CBSC परीक्षा में डायबिटीज पीड़ित बच्चों को उपलब्ध कराएगा स्नैक्स
सीबीएसई इस वर्ष बोर्ड परीक्षाओं में टाइप-1 डायबिटीज के बच्चों को परीक्षा के बीच स्नैक्स देने की तैयारी में है। विशेषज्ञ मानते हैं कि सिर्फ इससे काम नहीं चलेगा। ऐसे बच्चों को परीक्षा में अतिरिक्त समय...
सीबीएसई इस वर्ष बोर्ड परीक्षाओं में टाइप-1 डायबिटीज के बच्चों को परीक्षा के बीच स्नैक्स देने की तैयारी में है। विशेषज्ञ मानते हैं कि सिर्फ इससे काम नहीं चलेगा। ऐसे बच्चों को परीक्षा में अतिरिक्त समय और ग्लूकोमीटर ले जाने की भी अनुमति मिलनी चाहिए।
कानपुर की ग्रो इंडिया संस्था ने वर्ष 2015 में भाजपा सांसद मुरली मनोहर जोशी को एक दस बिंदु पर आधारित एक मांगपत्र सौंपा था। इसमें केवल सीबीएसई ही नहीं सभी बोर्ड और विश्वविद्यालय की सभी परीक्षाओं के लिए सलाह दी थी कि टाइप-1 से प्रभावित बच्चों को परीक्षा और सामान्य अध्ययन के बीच कई तरह की छूट दी जानी चाहिए। दिल्ली डायबिटिक एसोसिएशन ने ऐसे बच्चों पर अध्ययन कर रिपोर्ट सीबीएसई को सौंपी थी।
स्नैक्स क्यों हैं जरूरी
ग्रो इंडिया के अध्यक्ष डॉ. अनुराग बाजपेई का कहना है कि टाइप-1 के बच्चों के लिए इंसुलिन लेना जरूरी होता है। इनमें शुगर कम होने का खतरा बना रहता है। यदि इन्हें इंसुलिन लेने के डेढ़ घंटे के बाद स्नैक्स आदि न मिले तो कई तरह की परेशानी हो सकती है। सिर में दर्द हो सकता है। चक्कर आ सकते हैं।
बन गई है सहमति-
सीबीएसई ने टाइप-1 बच्चों को परीक्षा के बीच स्नैक्स देने पर सहमति दे दी है। इसका औपचारिक पत्र जारी होना शेष है। फिलहाल केवल स्नैक्स देने की ही तैयारी है।
डाक्टर जोशी से ये मांगे की गई थी-
नगर के भाजपा सांसद को जो 2015 में जो मांगपत्र दिया था उसमें स्कूल और विश्वविद्यालय की हर परीक्षा में छात्रों को स्नैक्स देने, ग्लूकोमीटर साथ ले जाने की छूट और कम से कम 15 से 30 मिनट अतिरिक्त समय दिए जाने और गरीब बच्चों को फ्री इंसुलिन देने की मांग की भी। क्योंकि पीड़ित छात्रों को शुगर कम होने से हालत खतरनाक हो सकती है। इसलिए स्नैक्स मिलना जरूरी है।
देश में टाइप-1 की संख्या- 0.4 लाख
कानपुर में टाइप-1 की संख्या : 1500-2000(ग्रो इंडिया के अनुसार)
औसत संख्या- 250-300 बच्चों में एक