भ्रूण हत्या के लिए बदनाम गांव में 40 साल बाद बेटी की शादी
मध्यप्रदेश के भिंड जिले के गुमरा गांव में चालीस साल बाद किसी बेटी की शादी होने जा रही है। इस गांव में जन्मी 18 साल की आरती गुर्जर की इस साल दिसंबर में शादी होगी। आरती की शादी पहले मार्च में ही होनी...
मध्यप्रदेश के भिंड जिले के गुमरा गांव में चालीस साल बाद किसी बेटी की शादी होने जा रही है। इस गांव में जन्मी 18 साल की आरती गुर्जर की इस साल दिसंबर में शादी होगी। आरती की शादी पहले मार्च में ही होनी थी लेकिन उनकी 12 वीं की परीक्षा के चलते इसे टाला गया है। गांव के लोगों की क्रूरता की वजह से इस गांव को एक बेटी की शादी देखने के लिए इतना लंबा इंतजार करना पड़ा।
गुमरा गांव भ्रूण हत्या के लिए बदनाम था। इस गांव में लोग बेटियों को कोख में या जन्म के बाद ही मार देते थे जिससे लिंगानुपात काफी बिगड़ गया। साल 2003 से गांव में लिंगानुपात की स्थिती सुधरनी शुरू हुई। सरकार ने यहां कन्या भ्रूण हत्या और गिरते लिंगानुपात को रोकने के लिए पूर्व गर्भाधान और प्रसव पूर्व निदान तकनीक (पीसीपीएनडीटी) अधिनियम, 1994 अच्छी तरह लागू किया। महिला बाल विकास विभाग के आंकड़ों के मुताबिक गांव में बाल लिंगानुपात 1995 में 10:0 रहा। 2001 में यह 10:2 रहा लेकिन 2011 में हालत सुधरे और बाल लिंगानुपात 10:7 पर पहुंच गया।
डॉक्टर बनने का है सपना
आरती शादी के बाद आगे भी अपनी पढ़ाई जारी रखना चाहती हैं और डॉक्टर बनने का सपना पूरा करना चाहती हैं। आरती ने कहा, मेरी ज्यादा दोस्त नहीं हैं, गांव में मेरी हमउम्र कुछ ही लड़कियां हैं इसलिए मैं अपना पूरा ध्यान पढ़ाई पर देती हूं। मैं डॉक्टर बनना चाहती हूं और शादी के बाद भी पढ़ाई जारी रखूंगी।
गांव वालों को है पछतावा
आरती के अलावा गांव में इसी साल एक और लड़की रचना गुर्जर की भी शादी होने वाली है। गांव में इतने दिनों बाद आई इस खुशी के बीच गांव के बड़े-बुजुर्ग इसके पीछे की सच्चाई को छुपाने की पूरी कोशिश कर रहे हैं। स्थानीय निवासी रामसरन गुर्जर ने कहां कि उनके गांव को बदनाम किया जा रहा है। हालांकि गांव के ज्यादातर परिवारों को नवजात बच्चियों को मारने का अफसोस भी है।
महिलाएं बेहद खुश
बेटी की शादी से सबसे अधिक खुशी गांव की महिलाओं को है। भारत की आजादी के 70 साल बाद अब जाकर उन्हें आजादी मिली है। गांव की ही 48 वर्षीय राजेश्वरी गुर्जर ने कहा, इससे पहले गांव में बच्चों को जन्म देते समय महिलाएं नींबू, दूध और तंबाकू से बहुत डरती थी। बेटी होने पर इससे ही उसे मारा जाता था। लेकिन कानून और महिलाओं की हिम्मत से अब सब बदल गया है।
नवजात बच्ची को भूखा रखते थे
गांव की ही एक दूसरी महिला ने बताया कि, 20 साल पहले उनकी बेटी पैदा हुई तो परिवार वालों ने उसे लगातार भूखा रखा और भूख से उसकी मौत हो गई। महिला और बाल विकास विभाग के संयुक्त निदेशक सुरेश तोमर ने कहा, पीसीपीएनडीटी कानून के बाद गांव की स्थिती अब काफी बदली है। 2011 जनगणना के मुताबिक मध्यप्रदेश में सिर्फ भिंड ही एकमात्र ऐसा जिला है जहां लिंगानुपात में 20 अंक की वृद्धि हुई है।