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एल्गिन चरसडी बंधे में दरार, 72 गांवों पर भयावह बाढ़ का खतरा

करनैलगंज तहसील के करीब 72 गांवों की डेढ लाख आबादी पर भयावह बाढ़ का खतरा बढ़ता चला जा रहा है। एल्गिन चरसडी बंधे में गुरुवार को तीन स्‍थानों पर दरारें आने के बाद बंधे का घाघरा में समाना तय माना जा...

एल्गिन चरसडी बंधे में दरार, 72 गांवों पर भयावह बाढ़ का खतरा
लाइव हिन्दुस्तान टीमThu, 02 Jul 2015 04:27 PM
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करनैलगंज तहसील के करीब 72 गांवों की डेढ लाख आबादी पर भयावह बाढ़ का खतरा बढ़ता चला जा रहा है। एल्गिन चरसडी बंधे में गुरुवार को तीन स्‍थानों पर दरारें आने के बाद बंधे का घाघरा में समाना तय माना जा रहा है। बंधे को बचाने के लिए युद्व स्‍तर पर किए जा रहे सारे प्रयास विफल साबित हो रहे हैं।

करीब 52 किलोमीटर लंबे एल्गिन बंधे के चार किलोमीटर दायरे में कटान आने के कारण घाघरा की दिशा भी तेजी से बदल रही है। यूपीपीसीएल और सिंचाई विभाग की लापरवाही के कारण बंधा कटने के कगार पर होने से प्रभावित गांववालों में तीखा आक्रोश है। विशेषज्ञों का मानना है कि जिस तरह से नदी तेजी से बंधे की ओर मुड रही है और करेन्‍ट तेज हो रहा है। उससे बंधे को बचा पाना बेहद मुश्किल होगा। करीब तीन दिन से बंधे पर ही कैम्‍प कर रहे बेसिक शिक्षा मन्‍तरी योगेश प्रताप सिंह ने बताया कि बंधे को बचाने के लिए लखीमपुर और लखनऊ से तकनीकी मदद भी मांगी गई है।

गोंडा और बाराबंकी की सीमा पर बने एल्‍ि‍गन चरसडी बंधे का चार किलोमीटर का दायरा अब पूरी तरह ध्‍वस्‍त होने की कगार पर पहुंच चुका है। गुरुवार को मौके पर पहुंची हिन्‍दुस्‍तान टीम ने पाया कि घाघरा के वेग के कारण बंधे का कटना तेजी से जारी है। बंधे के किनारे का हिस्‍सा नदी में आने वाले मशीना की चपेट में आकर हर एक घंटे में कटकर घाघरा में समा रहा है।

बंधे के इस हालात को लेकर यूपी प्रोजेक्‍ट कारपोरेशन लिमिटेड पूरी तरह सवालों के घेरे में आ गई है। कार्यदायी संस्‍था को बंधे को बचाने के लिए स्‍पर आदि बनाने का काम 15 जून तक पूरा कर लेना था लेकिन यह काम 30 जून तक भी नहीं पूरा हो सका। जिसके कारण बंधे का अस्तित्‍व संकट में पड गया है।

यूपीपीसीएल के डीपीएम एके द्विवेदी का कहना है कि कार्यदायी संस्‍था की ओर से किसी भी प्रकार की लापरवाही नहीं बरती गई है। प्रशासन ने बताया कि प्रभावित गांवों के लोगों को सुरक्षित बाहर निकाल लिया गया है। कई गांवों के लोगों को बंधे पर ही रखा जा रहा है जबकि कुछ को दूसरे स्‍थानों पर भेजा गया है। हालांकि प्रभावित ग्रामीणों का कहना है कि शिविरों में प्रशासन की ओर से अभी किसी तरह की मदद नहीं पहुंचायी गई है।

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