फोटो गैलरी

Hindi NewsCBSE ने तय किया क्लास के हिसाब से स्कूल बैग का वजन

CBSE ने तय किया क्लास के हिसाब से स्कूल बैग का वजन

केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) के स्कूलों में छात्रों को भारी बस्ते से जल्द छुटकारा मिल सकता है। मानव संसाधन विकास मंत्रलय इसके लिए नए मापदंड बना रहा है। नए नियमों में बस्ते का बोझ न्यूनतम...

CBSE ने तय किया क्लास के हिसाब से स्कूल बैग का वजन
लाइव हिन्दुस्तान टीमThu, 16 Feb 2017 08:39 AM
ऐप पर पढ़ें

केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) के स्कूलों में छात्रों को भारी बस्ते से जल्द छुटकारा मिल सकता है। मानव संसाधन विकास मंत्रलय इसके लिए नए मापदंड बना रहा है। नए नियमों में बस्ते का बोझ न्यूनतम रखने की कोशिश की जाएगी। मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने यहां एक कार्यक्रम के दौरान यह ऐलान किया है। 

उन्होंने कहा कि बच्चों के बस्ते का बोझ बढ़ रहा है, मैं इसे कम करने जा रहा हूं। भारी बस्ता ढोना जरूरी नहीं है। सरकार सीबीएसई स्कूलों के लिए मानक बना रही है ताकि बच्चों को सभी किताबें एवं कापियां रोज स्कूल नहीं ले जानी पड़े। कुछ समय पूर्व सीबीएसई ने अपने स्कूलों में कक्षा दो तक बच्चों को बस्ता नहीं लाने और आठवीं तक सीमित किताबें लाने के लिए दिशा-निर्देश दिए थे। लेकिन इन्हें अनिवार्य नहीं किया गया था। 

इसलिए ये प्रभाव में नहीं आ पाए हैं। अब मंत्रलय की कोशिश यह है कि बस्ते के बोझ की एक उपयुक्त सीमा निर्धारित कर दी जाए। केंद्रीय विद्यालयों में बस्ते के लिए वजन तय है तथा काफी हद तक उसका पालन भी हो रहा है। इसके तहत कक्षा दो तक दो किलो, कक्षा चार तक तीन किलो, कक्षा सात तक चार किलो और इससे ऊपर की कक्षाओं के लिए छह किलो वजन तय है। मंत्रलय सूत्रों के अनुसार इस फामरूले को थोड़ा-बहुत संशोधन के साथ भी सीबीएसई के सभी स्कूलों के लिए आवश्यक किया जा सकता है। 

जावड़ेकर ने कहा कि बच्चों को स्कूल से दिए जाने वाले प्रोजेक्ट कार्य के नियमों में भी बदलाव किया जा रहा है। घर में यह कार्य मां-बाप पूरा करते हैं। इसलिए यह कार्य स्कूल में ही होना चाहिए। प्रोजेक्ट कार्य के दिन बच्चों को कम किताबें एवं कापिया ले जानी होंगी। कई अध्ययनों में यह बात आई है कि भारी स्कूल बस्ते के कारण बच्चों को कई किस्म की शारीरिक दिक्कतें हो रही हैं।

प्रकाश जावड़ेकरमानव संसाधन विकास मंत्री
केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री मेनका गांधी ने विद्यालयों में शारीरिक दंड की प्रथा समाप्त करने के लिए स्कूल प्रशासनों से राष्ट्रीय बाल संरक्षण आयोग के निर्देशों को सख्ती से लागू करने को कहा है। उनके मंत्रलय ने मानव संसाधन विकास मंत्रलय को लिखे एक पत्र में कहा है कि स्कूलों में शारीरिक दंड की प्रथा समाप्त होनी चाहिए। जावडेकर को लिखे पत्र में गांधी ने कहा है कि उत्तर प्रदेश के एक स्कूल में गृहकार्य नहीं करने पर छात्रओं को शारीरिक दंड देने की घटना वेदनाकारी है।

हिन्दुस्तान का वॉट्सऐप चैनल फॉलो करें