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पीएम मोदी ने कहा, खून-पानी साथ नहीं बह सकते

उरी हमले के बाद पाकिस्तान के खिलाफ कार्रवाई के लिए लगातार बढ़ रहे दबाव के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को सिंधु जल समझौते के फायदे नुकसान की समीक्षा की। सरकार के सूत्रों के मुताबिक, बैठक...

पीएम मोदी ने कहा, खून-पानी साथ नहीं बह सकते
लाइव हिन्दुस्तान टीमMon, 26 Sep 2016 09:16 PM
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उरी हमले के बाद पाकिस्तान के खिलाफ कार्रवाई के लिए लगातार बढ़ रहे दबाव के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को सिंधु जल समझौते के फायदे नुकसान की समीक्षा की। सरकार के सूत्रों के मुताबिक, बैठक में पीएम ने कड़ा रुख अपनाते हुए कहा कि खून और पानी साथ-साथ नहीं बह सकता और भारत झेलम समेत संधि के तहत आने वाली अन्य नदियों के जल का अधिकतम इस्तेमाल करेगा। सरकार ने समझौता रद्द करने का फैसला नहीं लिया गया लेकिन उरी हमले से नाराज मोदी ने अपना रुख साफ करने में कोई झिझक नहीं दिखाई। 

पाक न माना तो सिंधु समझौते पर कड़ा रुख अपनाएगा भारत
सिंधु जल संधि की समीक्षा बैठक में सरकार ने स्पष्ट संकेत दिया कि अगर पाकिस्तान सीमापार से आतंकवादी हमले जारी रखता है तो उसे यह नहीं मानना चाहिए कि संधि आगे भी लागू रहेगी। बैठक में 56 साल पुरानी संधि के ब्योरा और कार्यप्रणाली की गहराई से जांच के लिए मंत्रालयों का एक टॉस्कफोर्स बनाने का भी फैसला किया गया। यह टास्क फोर्स सिंधु जल समझौते सहित पश्चिम की नदियों से जुड़े सभी मसलों पर अपनी राय देगा। 

बैठक में फैसला हुआ कि भारत पाकिस्तान तक पानी की आपूर्ति करने वाली छह में से तीन नदियों के पानी का अधिकतम इस्तेमाल करेगा। चिनाब नदी पर तीन बांध बनाने की प्रक्रिया तेज होगी। जल विद्युत परियोजनाओं के निर्माण में भी तेजी लाई जाएगी। सूत्रों ने साफकहा कि जब तक इस क्षेत्र में आतंकवाद मुक्त माहौल नहीं बनता सिंधु नदी स्थायी आयोग की बैठक भी नहीं होगी। इस आयोग के जरिए ही दोनों देश मसलों को हल करते रहे हैं। 

शीर्ष अधिकारी बैठक में शामिल हुए
पीएम के प्रमुख सचिव नृपेंद्र मिश्र, एनएसए अजीत डोभाल, विदेश सचिव एस जयशंकर, जल संसाधन सचिव शशि शेखर और अन्य शीर्ष अधिकारी भी बैठक में उपस्थित थे। पड़ोसी मुल्क की नकेल कसने के लिए बैठक में यह निर्णय किया गया कि भविष्य में सिंधु जल आयोग की बैठक आतंक से मुक्त माहौल में ही हो होगी। भारत और पाक के अधिकारियों वाले इस आयोग की अब तक 112 बैठकें हो चुकी हैं। 

अटकी तुलबुल परियोजना शुरू करने पर विचार होगा
सूत्रों ने कहा कि निर्णय हुआ कि भारत संधि के तहत अपने कानूनी अधिकारों का पूरी तरह से उपयोग करेगा। साथ ही 2007 की स्थगित तुलबुल नौवहन परियोजना को शुरू करने के लिए पुनर्विचार पर भी सहमति बनी।  

जल संसाधन मंत्रालय ने परियोजनाओं का खाका रखा
सूत्रों के अनुसार केंद्रीय जल संसाधन मंत्रालय के अधिकारियों ने प्रधानमंत्री के सामने संधि और उससे जुड़ी परियोजनाओं की एक प्रस्तुति दी। सूत्रों ने कहा, मंत्रालय के सचिव शशि शेखर ने प्रधानमंत्री के सामने तथ्यों और संधि से संबंधित मौजूदा स्थिति से जुड़ी एक प्रस्तुति दी। 

क्या है समझौता 
1956 की संधि के तहत सिंधु और उसकी पांच सहायक नदियों के पानी का बंटवारा किया गया है। छह नदियों, व्यास, रावी, सतलज, सिंधु, चिनाब और झेलम के पानी को दोनों देशों के बीच बांटा गया था। इनमें से झेलम, चिनाब और रावी नदियों का 80 फीसदी पानी पाक को मिलता है। इससे पाक के एक बड़े इलाके में पानी की जरूरत पूरी की जाती है।

समझौता तोड़ने का दबाव
भारत में यह मांग लगातार बढ़ रही है कि आतंकी हमले के बाद पाकिस्तान पर दबाव बनाने के लिए सिंध नदी के पानी के बंटवारे से जुड़ा समझौता रद्द कर दिया जाए। पाकिस्तान की यह शिकायत रही है कि उसे पर्याप्त पानी नहीं मिल रहा है और इसके लिए वह दो बार अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता के लिए भी जा चुका है। 

जम्मू-कश्मीर की शिकायत दूर होगी
ताजा फैसलों से सिंचाई के लिए पानी के अधिकतम इस्तेमाल की जम्मू-कश्मीर के लोगों की लंबे समय से चली आ रही मांग भी पूरी होगी। राज्यों के लोगों की शिकायत रही है कि संधि के तहत उनके साथ भेदभाव हुआ है। जम्मू-कश्मीर के उप मुख्यमंत्री निर्मल सिंह पहले ही कह चुके हैं कि समझौते पर केंद्र का जो भी फैसला होगा, राज्य सरकार उसका पूरा समर्थन करेगी। 

56 साल पुरानी संधि
1960 में तत्कालीन पीएम जवाहर लाल नेहरू और पाक राष्ट्रपति अयूब खान ने संधि पर हस्ताक्षर किए थे 
06 नदियों व्यास, रावी, सतलज, सिंधु, चिनाब और झेलम के पानी को दोनों देशों के बीच बांटा गया करार के तहत  
02 बार अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता की गुहार लगाई पाक ने, पर्याप्त पानी नहीं मिलने का आरोप लगाया 

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