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पठानकोट हमले के बाद भी नहीं जागी सरकार, रक्षा बजट बढ़ाना जरूरीः संसदीय समिति

रक्षा मामलों पर संसद की स्‍थायी समिति ने सैन्य प्रतिष्ठानों की सुरक्षा में सुधार के लिए ईमानदार पहल न करने पर रक्षा मंत्रालय की खिंचाई की है। समिति ने कहा है कि पठानकोट और उरी में आतंकी हमले के...

पठानकोट हमले के बाद भी नहीं जागी सरकार, रक्षा बजट बढ़ाना जरूरीः संसदीय समिति
लाइव हिन्दुस्तान टीमFri, 10 Mar 2017 12:17 PM
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रक्षा मामलों पर संसद की स्‍थायी समिति ने सैन्य प्रतिष्ठानों की सुरक्षा में सुधार के लिए ईमानदार पहल न करने पर रक्षा मंत्रालय की खिंचाई की है। समिति ने कहा है कि पठानकोट और उरी में आतंकी हमले के बावजूद सरकार अभी चेती नहीं है। समिति ने देश का रक्षा बजट बढ़ाने की वकालत की है।

भाजपा सांसद भुवन चंद्र खंडूरी की अध्यक्षता वाली समिति ने कहा है कि इन हमलों के बाद भी मंत्रालय ने जरूरी कदम नहीं उठाए हैं। 

एक अंग्रेजी समाचार पत्र में छपी खबर के अनुसार, समिति का कहना है कि सुरक्षा को और बेहतर करने के लिए सेना के पूर्व उप प्रमुख फिलिप कैंपोज ने मई 2016 में अपनी रिपोर्ट सौंपी थी। इसके बाद भी इस संदर्भ में कोई कदम उठते नहीं देखा जा रहा है। 

समिति ने गुरुवार को संसद में अपनी रिपोर्ट पेश की, जिसमें लिखा है कि सुरक्षा के हालात वैसे ही हैं जैसे पठानकोट और उरी हमले के समय थे। ऐसा नहीं लगता है कि कैंपोज के रिपोर्ट पेश करने के बाद भी सुरक्षा में सुधार के लिए कोई ठोस कदम उठाया गया है।

रक्षा बजट बढ़ाने की वकालत
समिति ने अपनी रिपोर्ट में देश का रक्षा बजट बढ़ाने की वकालत की है। अगले वित्तीय वर्ष के लिए 2.81 लाख करोड़ रुपये का रक्षा बजट सशस्त्र सेनाओं के आधुनिकीकरण के लिए बिल्कुल अपर्याप्त है और इसका असर सैन्य तैयारियों पर भी पड़ सकता है।

विभिन्न रक्षा कार्यक्रमों एवं योजनाओं में अत्यधिक विलंब पर चिंता
समिति ने तोपखाने, हवाई प्रतिरक्षा तोप, बुलेट प्रूफ जैकेटों, हेलीकाप्टरों, मिसाइलों, पनडुब्बियों, नौसेना जहाजों, लड़ाकू एवं परिवहन विमानों आदि के कार्यक्रमों एवं योजनाओं में अत्यधिक विलंब पर चिंता व्यक्त की है तथा नई पद्धतियों के विकास एवं मौजूदा प्रक्रियाओं को दुरूस्त करने पर जोर दिया है।

समिति की रिपोर्ट में कहा गया है कि कारगिल समिति की रिपोर्ट और रक्षा खरीद के मामलों से संबंधित मंत्रियों की सिफारिश पर अधिग्रहण स्कंध की स्थापना की गई थी। 

रिपोर्ट में कहा गया है कि अधिग्रहण स्कंध नामक विशेष संगठन तंत्र होने के बावजूद तोपखाने, हवाई प्रतिरक्षा तोप, बुलेट प्रूफ जैकेटों, हेलीकाप्टरों, मिसाइलों, पनडुब्बियों, नौसेना जहाजों, लड़ाकू एवं परिवहन विमानों आदि के कार्यक्रमों एवं योजनाओं में अत्यधिक विलंब हुआ है। 

समिति ने कहा कि इससे यह मालूम होता है कि यह तंत्र सुदृढ़ नहीं है जिसके कारण नियोजन प्रक्रिया में गड़बड़ियों की गुंजाइश है। 

उसने कहा, अत: समिति चाहती है कि मंत्रालय अत्मविश्लेषण करे और नई पद्धतियों का विकास करे। साथ ही मौजूदा प्रक्रियाओं को दुरूस्त करे ताकि हमारी सेनाएं हर समय और हर स्थिति में स्वयं को युद्ध के लिए तत्पर रखने के लिए आवश्यक आपूर्तियों एवं जरूरतों को प्राप्त कर सकें।

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