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श्मशान में पड़ी रही अर्थी, और लड़ते रहे मां-बेटी

स्वर्णरेखा बर्निंग घाट में अर्थी जलने के लिए पड़ी रही और श्मशान घाट के प्रमाणपत्र पर हस्ताक्षर करने के लिए परिजन लड़ते रहे। घटना गुरुवार दोपहर की है। श्मशान में परिवार वालों के बीच सिर्फ तू-तू...

श्मशान में पड़ी रही अर्थी, और लड़ते रहे मां-बेटी
लाइव हिन्दुस्तान टीमThu, 03 Sep 2015 11:25 PM
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स्वर्णरेखा बर्निंग घाट में अर्थी जलने के लिए पड़ी रही और श्मशान घाट के प्रमाणपत्र पर हस्ताक्षर करने के लिए परिजन लड़ते रहे। घटना गुरुवार दोपहर की है। श्मशान में परिवार वालों के बीच सिर्फ तू-तू मैं-मैं ही नहीं हुई, बल्कि वे लोग मारपीट पर भी उतारू हो गए थे। मौत टाटा मोटर्स के पूर्व कर्मी और नामदा बस्ती जीता बगान निवासी सत्यनारायण मिस्त्री की हुई थी।

सत्यनारायण की पहली पत्नी का नाम राधा देवी था, जिसकी मौत हो चुकी है। उसके बाद सत्यनारायण ने पूजा से दूसरी शादी से की थी। पूजा से दो बच्चे हैं। राधा से भी तीन बेटियां थी, जिसमें बड़ी बेटी मंजू अपने पिता के साथ उनके मकान में रहती है। सत्यनारायण ने कंपनी से ईएसएस लिया था। बुधवार सुबह तीन बजे उनकी मौत टाटा मोटर्स अस्पताल में हो गई थी और उसके बाद शव को अस्पताल के ही शीतगृह में रख दिया गया था।

गुरुवार को शव दाह संस्कार के लिए स्वर्णरेखा बर्निंग घाट में लाया गया। मृतक की दूसरी पत्नी पूजा चाह रही थी कि श्मशान की प्रक्रिया उसका बेटा करे और प्रमाणपत्र पर उसका ही हस्ताक्षर हो, जबकि मृत्तक की पहली पत्नी की बेटी मंजू शर्मा चाह रही थी कि मुखाग्नि उसके चाचा विनोद शर्मा का बेटा मिथलेश शर्मा दे और प्रमाणपत्र पर उसका (मंजू का) हस्ताक्षर हो। बाद में मुखाग्नि मिथलेश शर्मा ने दी, जबकि श्मशान घाट के प्रमाणपत्र पर दूसरी पत्नी पूजा और पहली पत्नी की बेटी मंजू दोनों के हस्ताक्षर हुए।

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