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5 बैंकों पर सरकार की नजर, इनकी मिलीभगत से कालाधन हो रहा सफेद

कालेधन के खिलाफ नोटबंदी को रामबाण मानकर चल रही सरकार नए नोटों से काली कमाई को सफेद करने में बैंकों की मिलीभगत सामने आई है। वित्तीय खुफिया विभाग (एफआईयू) ने वित्त मंत्रालय से कहा है कि बड़े पैमाने पर...

5 बैंकों पर सरकार की नजर, इनकी मिलीभगत से कालाधन हो रहा सफेद
लाइव हिन्दुस्तान टीमSat, 10 Dec 2016 07:24 AM
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कालेधन के खिलाफ नोटबंदी को रामबाण मानकर चल रही सरकार नए नोटों से काली कमाई को सफेद करने में बैंकों की मिलीभगत सामने आई है। वित्तीय खुफिया विभाग (एफआईयू) ने वित्त मंत्रालय से कहा है कि बड़े पैमाने पर गैरकानूनी या अघोषित आय को बैंकों के रास्ते नोटबंदी के बाद सफेद किया गया है।

विभाग ने पांच निजी बैंकों की एक सूची भी सौंपी है। मंत्रालय ने उनके गोरखधंधे की पड़ताल विभिन्न एजेंसियों को सौंप दी है।

एफआईयू के सूत्रों के मुताबिक सभी केंद्रीय और राज्य की एजेंसियां बैंकों और उनके अधिकारियों व कर्मचारियों की गतिविधि पर नजर रखे हुए हैं। सार्वजनिक-निजी सभी बैंकों की उन शाखाओं को चिन्हित किया गया है जिनके खिलाफ शिकायतें मिली हैं। देश के चार प्रमुख निजी बैंकों की सौ से भी ज्यादा शाखाएं और उनके शीर्ष अधिकारी संदेह के घेरे में हैं जहां से नोट बदलने की व्यवस्था समाप्त होने के बाद से बचत खातों में लगातार जमा-निकासी हो रही है।

सूत्रों के मुताबिक कई वित्त मंत्रालय, रिजर्व बैंक और केंद्रीय प्रत्यक्ष कर विभाग (सीबीडीटी) समेत अन्य केंद्रीय एजेंसियों के बीच बैंकों की कारगुजारी पर बैठक हुई है। इसमें उस सूची पर भी चर्चा हुई है जिसमें पांच निजी बैंकों के नाम है। सूत्रों के मुताबिक निजी के अलावा सार्वजनिक बैंकों पर भी एक रिपोर्ट भी है और मंत्रालय की ओर से आयकर विभाग, प्रवर्तन निदेशालय और राज्य की एजेंसियों को एफआईयू की रिपोर्ट पर पड़ताल करने को कहा गया है।

एटीएम भरने वाली कंपनियां नाकाफी
वित्त मंत्रालय के बैंकिंग विभाग के सूत्रों के मुताबिक एटीएम में नए नोटों की किल्लत की वजह आपूर्ति करने वाली कंपनियों के पास संसाधनों की कमी है। ऐसी कुल छह कंपनियां है जो विभिन्न बैंकों से संबद्ध हैं और इन कंपनियों के पास कुल 42 हजार कर्मचारी हैं। जबकि सभी बैंकों के कुल एटीएम की संख्या 2.10 लाख है। इनमें से 1.93 लाख नए नोटों के मुताबिक किए जा चुके हैं और चल रहे हैं। शेष में कुछ खराबी है या अन्य दिक्कतें है जिन्हें ठीक किया जा रहा है।

एटीएम भरने वाली कंपनियों के पास रोजाना काम करने के लिहाज से 21 से 24 हजार कर्मचारी होते हैं जो एक दिन में एक या दो एटीएम ही भर पाते हैं। इसकी वजह यह है कि सभी कर्मचारी इस काम में दक्ष नहीं है और यह पूरी तरह से तकनीकी काम है। ऐसे में पूरे देश में एक दिन में अनुमानित तौर पर 48 से 56 हजार एटीएम ही नई नगदी से भरे जा पा रहे हैं।

नहीं वैकल्पिक उपाय
बैंकिंग विभाग के मुताबिक सरकार के पास निजी कंपनियों के अलावा एटीएम में नगदी भरने के लिए कोई वैकल्पिक उपाय नहीं है। एसआईएस प्रोसीजर, सीएमएस, एसआईपीएल, ब्रिंक्स, राइटर और सेक्योर वैल्यू के तकनीकी कर्मचारी व गार्ड के पास 8800 कैश वैन ही हैं। ढाई हजार अन्य वैन का इस्तेमाल भी 8 नवंबर के बाद इन कंपनियों ने बैंकों के दबाव में शुरू किया है, लेकिन यह सब नाकाफी हो रहा है। क्योंकि एटीएम भरने के दो घंटे के भीतर खाली हो जाते हैं जबकि बैंकों से तय नगदी ही एटीएम भरने वाली कंपनियों को मिलती है।

ऐसे में कोई भी एटीएम भरने की अवधि लगातार बढ़ रही है। पहले एक एटीएम ढाई से पांच दिन में भरा जाता था जबकि अब दो दिन में एक बार भरने का प्रयास किया जा रहा है।

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