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Hindi Newsएक देश-एक बजटः कैबिनेट के ऐतिहासिक फैसले से टूटी 92 साल पुरानी परंपरा

एक देश-एक बजटः कैबिनेट के ऐतिहासिक फैसले से टूटी 92 साल पुरानी परंपरा

रेल बजट अलग से पेश करने की 92 साल पुरानी परम्परा को समाप्त करते हुए सरकार ने इसे आम बजट में मिलाने का बुधवार को फैसला किया। इसके साथ ही आम बजट को संसद में फरवरी के आखिरी कार्य दिवस के बजाए उससे पहले...

एक देश-एक बजटः कैबिनेट के ऐतिहासिक फैसले से टूटी 92 साल पुरानी परंपरा
एजेंसीWed, 21 Sep 2016 08:35 PM
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रेल बजट अलग से पेश करने की 92 साल पुरानी परम्परा को समाप्त करते हुए सरकार ने इसे आम बजट में मिलाने का बुधवार को फैसला किया। इसके साथ ही आम बजट को संसद में फरवरी के आखिरी कार्य दिवस के बजाए उससे पहले पेश करने के प्रस्ताव को को सैद्धांतिक मंजूरी भी दी गई है। 

वित्त मंत्री अरुण जेटली ने मंत्रिमंडल के फैसले की जानकारी देते हुए संवाददाताओं से कहा कि सरकार कुछ राज्यों के विधानसभा चुनावों को ध्यान में रखते हुए 2017-18 के बजट सत्र की तारीख के बारे में फैसला अलग से करेगी।

मंत्रिमंडल ने 2017-18 के बजट में योजना और गैर-योजना व्यय में अंतर को समाप्त करने का फैसला किया है। जेटली ने कहा कि सरकार बजट पेश करने और उसे पारित कराने की प्रक्रिया पहले शुरू करने के पक्ष में है ताकि पूरी प्रक्रिया 31 मार्च से पहले सम्पन्न की जा सके। इससे सार्वजनिक वित्त पर आधारित योजनाओं पर व्यय एक अप्रैल से शुरू हो सके।

उन्होंने कहा कि हम सैद्धांतिक रूप से बजट पेश करने की तारीख पहले करने और वित्त विधेयक समेत बजट संबंधी पूरी प्रक्रिया 31 मार्च से पहले समाप्त करने के पक्ष में है। वास्तविक तारीख के बारे में विचार-विमर्श के बाद फैसला किया जाएगा जो राज्य चुनावों की तारीख पर निर्भर है। जेटली ने कहा कि सरकार बजट पहले पेश करने को लेकर अपने आप को तैयार कर रही है। परंपरा के अनुसार बजट फरवरी में आखिरी कार्य दिवस को पेश किया जाता रहा है।

रेल बजट अलग से पेश करने की व्यवस्था 1924 में शुरू की गई थी। आर्थिक मामलों के सचिव शक्तिकांत दास ने कहा कि केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय (सीएसओ) राष्ट्रीय आय या जीडीपी का अस्थायी अग्रिम अनुमान सात जनवरी तक देगा ताकि आंकड़े को बजट तैयारी में शामिल किया जा सके। उन्होंने कहा कि अस्थायी अग्रिम अनुमान सामान्य तौर पर सात फरवरी को पेश किये जाने अनुमान के अनुरूप होंगे। दास ने कहा कि सरकार एक या दो दिन में बजट परिपत्र जारी करेगी।
   
रेल मंत्री सुरेश प्रभु ने कहा कि रेल और आम बजट रेलवे के कामकाज में स्वयत्तता को प्रभावित नहीं करेगा बल्कि रेलवे के पूंजी व्यय को बढ़ाने में मदद करेगा। प्रभु ने कहा कि एक ही बजट का मतलब है कि रेलवे और आम बजट साथ काम करेंगे। उन्होंने यह भी कहा कि रेलवे को लाभांश सरकार को नहीं देना होगा।

जेटली ने कहा कि नीति आयोग के सदस्य बिबेक देबराय की अध्यक्षता वाली समिति का मानना था कि अलग से रेल बजट पेश करना केवल रस्मी है क्योंकि आम बजट के मुकाबले इसका आकार बहुत छोटा है।  

समिति ने सुझाव दिया था कि रेल बजट सरकार के बजट के राजकोषीय अनुशासन और विकासात्मक रुख का हिस्सा होना चाहिए। जेटली ने कहा कि मंत्रिमंडल ने रेल बजट और आम बजट को मिलाने का फैसला किया है। केवल एक बजट होगा जो आम बजट होगा। रेलवे से जुड़े प्रस्ताव आम बजट का हिस्सा होंगे। परिणामस्वरूप केवल एक विनियोग विधेयक होगा। उन्होंने कहा कि सरकार रेलवे की एक अलग पहचान और उसके कामकाज में स्वायत्ता को बनाए रखेगी।

अरुण जेटली ने कहा कि सरकार यह सुनिश्चित करने के लिये कदम उठाएगी कि रेलवे खर्च पर हर साल अलग से चर्चा हो ताकि विस्तत संसदीय समीक्षा और जवादेही बनी रहे। यह पूछे जाने पर कि यात्री किराये और माल भाड़ा दरों के बारे में कौन निर्णय करेगा, जेटली ने कहा कि ये निर्णय रेलवे ही लेता रहेगा। लेकिन रेलवे के आय-व्यय के ब्योरे को संसद में वित्त मंत्रालय प्रस्तुत करेगा।

बजट प्रस्तुत करने की तारीख के संदर्भ में उन्होंने कहा कि सरकार ने सैद्धांतिक रूप से बजट पहले पेश किए जाने को मंजूरी दे दी है ताकि बजट से संबंधित सभी प्रक्रिया 31 मार्च तक पूरी हो जाए और कर तथा व्यय एक अप्रैल से लागू हो सके।

जेटली ने कहा कि हमें मौजूदा व्यवस्था को छोड़ना चाहिए जब अप्रत्यक्ष कर से जुड़े कुछ प्रस्ताव एक जून से प्रभाव में आते हैं। सरकार सैद्धांतिक रूप से बजट पहले पेश करने और बजट सत्र पहले शुरू किये जाने के पक्ष में हैं। हालांकि बजट की निश्चित तारीख के बारे में फैसला विधानसभा चुनावों की तारीख को देखने के बाद किया जाएगा।

उन्होंने कहा कि विधानसभा चुनावों के दौरान सांसद चुनाव प्रचार में व्यस्त होते हैं और इसीलिए वास्तविक तारीख की घोषणा विचार-विमर्श के बाद की जाएगी और विधानसभा चुनावों की तारीख पर निर्भर करेगा।

वित्त मंत्री जेटली ने कहा कि रक्षा एवं राजमार्ग मंत्रालय के बजट का भी आकार बड़ा है लेकिन उनका कोई अलग से बजट पेश नहीं होता है और इसीलिए अलग से रेल बजट पेश करना अनावश्यक था।

शक्तिकांत दास ने कहा कि रेलवे वेतन और पेंशन समेत अपना व्यय, आय से पूरा करता है और बजट को आम बजट में मिलाए जाने से कोई बदलाव नहीं होगा। केंद्र सब्सिडी देना जारी रखेगा जो वह रेलवे को दे रहा है।

आर्थिक मामलों के सचिव ने कहा कि रेलवे का राजस्व अब भारत की संचित निधि में आएगा और व्यय को इस कोष से पूरा किया जाएगा। इसीलिए यह आम बजट के वित्त को प्रभावित नहीं करेगा। रेलवे अपनी आय से कर्मचारियों को वेतन देता है। उन्होंने कहा कि रेलवे जो कर्ज लेता है, वह पहले सरकार का कर्ज है और इसीलिए विलय से सरकार का कर्ज नहीं बढ़ेगा।

यह पूछे जाने पर कि क्या मंत्रिमंडल ने इस साल संसद का शीतकालीन सत्र भी पहले बुलाने पर चर्चा की, जेटली ने कहा कि शीतकालीन सत्र पर आज कोई चर्चा नहीं हुई। इस पर उपयुक्त समय में विचार किया जाएगा। शीतकालीन सत्र आम तौर पर नवंबर के तीसरे सप्ताह में शुरू होता है।

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