कहा था कि डेढ साल हो गया, लेकिन इस बीच अखिलेश ने कभी उनसे गंभीर विषयों पर चर्चा नहीं की। मुलायम ने कहा कि पार्टी को उन्होंने खून-पसीने से सींचा। इसके लिए हमने क्या-क्या नहीं किया, लेकिन आज उसी पार्टी को बचाने के लिए जूझ रहे हैं।