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जल संकट: दिल्ली दुनिया में दूसरे नंबर पर

देश की राजधानी दिल्ली पानी की कमी से जूझ रहे दुनिया के 20 शहरों में दूसरे नंबर पर है। जापान की राजधानी तोक्यो इस मामले में नंबर एक पर है। इतना ही नहीं इस सूची में दिल्ली के अलावा भारत के चार शहर...

जल संकट: दिल्ली दुनिया में दूसरे नंबर पर
लाइव हिन्दुस्तान टीमSat, 21 Mar 2015 05:44 PM
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देश की राजधानी दिल्ली पानी की कमी से जूझ रहे दुनिया के 20 शहरों में दूसरे नंबर पर है। जापान की राजधानी तोक्यो इस मामले में नंबर एक पर है। इतना ही नहीं इस सूची में दिल्ली के अलावा भारत के चार शहर कोलकाता, चेन्नई, बंगलुरू और हैदराबाद भी शामिल हैं। चीन के भी कुछ शहर पानी संकट से दो-चार हो रहे हैं। इसमें राजधानी बीजिंग भी है।

क्या कहता है अध्ययन
-नेचर कंजरवेंसी ने साढ़े सात लाख से अधिक आबादी वाले 500 शहरों का जल ढांचे का अध्ययन कर यह निष्कर्ष निकाला है।
-आर्थिक गतिविधियों ( 4.8 खरब अमेरिकी डॉलर अनुमानित) के कारण एक चौथाई बडम्े शहर पानी की कमी से जूझ रहे हैं।
-बड़े शहर दुनिया की कुल भूमि के एक फीसद हिस्से पर बसे हुए हैं। जो शहर आर्थिक रूप से कमजोर होते हैं, उन्हें ज्यादा जल संकट झेलना पड़ रहा है। उन्हें नजदीक के जल स्रोत पर निर्भर करना पड़ता है।
-अध्ययन के मुताबिक कम प्रति व्यक्ति आय वाले शहर औसतन 26 किलोमीटर दूर के जल स्रोत पर निर्भर होते हैं। उच्च प्रति व्यक्ति आय वाले शहर औसतन 57 किलोमीटर दूर स्थित पानी के स्रोत का इस्तेमाल कर लेते हैं।
-बड़े शहर अपनी जरूरत का 78 प्रतिशत पानी सतह स्रोत से प्राप्त करते हैं जो कि काफी दूर स्थित होते हैं। इन शहरों में 1.20 अरब लोग निवास करते हैं। 20 प्रतिशत पानी भूमिगत स्रोत और दो फीसदी जल विलवणीकरण से मिलता है।
-बड़े शहरों को शहरी जल ढांचे से प्रतिदिन 668 अरब लीटर पानी आपूर्ति होती है। इनमें से 504 अरब लीटर पानी सतह स्रोत से मिलता है।

दुनिया के 20 सबसे जल संकट वाले शहर
1.    तोक्यो
2.    दिल्ली
3.    मैक्सिको सिटी
4.    शंघाई
5.    बीजिंग
6.    कोलकाता
7.    कराची
8.    लास एजेंलिस
9.    रिओ डि जेनरिओ
10.    मॉस्को
11.    इस्तांबुल
12.    शेनङोन
13.    चोंगकिंग
14.    लीमा
15.    लंदन
16.    वुहान
17.    तियानजिन
18.    चेन्नई
19.    बंगलुरू
20.    हैदराबाद

पानी की किल्लत से जूझते शहरों का हाल
-32 प्रमुख भारतीय शहरों में से 22 पानी की किल्लत से जूझ रहे, जमशेदपुर में सबसे ज्यादा संकट, मांग और आपूर्ति में है 70 फीसदी के करीब अंतर
-30 फीसदी कम पानी की आपूर्ति होती है फरीदाबाद, मेरठ, कानपुर, आसनसोल, धनबाद, विशाखापत्तनम, मदुरै और हैदराबाद जैसे शहरों में
-415.8 करोडम् लीटर रोजाना है दिल्ली में पानी की जरूरत, लेकिन 315.6 करोडम् लीटर की ही हो पाती है आपूर्ति
-52 फीसदी अधिक पानी की आपूर्ति होती है नागपुर में, लुधियाना, राजकोट, कोलकाता, इलाहाबाद और नासिक जैसे शहर भी पानी की जरूरत पूरी करने में सक्षम?

इनफोग्राफिक (मैप के जरिये)

देश में जल संकट
भारत में जनसंख्या वृद्धि और अनियंत्रित शहरीकरण से जल संकट गहरा गया है। आइए जानें कुछ तथ्य

देश की जनसंख्या
एक अरब 20 करोड
-54%देश में जल संकट कहीं गंभीर तो कहीं अत्याधिक गंभीर स्थिति में
-2030 में पानी की मांग के कारण राष्ट्रीय आपूर्ति में गिरावट 50 % नीचे जाने की आशंका

सतह पर पानी संकट

कम  सतह पर उपलब्ध वार्षिक जल में से 10% से भी कम उपयोग होता है
कम-मध्यम  10-20% इस्तेमाल
मध्यम-उच्च   20-40%उपयोग
उच्च  40-80% इस्तेमाल
अत्याधिक  80% से ज्यादा उपयोग

-एक अरब लोग ऐसे इलाकों में  रहते हैं जहां पानी की गुणवत्ता बेहद खराब है
-4000 से ज्यादा भूमिगत जल स्रोतों में जलस्तर लगातार कम हो रहा है

नई दिल्ली
अहमदाबाद
मुंबई
हैदराबाद
चेन्नई
कोलकाता
स्रोत: वाटर रिसोर्स इंस्टीट्यूट/यूएन

वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम ने भी
जल संकट को शीर्ष वैश्विक खतरा माना


ऐसा शायद पहली बार हुआ है कि वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम ने जल संकट को 10 शीर्ष वैश्विक खतरों में सबसे ऊपर रखा है। जनवरी में दावोस में हुई बैठक में फोरम की 10वीं ग्लोबल रिस्क रिपोर्ट में जल संकट को शामिल किया गया।

एक दशक पहले ग्लोबल रिस्क रिपोर्ट में वित्तीय चिंताएं और चीन की प्रगति, स्टॉक और बांड्स में तेज बदलाव, तेल बाजार के उतार-चढ़ाव इत्यादि को जगह मिलती थी। इस बार फोरम ने पानी की कमी को तरजीह दी है

2015 की वैश्विक रिपोर्ट में खतरे
10 खतरे संभावना के आधार पर            10 खतरे असर के आधार पर
1.    अंतरराज्य संघर्ष                    1. जल संकट
2.    एक्सट्रीम वेदर                     2. संक्रामक बीमारियां
3.    राष्ट्रीय शासन की विफलता            3. म्जनसंहार के हथियार
4.    राज्य की विफलता या संकट            4. अंतरराज्य संघर्ष
5.    बेरोजगारी या अल्प रोजगार            5. जलवायु परिवर्तन अनुकूलन में विफलता
6.    प्राकृतिक विनाश                    6. ऊर्जा मूल्य आघात
7.    जलवायु परिवर्तन अनुकूलन में विफलता    7. संकट सूचना ढांचे का ढहना
8.    जल संकट                        8. वित्तीय संकट
9.    डाटा धोखाधड़ी या चोरी            9. बेरोजगारी या अल्प रोजगार   
10. साइबर हमला                    10. जैवविविधता हानि और पारिस्थितिकी तंत्र की विफलता

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