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सिंगूर भूमि आवंटन पर SC का फैसला एतिहासिक जीत: ममता

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने सिंगूर में भूमि अधिग्रहण के बारे में उच्चतम न्यायालय के फैसले को एतिहासिक जीत बताया। राज्य में टाटा की नैनो कार परियोजना के लिये सिंगूर में भूमि अधिग्रहण...

सिंगूर भूमि आवंटन पर SC का फैसला एतिहासिक जीत: ममता
लाइव हिन्दुस्तान टीमWed, 31 Aug 2016 09:53 PM
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पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने सिंगूर में भूमि अधिग्रहण के बारे में उच्चतम न्यायालय के फैसले को एतिहासिक जीत बताया। राज्य में टाटा की नैनो कार परियोजना के लिये सिंगूर में भूमि अधिग्रहण किया गया था। ममता ने कहा, सिंगूर पर उच्चतम न्यायालय का फैसला एतिहासिक जीत है। इस फैसले के लिये हमने 10 साल प्रतीक्षा की है।

ममता बनर्जी ने इस भूमि अधिग्रहण के खिलाफ राज्य की तत्कालीन वामपंथी सरकार के खिलाफ बड़े पैमाने पर राजनीतिक विरोध अभियान चलाया था जिसके चलते टाटा समूह को 2008 में अपनी इस परियोजना को छोड़ना पड़ा। ममता ने कहा कि उनकी सरकार शीर्ष अदालत का फैसला आने के बाद अब किसानों को उनकी जमीन लौटाने के लिये जल्द ही व्यवस्था करेगी। 

न्यायमूर्ति अरण मिश्र और वी़ गोपाल गोउडा की खंडपीठ के आज के फैसले में सिंगुर में की गई भूमि अधिग्रहण प्रक्रिया को गड़बड़ करार दिय और कहा कि यह भूमि अधिग्रहण सार्वजनिक उददेश्य के लिये नहीं था।

न्यायालय ने कहा है कि किसानों को उनकी जमीन 12 सप्ताह के भीतर लौटा दी जानी चाहिए। बनर्जी ने कहा, शुरू से ही हम कह रहे हैं कि भूमि अधिग्रहण का तरीका ठीक नहीं है और किसानों से जमीन जबरदस्ती ली गई है। ममता ने कहा कि भूमि अधिग्रहण के खिलाफ तब उन्होंने शहर में भूख हड़ताल की थी जो कि 26 दिन चली थी। 

मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा कि तणमूल कांग्रेस का जो नारा है मां-माटी-मानुष सिंगूर अभियान से ही पैदा हुआ और कई बौद्धिक हस्तियों ने इसका समर्थन किया। उनमें दिवंगत महाश्वेता देवी भी शामिल थीं। ममता ने कहा, यदि महाश्वेता देवी आज जीवित होतीं तो वह बहुत प्रसन्न होतीं, यह किसानों की जीत है, सच्चाई की जती है और मॉ माटी मानुष की जीत है। सिंगूर के लोगों की इस जीत को इतिहास में दर्ज किया जाना चाहिए।

टाटा मोटर्स ने सिंगूर में अपने कारखाने के लिये 1,000 एकड़ जमीन का अधिग्रहण किया था। ममता ने इसका विरोध किया था और टाटा से कहा था कि वह 400 एकड़ भूमि किसानों को लौटा दे। यह भूमि उन किसानों की थी जो कि परियोजना के लिये अपनी जमीन नहीं देना चाहते थे। उन्होंने मुआवजा लेने से भी इनकार कर दिया था। 

ममता बनर्जी कल एक बैठक करेंगी जिसमें न्यायालय के फैसले को अमल में लाने के लिये विचार किया जायेगा। ममता ने सिंगूर के किसान की बेटी तापसी मलिक को श्रद्धांजलि दी जो कि भूमि अधिग्रहण के विरोध में गठित कषि जमी रक्षा समिति के अभियान में सबसे आगे थी। इस 18 वर्षीय लड़की का अधजला शव 18 दिसंबर 2006 को परियोजना स्थल के निकट बाजेमेलिया में मिला था। इस मामले में हुगली जिला अदालत ने कम्युनिस्ट पार्टी के सिंगूर क्षेत्रीय समिति के पूर्व सचिव सुह्रद दत्ता और समर्थक देबू मलिक को दोषी करार दिया था। 

सिंगूर का इतिहास, पढ़ें यहां

साल 2006 में सीपीएम की सरकार ने घोषणा की थी कि टाटा नैनो कार का प्रोजेक्ट सिंगूर में शुरू करेगी, जिसके लिए टाटा ने सिंगूर में 997 एकड़ जमीन अधिगृहित की गई थी। लेकिन ममता बनर्जी ने इस पूरे मामले का जोरदार विरोध किया था।

उनका कहना था कि टाटा ने किसानों से जबरन जमीन लेने की कोशिश की है। विरोध के बीच साल 2008 में टाटा की नैनो कार बाजार में आ गई। लेकिन दीदी का विरोध जारी रहा। ममता ने मांग की कि कंपनी को किसानों को कम से कम 400 एकड़ जमीन वापस देनी होगी। ममता का आंदोलन चलता रहा और सिंगूर से लेकर बंगाल की भारी जनता ने उनका साथ दिया।

साल 2008 में रतन टाटा ने अपना प्लांट बंगाल से गुजरात में ट्रांसफर कर दिया। बंगाल के हाथ से ये उद्योग गुजरात की मोदी सरकार को मिल गया।

साल 2011 में जब ममता बनर्जी बंगाल की मुख्यमंत्री बनीं तो उन्होंने सबसे पहले सिंगूर के किसानों को जमीन दिलाने का आश्वासन दिया। इसी साल सिंगूर जमीन पर एक बिल बना, इस बिल में कई तरह के बदलाव किए गए।

इससे पहले, कलकत्ता हाईकोर्ट ने सरकार के अधिग्रहण को सही ठहराया था, जिसके खिलाफ किसानों की ओर से गैर सरकारी संगठनों ने फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील की गई थी। सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने लेफ्ट सरकार पर सवाल उठाते हुए कहा था कि लगता है सरकार ने प्रोजेक्ट के लिए जिस तरह जमीन का अधिग्रहण किया, वह तमाशा और नियम-कानून को ताक पर रखकर जल्दबाजी में लिया गया फैसला था।

कोर्ट ने अपनी टिप्पणी में कहा था, सरकार ने यह तय कर लिया था कि इसी प्रोजेक्ट को जमीन देनी है और भूमि अधिग्रहण अधिनियम, 1894 का पूरी तरह पालन नहीं किया गया। वहीं, टाटा ने मामले को पांच जजों की संवैधानिक पीठ को भेजे जाने की मांग की थी। वैसे हालात को देखते हुए टाटा ने नैनो प्रोजेक्ट को गुजरात में स्थानांतरित कर दिया था, लेकिन टाटा का यह भी कहना था कि सिंगूर की यह जमीन वह किसी और प्रोजेक्ट के लिए रखेगी। 

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