मंगलयान ने दिए मंगल पर पानी होने के सबूत
मंगलयान का मंगल ग्रह की कक्षा में प्रवेश करने के बाद पहली बार भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने वहां पानी होने का दावा किया है। इसरो के अध्यक्ष ए.एस. किरण कुमार ने कहा कि मंगलयान को लाल ग्रह...
मंगलयान का मंगल ग्रह की कक्षा में प्रवेश करने के बाद पहली बार भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने वहां पानी होने का दावा किया है। इसरो के अध्यक्ष ए.एस. किरण कुमार ने कहा कि मंगलयान को लाल ग्रह पर ऐसे प्रमाण मिले हैं जिनसे पता चलता है कि पूर्व में वहां पानी था। इससे पहले नासा के वैज्ञानिकों ने पिछले साल सितंबर में कहा था कि मंगल पर आज भी पानी मौजूद है। वैज्ञानिक वहां जीवन की संभावनाओं का विकल्प तलाशने में जुटे हैं।
तस्वीरों से निकाला निष्कर्ष
इसरो अध्यक्ष के मुताबिक यह निष्कर्ष 24 सितंबर 2014 से 23 सितंबर 2015 के बीच मार्स कलर कैमरा (एमसीसी) द्वारा भेजे सैकड़ों उच्च गुणवत्ता वाली तस्वीरों से निकाला गया। उन्होने कहा कि इन तस्वीरों से पता चलता है कि मंगल पर इतिहास में पानी था। उन्होंने बताया कि दो साल बाद भी मंगलयान के सभी उपकरण अच्छी तरह काम कर रहे हैं और मंगलयान मंगल की सतह और उसके वातावरण के बारे में महत्वपूर्ण जानकारियां भेज रहा है।
डेढ़ किमी मोटी धूल की परत
डॉ. कुमार ने यह भी बताया कि मंगल के अधिक ऊंचाई वाले स्थानों और घाटियों का अध्ययन करने पर पता चला है कि वहां धूल की परत की औसत ऊंचाई डेढ़ किमी है। मंगलयान से प्राप्त तस्वीरों व खनिजीय आंकड़ों का जब नासा के कॉम्पैक्ट रिजोनेंस इमेर्जिंनग स्पेक्ट्रोमीटर द्वारा भेजे गए आंकड़ों के साथ संयुक्त रूप से अध्ययन किया गया तब वैज्ञानिकों को मंगल की सतह पर उपलब्ध सल्फर और लौहे के यौगिकों की पहचान में मदद मिली।