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सीबीआई कर सकती है जाट आंदोलन की जांच

पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने गुरुवार को जाट आंदोलन के दौरान हुई हिंसा मामले की सुनवाई करते हुए हरियाणा सरकार और सीबीआई को नोटिस जारी किया। हालांकि, हाईकोर्ट ने जाट आंदोलन के दौरान चर्चा में आए मुरथल...

सीबीआई कर सकती है जाट आंदोलन की जांच
एजेंसीThu, 22 Sep 2016 08:53 PM
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पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने गुरुवार को जाट आंदोलन के दौरान हुई हिंसा मामले की सुनवाई करते हुए हरियाणा सरकार और सीबीआई को नोटिस जारी किया। हालांकि, हाईकोर्ट ने जाट आंदोलन के दौरान चर्चा में आए मुरथल गैंगरेप मामले में कोई निर्णायक टिप्पणी नहीं की, क्योंकि पुलिस को इस मामले में अभी एफएसएल रिपोर्ट नहीं मिली है। 

हाईकोर्ट में गुरुवार को मुरथल गैंगरेप तथा जाट आरक्षण आंदोलन के दौरान हुई अन्य हिंसक घटनाओं की सुनवाई हुई। हरियाणा सरकार की तरफ से पेश हुईं आईजी ने कोर्ट को बताया कि मुरथल गैंगरेप मामले में पुलिस को अभी तक एफएसएल रिपोर्ट का इंतजार है। यह रिपोर्ट आने के बाद ही गैंगरेप को लेकर किसी तरह की जानकारी दी जा सकती है। 

सुनवाई के दौरान राज्य के वित्त मंत्री कैप्टन अभिमन्यु के भाई अदालत में पेश हुए और जाट आंदोलन के दौरान उनके समाचार पत्र की प्रिंटिंग प्रेस जलाए जाने के पूरे मामले की जांच सीबीआई से करवाने की अपील की। इस पर कोर्ट मित्र एडवोकेट अनुपम गुप्ता ने कहा कि इस केस में शामिल बड़े लोगों के मामलों की जांच तो सीबीआई से करवाई जा रही है, लेकिन सामान्य लोगों के मामलों को इससे दूर रखा जा रहा है। उन्होंने कोर्ट को आंदोलन की सभी घटनाओं की जांच सीबीआई से कराए जाने का सुझाव दिया। 

सुनवाई के दौरान सीबीआई के वकील सुमित गोयल ने जांच सीबीआई से करवाए जाने पर अपनी राय दी। इसके बाद कोर्ट ने पूरे प्रकरण पर टिप्पणी करते हुए कहा कि मुरथल गैंगरेप के बारे में कोई भी फैसला एफएसएल रिपोर्ट आने के बाद ही किया जा सकता है, लेकिन अन्य सभी केसों की जांच सीबीआई से करवाई जा सकती है। इसी को आधार बनाते हुए कोर्ट ने सीबीआई तथा हरियाणा सरकार को नोटिस जारी किया है। मामले की अगली सुनवाई 25 सितंबर को होगी।  

बिरयानी के सैंपल लेने पर सरकार को नोटिस 
राज्य में बीफ को लेकर बढ़ा विवाद पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट पहुंच गया है। इस संबंध में मेवात के नूंह निवासी हसीन ने हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की है। याचिका में हरियाणा गौसेवा आयोग द्वारा बिरयानी के सैंपलों को भरवाकर बीफ चेक करने के लिए जारी आदेशों को मौलिक अधिकारों का हनन बताया गया है। हाईकोर्ट ने याचिका पर सुनवाई करते हुए सरकार से जवाब तलब किया है।

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