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Hindi NewsIS की आड़ में ISI भारत में अपने मंसूबों को दे सकता है अंजाम 

IS की आड़ में ISI भारत में अपने मंसूबों को दे सकता है अंजाम 

अफगानिस्तान में आंतकवादी संगठन इस्लामिक स्टेट (आईएस) के मजबूती से पैर जमा लेने की स्थिति में पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई उसकी आड़ लेकर भारत में अपने नापाक मंसूबों को अंजाम दे सकती है। 

एजेंसीSat, 18 Feb 2017 04:37 PM

अफगानिस्तान में आंतकवादी संगठन इस्लामिक स्टेट (आईएस) के मजबूती से पैर जमा लेने की स्थिति में पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई उसकी आड़ लेकर भारत में अपने नापाक मंसूबों को अंजाम दे सकती है। 

एक उच्च पदस्थ सूत्र ने कहा कि भारत को आईएसआईएस से भले ही सीधा खतरा नहीं है लेकिन अफगानिस्तान में इसके पैर मजबूत होते हैं तो इसकी आड़ में आईएसआई भारत में अपनी हरकतें कर सकती है और दक्षिण एशिया में इस्लामिक स्टेट के फैलने का वह फायदा उठाएगी। 

सूत्रों के अनुसार अभी भारत के अल्पसंख्यक वर्ग के बहुत थोड़े से लड़के आईएस के दुष्प्रचार से प्रभावित हुए हैं। भारतीय मुस्लिम युवाओं को कट्टरपंथी विचारधारा की तरफ आकर्षित करने के इन आतंकवादी समूहों के प्रयास असफल ही हुए हैं। इसलिए इस बात की संभावना बहुत कम है कि आईएस भारत में अपने कदम रख सकता है लेकिन बड़ी चिंता यह है कि आईएस के नाम पर आईएसआई भारत में अपनी हरकतें कर सकती है। 

खुफिया सूत्रों के अनुसार वास्तविक रूप में भारत में अभी तक आईएस कदम नहीं रख पाया है लेकिन पश्चिम एशिया और उसके पड़ोसी देशों में इन ताकतों से बढ़ते खतरे को देखते हुए सरकार ने सूफीवाद जैसे इस्लाम के अधिक उदारवादी रूप को बढ़ावा देने की तरफ ध्यान देना शुरू किया है। इसके तहत भारत ने पिछले साल विश्व सूफी सम्मेलन का आयोजन किया, जिसका पीएम नरेन्द्र मोदी ने उद्घाटन किया था। इस सम्मेलन की अवधारणा और आयोजन उस टीम के बहुत वरिष्ठ सदस्यों ने किया, जो आतंकवाद रोधी रणनीतियां बनाने के लिए उच्च स्तर पर कार्य करते हैं। इस टीम को पश्चिम एशियाई देशों के साथ आतंकवाद रोधी सहयोग के लिए सम्पर्क बढ़ाने का काम सौंपा गया है। 

कराची में गुरुवार को सूफी संत शाहबाज कलंदर की दरगाह पर हुए विस्फोट से एक बार फिर महसूस किया गया कि सूफियों द्वारा प्रतिपादित इस्लाम के इस उदारवादी रूप को इस्लामिक स्टेट से खतरा है। ये ताकतें भारतीय मुसलमानों पर अपनी नजरें जमाये हैं। भारत में लगभग 18 करोड़ मुसलमान हैं, जो विश्व की मुस्लिम आबादी का 11 प्रतिशत है। इंडोनेशिया और पाकिस्तान को छोड़ दिया जाए तो भारत में मुसलमानों की संख्या विश्व में सबसे ज्यादा है।

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'केरल में प्राफेसर का हाथ काटा, यह घटना खतरे की घंटी'      
सोसायटी फॉर पालिसी स्टडीज के निदेशक सी उदय भास्कर ने कहा, 'अभी तक भारत में आईएस की सक्रियता का कोई प्रमाण भले ही नहीं मिला है लेकिन कुछ साल पहले केरल में एक घटना हुई थी, जिसमें उग्रवादियों ने एक प्रोफेसर के हाथ काट दिए। इस तरह की घटना हमारे लिए खतरे की घंटी हैं। राज्य और सिविल सोसाइटी दोनों की परवाह नहीं की गयी।'

उन्होंने कहा कि उग्रवादी इस्लाम की उदारतावादी और सहिष्णुता की व्याख्या और आचरण के खिलाफ हैं, जिसका सूफी प्रतिनिधित्व करते हैं। इसीलिए उन्होंने शाहबाज कलंदर की दरगाह को निशाना बनाया है। यह पाकिस्तान की ऐसी दरगाह है, जिसमें महिलाएं भी जाती हैं और उनमें से कुछ धमाल में भी भाग लेती हैं।

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'आतंकवाद से निपटने के लिए अगले 50 साल की योजना बनाने की जरूरत' 
प्रमुख मुस्लिम बुद्धिजीवी डॉ जफर महमूद ने कहा कि मुस्लिम विद्वानों का विचार है कि इस्लाम की चरमपंथी विकृति से मुस्लिम युवकों को बचाने का सबसे अच्छा तरीका है कि शिक्षा, रोजगार और निर्णय में उनकी भागीदारी बढ़ाकर उन्हें मुख्य धारा में लाया जाए लेकिन यदि कोई राष्ट्र विरोधी हरकतों में शामिल होता है तो उसके लिए ऐसी सजा होनी चाहिए, जो सबके लिए सबक हो पर यह भी देखा जाना चाहिए कि बेगुनाह युवकों को परेशान या दंडित नहीं किया जाए। 

उन्होंने कहा, 'यदि आतंकवाद से निपटना है तो आपको अगले 50 साल के लिए योजना बनानी चाहिए और पिछले 50 साल के दौरान विश्व में हुई घटनाओं का अध्ययन भी करना चाहिए ताकि लोग जान सकें कि वे कौन सी ताकतें हैं, जिनकी वजह से यह स्थिति पैदा हुई।'

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