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सरकार वित्तीय संकट से उबारने के लिए घटा सकती है रेलवे का आकार

केंद्र सरकार वित्तीय संकट से उबारने के लिए भारतीय रेल के विशाल आकार छोटा करने की योजना बना रही है। इसके तहत विभाग की स्वास्थ्य सेवाएं, शिक्षा और सुरक्षा (रेल सुरक्षा बल) को रेलवे से अलग किया जा सकता...

सरकार वित्तीय संकट से उबारने के लिए घटा सकती है रेलवे का आकार
लाइव हिन्दुस्तान टीमSat, 07 Jan 2017 01:13 AM
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केंद्र सरकार वित्तीय संकट से उबारने के लिए भारतीय रेल के विशाल आकार छोटा करने की योजना बना रही है। इसके तहत विभाग की स्वास्थ्य सेवाएं, शिक्षा और सुरक्षा (रेल सुरक्षा बल) को रेलवे से अलग किया जा सकता है। सरकार के इस फैसले से लगभग डेढ़ लाख अधिकारियों व कर्मचारियों का वेतन, भत्ता, पेंशन व दूसरी सुविधाओं के आर्थिक बोझ से रेलवे को मुक्ति मिल जाएगी।

रेल मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि 13.5 लाख रेल कर्मियों की भारी फौज अब विभाग के खजाने पर भारी पड़ने लगी है। एसी श्रेणी के रेल यात्रियों की घटती संख्या और माल ढुलाई के लक्ष्य को हासिल करने में विफल रेलवे गंभीर आर्थिक संकट में फंसती जा रही है। रेलवे के वर्चस्व को बचाने के लिए सरकार तमाम उपाय लागू करने पर विचार कर रही है। इसमें प्रमुख रूप ट्रेन व मालगाड़ियां चलाने का मुख्य कार्य रेलवे के पास रहेगा, शेष गतिविधियों को विभाग से अलग करने का प्रस्ताव तैयार किया गया है।

अधिकारी ने बताया कि रेलवे के अस्पताल, प्राथमिक उपचार केंद्र देशभर में फैले हैं। यहां 2597 मेडिकल आफिसर-डाक्टर  और 54000 से अधिक पैरामेडिकल स्टाफ काम करता है। इस प्रकार 168 रेलवे स्कूलों में हजारों शिक्षक-प्रधानाचार्य शिक्षा कार्य में लगे हैं। विभिन्न रेलवे स्टेशनों पर आरपीएफ थाने, चौकी, टे्रनों, मालगोदाम, रेल कार्यायलों में 57,312 अधिकारी-जवान तैनात हैं। उन्होंने बताया कि सुरक्षा, शिक्षा व स्वास्थ्य सेवाएं को रेलवे से पृथक कर विभाग के आकार को छोटा किया जाएगा। जिससे रेलवे के वित्तीय भार को कुछ कम किया जा सके। उन्होंने बताया कि रेलवे के स्वास्थ्य विभाग को स्वास्थ्य मंत्रालय, शिक्षा को मानव संसाधन मंत्रालय और आरपीएफ को गृह मंत्रालय के आधीन किया जा सकता है। उक्त विभाग रेलवे में यथावत कार्य करेंगे, लेकिन इन पर प्रशासनिक अधिकार संबंधित मंत्रालयों के पास रहेगा। इस प्रस्ताव पर सरकार जल्द ही अपनी मुहर लगा सकती है। इस बारे में रेलवे प्रवक्ता का कहना है कि उपरोक्त विभागों को रेलवे से पृथक करने की जानकारी उनके पास नहीं है।

सूत्रों ने बताया कि सरकार प्रसिद्ध अर्थशास्त्री बिबेक देबराय अध्यक्षता वाली रेलवे की उच्च स्तरीय समिति की सिफारिशों को चरणबद्ध तरीके से लागू करने पर विचार कर रही है। समिति ने अपने सिफारिश में स्पष्ट कहा था कि रेलवे कर्मियों की विशाल फौज ही उसकी सबसे बड़ी समस्या है। इससे निपटने के लिए रेलवे के टे्रन-मालगाड़ियां चलाने के मुख्य कार्य पर ध्यान देना चाहिए। शेष विभाग को स्वतंत्र निकाय अथवा संबंधित मंत्रालयों से संबद्ध कर देना चाहिए। इसमें प्रमुख रूप से विशाल आकार के स्वास्थ्य, शिक्षा व आरपीएफ को रेलवे से अलग करने की सिफारिश की गई है। इसके अलावा रेलवे के ग्रुप सी-डी के कर्मचारियों की संख्या 57,682 को घटाने का सुझाव दिया है।

- देशभर में रेलवे के 125 बड़े अस्पताल हैं। इसके अलावा 586 प्राथमिक उपचार केंद्र हैं। रेलवे के पास कुल 14,000 बेड हैं। इन अस्पतालों व केंद्रों में 2597 मेडिकल अफसर, डाक्टर, नर्स कार्यरत हैं।
- भारतीय रेल के 168 स्कूल देश के विभिन्न स्थानों में कर्मचारियों के बच्चों को शिक्षा दे रहे हैं। रेलवे का एक डिग्री कॉलेज भी है।
- स्टेशनों, ट्रेनों, थानों, चौकियों, कार्यालयों व रेल मंत्रालय में 57312 अधिकारी-जवान तैनात हैं।


 

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