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त्यागी, खेतान तो बहती गंगा में हाथ धोने वाले छोटे नाम: पर्रिकर

अगस्ता वेस्टलैंड हेलीकॉप्टर घूसकांड पर शुक्रवार को लोकसभा में चर्चा के दौरान रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर ने यूपीए सरकार पर तीखा हमला बोला। उन्होंने आरोप लगाया कि पिछली कांग्रेस सरकार ने अगस्ता की मदद...

त्यागी, खेतान तो बहती गंगा में हाथ धोने वाले छोटे नाम: पर्रिकर
एजेंसीFri, 06 May 2016 11:28 PM
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अगस्ता वेस्टलैंड हेलीकॉप्टर घूसकांड पर शुक्रवार को लोकसभा में चर्चा के दौरान रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर ने यूपीए सरकार पर तीखा हमला बोला। उन्होंने आरोप लगाया कि पिछली कांग्रेस सरकार ने अगस्ता की मदद के लिए सब कुछ किया, ताकि सौदा उसकी झोली में ही आए।

सौदे की अनियमितताओं को सामने रखते हुए पर्रिकर ने कहा कि अगस्ता को ठेका देने के लिए हर तरह की रियायत दी गई। उन्होंने कहा कि पूर्व वायुसेना प्रमुख एसपी त्यागी, गौतम खेतान तो बहती गंगा में हाथ धोने वाले छोटे नाम है, हम रिश्वत लेने वाले बड़े नामों का पता लगा रहे हैं। कांग्रेस पर निशाना साधते हुए पर्रिकर ने कहा, आपको पता है कि गंगा कहां बह कर जाती है। इस पर कांग्रेस सांसदों के शोरशराबे के बीच रक्षा मंत्री ने कहा,  मैंने किसी का नाम नहीं लिया। लेकिन जो अरबी खाते हैं, उनके गले में ही खुजली होती है।

गौरतलब है कि इतालवी कंपनी फिनमैकेनिका की ब्रिटिश सहयोगी कंपनी अगस्ता वेस्टलैंड को 12 वीवीआईपी हेलीकॉप्टर का ठेका 2010 में दिया गया था। करीब 3600 करोड़ रुपये के सौदे में 375 करोड़ रुपये घूस दिए जाने का आरोप है।
 
यूपीए ने मजबूरी में कार्रवाई की
उन्होंने बताया कि इटली में नवंबर 2011 में आपराधिक मामला दर्ज हुआ था, लेकिन तत्कालीन यूपीए सरकार ने हेलीकॉप्टर खरीदना जारी रखा। रक्षा मंत्री ने कहा कि 2012 में फिनमैकेनिका के सीईओ की गिरफ्तार के बाद यूपीए सरकार को कदम उठाने पडे़। लिहाजा तत्कालीन सरकार ने जो भी कार्रवाई की, वह मजबूरी में की।

पर्रिकर ने कहा कि इससे भी आश्चर्यजनक यह है कि अनुबंध को रोके (होल्ड पर) रखने में दो साल की देरी की गई। जबकि तीन हेलीकॉप्टरों की आपूर्ति टाली जा सकती थी। इसका आदेश 12 मई 2014 को आया जब लोकसभा चुनाव का अंतिम दौर चल रहा था क्योंकि उन्हें परिणाम का अंदाजा हो गया था और एक्जिट पोल भी आने लगे थे। जबकि कंपनी को काली सूची में डालने का काम मोदी सरकार ने किया। ऑफसेट यानी भारत में रक्षा उपकरणों खरीद की शर्त के तहत चयनित कंपनियों में से एक आईडीएस इंफोटेक का इस्तेमाल रिश्वत लेनदेन के तौर पर किया गया।

वाजपेयी सरकार का बचाव किया
कैग रिपोर्ट से स्पष्ट है कि सौदे की प्रक्रिया 1994 में शुरू हुई, जब कांग्रेस सरकार थी। वर्ष 1999 में वाजपेयी सरकार के दौरान प्रक्रिया शुरू होने के कांग्रेस सदस्य ज्यातिरादित्य सिंधिया का दावा गलत है। सौदे की दौड़ में एकल विक्रेता की स्थिति से बचने के लिए अटलजी सरकार के दौरान उड़ान की ऊंचाई छह हजार से 4500 मीटर की सिफारिश की गई। लेकिन यूपीए के दौरान एकल विक्रेता की स्थिति लाने के लिए केबिन की ऊंचाई 1.8 मीटर रखने की शर्त जोड़ दी गई। इससे अन्य कंपनियां दौड़ से बाहर हो गईं।

एंटनी भी निशाने पर रहे
उन्होंने बताया कि हेलीकॉप्टर का फील्ड ट्रायल ब्रिटेन में हुआ जबकि यह अनिवार्य था कि इसे भारतीय परिस्थितियों में किया जाना चाहिए था। हकीकत में अगस्ता ने जिन हेलीकॉप्टरों की पेशकश की थी वे विकास के चरण में ही थे इसलिए परीक्षण किसी अन्य हेलीकॉप्टर पर किया गया। पर्रिकर के मुताबिक, एंटनी ने इस पर लिखित आपत्ति दर्ज की थी, लेकिन बाद में न जाने क्यों दूसरे स्थान पर ट्रायल करने की अनुमति दी गई।

कांग्रेस ने वॉकआउट किया
पर्रिकर जब निशिकांत दुबे, ज्योतिरादित्य सिंधिया और सौगत राय के बयानों के बाद फिर से जवाब देने के लिए उठे तो कांग्रेस ने वॉकआउट कर दिया। कांग्रेस सदस्य सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में जांच की मांग कर रहे थे।

आरोपी कंपनी की भागीदारी पर सफाई दी
 अगस्ता से जुड़ी एक कंपनी की मेक इन इंडिया के तहत रक्षा प्रदर्शनी में भागीदारी पर उन्होंने कहा कि उक्त कंपनी के बने पुर्जे हमारे पोत आदि में लगे हैं, तो क्या हम इसे समाप्त कर दें। हमने राष्ट्रीय सुरक्षा के विषय को ध्यान में रखा है।

एक लाख 21 हजार पन्नों का अनुवाद चुनौती
 रक्षा मंत्री ने कहा कि इटली की अदालत से 1.21 लाख पन्नों के दस्तावेज प्राप्त हुए हैं जिसमें 41 हजार पन्ने अंग्रेजी में हैं, शेष पन्ने वहां की भाषा में हैं, जिनका अनुवाद चुनौती है। अभी एक हजार पेजों का अनुवाद हुआ है, लेकिन अभी भी प्रामाणिक अनुवाद उपलब्ध नहीं है।

1. टेंडर दस्तावेज एक अगस्ता की एक कंपनी को दिए गए, जबकि टेंडर उसकी दूसरी कंपनी ने भरा। कंपनी कानूनी कार्रवाई में इसकी आड़ ले रही है।

2. फरवरी 2012 में घूसखोरी के खुलासे के बाद सरकार ने कंपनी को लिखने की बजाय विदेश मंत्रालय, दूतावास एवं अदालत को लिखा। उस पर कार्रवाई में देरी की।
 
3. हेलीकॉप्टर खरीद के लिए फिनमैकेनिका को दिया अग्रिम भुगतान वसूला नहीं जा सका है। इस सौदे में 50़7 मिलियन यूरो की बैंक गारंटी की राशि अभी भी अटकी है।

4. सौदे पर विचार करने वाली समिति ने खरीद के लिए आधार कीमत छह गुना ज्यादा रखी। लिहाजा अगस्ता की बोली अपनेआप उससे कम रही।

5. सीबीआई ने 12 मार्च 2013 में केस दर्ज किया। लेकिन एफआईआर की प्रति दिसंबर तक ईडी को नहीं दी गई। ईडी ने जुलाई 2013 तक कोई कदम नहीं उठाया।

 

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