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हो जाएं सावधान! अगर गलत जानकारी दी तो जा सकती है नौकरी

नौकरी के लिए गलत जानकारी देने वाले कर्मचारी को नियोक्ता बर्खास्त कर सकता है। सुप्रीम कोर्ट ने यह व्यवस्था सत्यापन फार्म में आपराधिक मामलों के लंबन, दंडित होने, बरी होने के बारे सूचनाएं छिपाने के...

हो जाएं सावधान! अगर गलत जानकारी दी तो जा सकती है नौकरी
लाइव हिन्दुस्तान टीमSun, 24 Jul 2016 02:12 PM
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नौकरी के लिए गलत जानकारी देने वाले कर्मचारी को नियोक्ता बर्खास्त कर सकता है। सुप्रीम कोर्ट ने यह व्यवस्था सत्यापन फार्म में आपराधिक मामलों के लंबन, दंडित होने, बरी होने के बारे सूचनाएं छिपाने के संदर्भ में दी है। हालांकि, वे सूचनाएं जो मांगी ही नहीं गई हों, पर बाद में वह नौकरी के मामले में प्रासंगिक पाई जाएं, तो उन्हें छिपाने पर नियोक्ता कार्रवाई नहीं कर सकता।

बड़ी पीठ का फैसला

कोर्ट ने यह आदेश सत्यापन फार्म में आपराधिक मामलों की सूचनाएं छिपाने तथा उनके झूठा पाए जाने पर की जाने वाली कार्रवाई पर विस्तृत दिशानिर्देश जारी करते हुए दिया है। जस्टिस रंजन गोगोई, जस्टिस अरुण मिश्रा और जस्टिस पीसी पंत की बेंच ने ये निर्देश ऐसे मामलों में सर्वोच्च अदालत की बेंचों के अलग-अलग फैसलों के मद्देनजर गत शुक्रवार को दिए। इनके आधार पर अदालतों कों निश्चित फैसला लेने में मदद मिलेगी।

जितना बड़ा पद उतने सख्त मानक

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि बड़े पद के लिए सख्त मानक अपनाने चाहिए खासकर वर्दी वाली सेवा में। छोटे पदों के लिए, सेवा की प्रकृति को देखते हुए सूचनाएं छिपाने को गंभीर नहीं माना जाएगा।

नारेबाजी अपराध नहीं

युवावस्था में लोग राजनैतिक नारेबाजी और धरना-प्रदर्शनों में जाते हैं। इस दौरान उन पर केस दर्ज हो जाते हैं। उचित मामलों में सुधरने का मौका देना चाहिए।

झूठी सूचना पर नियोक्ता नौकरी रद्द करते हुए उन परिस्थितियों का भी ध्यान रखे जो सूचना देते समय सामने आईं थी।
- सुप्रीम कोर्ट

सर्वोच्च न्यायालय की व्यवस्था
(ऐसे मामले जहां नौकरी का फार्म भरते के समय उम्मीदवार का दंडित / बरी होना पहले ही चुका है)

- सूचनाएं छिपाने या झूठी सूचना दी इसे निश्चित करने को सत्यापन फार्म का स्पष्ट होना जरूरी
- जो सूचना मांगी नहीं गई है यदि वह बाद में सामने आती है तो ऐसे मामलों में नियोक्ता सूचना छिपाने के आरोप में कार्रवाई नहीं कर सकता
- चरित्र सत्यापन में मामूली आपराधिक केस के लंबित होने का जिक्र होने पर कर्मचारी को रखा जा सकता है

तीन अहम निर्देश
- जहां अपराध बड़ा है और उसमें दंड दिया जा चुका है तो नियोक्ता सेवा समाप्त कर सकता है
- ऐसे केस जिसमें कर्मचारी ने समाप्त हो गए आपराधिक मुकदमे की सही जानकारी दी है नियोक्ता उसके पूर्व के इतिहास को देखने के बाद उसे नौकरी में रखने के लिए बाध्य नहीं है
- अनेक केसों के लंबित रहने की जानकारी को छिपाना गंभीर है और नियोक्ता इस मामले में नियुक्ति रद्द करने की कार्रवाई कर सकता है

फैसले जो नजीर बने
केस-1   
एक छात्र जो मारपीट के केस में फंसा था उस वक्त वह 20 वर्ष का था कोर्ट ने कहा कि यह गंभीर मामला नही है इसमें उदार रुख लेना चाहिए उसे सेवा में पक्का कर दिया।

केस-2    
संघ का सदस्य होने की पुलिस की रिपोर्ट के बाद युवक को शिक्षक के पद पर नहीं रखा। कोर्ट ने कहा कि संस्था का सदस्य होना गुनाह नहीं है। आपराधिक मामला नहीं है तो वह उपयुक्त है।

केस-3  
अनुशासित बल में ऐसे व्यक्ति को नहीं रखा जा सकता जो गैरइरादतन हत्या में शामिल हो चाहे वह बरी ही क्यों न हो गया हो। सिपाही भर्ती निरस्त की।

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