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आप भी जाने व्यापमं से जुडे कुछ रोचक तथ्य

मध्य प्रदेश के व्यावसायिक परीक्षा मंडल को संक्षिप्त में व्यापमं कहते हैं। व्यापमं उन पदों पर भर्तियां करता है जो मध्य प्रदेश लोक सेवा आयोग नहीं करता। व्यापमं में प्री मेडिकल टेस्ट, प्री इंजीनियरिंग...

आप भी जाने व्यापमं से जुडे कुछ रोचक तथ्य
लाइव हिन्दुस्तान टीमSun, 05 Jul 2015 06:35 PM
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मध्य प्रदेश के व्यावसायिक परीक्षा मंडल को संक्षिप्त में व्यापमं कहते हैं। व्यापमं उन पदों पर भर्तियां करता है जो मध्य प्रदेश लोक सेवा आयोग नहीं करता। व्यापमं में प्री मेडिकल टेस्ट, प्री इंजीनियरिंग टेस्ट और कई सरकारी नौकरियों के लिए परीक्षाएं करवाता है। व्यापमं के जरिये फर्जी तरीके से शिक्षकों के अलावा कांस्टेबल, आपूर्ति अधिकारी व नापतौल निरीक्षक आदि की भर्तियां की गईं।

1000 नौकरियां और 500 मेडिकल सीटें संदेह के घेरे में
घोटाले में दो प्रकार का भ्रष्टाचार हुआ। पहला प्रवेश परीक्षाओं में फर्जीवाड़ा और दूसरा भर्ती परीक्षा में गड़बड़ी। आरोप है कि करीब एक हजार लोगों को फर्जीवाड़ा कर नौकरी दिलाई गई। पांच सौ को फर्जी तरीके से मेडिकल में प्रवेश कराया गया। मेडिकल प्रवेश के लिए अपात्र विद्यार्थियों को पास किया गया। परीक्षार्थियों ने कापियां ब्लैंक छोड़ी और बाद में गोले काले किए गए। पास विद्यार्थियों को पीएमटी के जरिये मेडिकल सीटों पर प्रवेश मिला।

हाईकोर्ट की निगरानी में जांच
हाईकोर्ट की निगरानी में पूर्व जस्टिस चंद्रभूषण की अध्यक्षता में एसटीएफ मामले की जांच कर रही है। एसटीएफ की मदद के लिए ग्वालियर, इंदौर, जबलपुर, सागर, रीवां और भोपाल में एसआईटी गठित की गई है। एसआईटी के मामलों की अलग से सुनवाई के लिए ग्वालियर में ही चार विशेष कोर्ट स्थापित की गई हैं। शेष पांच जिलों में एक-एक विशेष अदालत हैं।

घोटाले से जुड़े 25 लोगों की मौत
एसटीएफ ने 26 जून 2015 हाईकोर्ट को सौंपी रिपोर्ट में घोटाले से जुड़े 23 गवाहों, आरोपियों और व्हिसलब्लोअर्स की मौत की बात कही है। उसके बाद दो और मौतें हो चुकी हैं। हालांकि कई लोग इसे 44 तक बता रहे हैं।

दो हजार से गिरफ्तार, 600 की तलाश
आरोप है कि कंप्यूटर सूची में हेराफेरी करके अनुचित तरीके से अपात्र लोगों को भर्ती कराया गया। व्यापमं घोटाले में अब तक करीब दो हजार लोग गिरफ्तार किए जा चुके हैं। 600 से ज्यादा की तलाश की जा रही है। इसमें कई नेता, अफसर और अफसरों-नेताओं के रिश्तेदारों के नाम अभियुक्तों की सूची में हैं।

घोटाला सुर्खियों में छाया
7 जुलाई 2013: इंदौर में पीएमटी परीक्षा देते फर्जी छात्र पकड़े गए। घोटाले में पहला मुकदमा दर्ज।
अगस्त 2013: अगस्त में जगदीश सागर की गिरफ्तारी। घोटाले में हाईप्रोफाइल लोगों के नाम उजागर हुए।
अप्रैल 2014: हाई कोर्ट के पूर्व जस्टिस चंद्रभूषण की अध्यक्षता में बनी एसआईटी कर रही घोटाले की जांच।
24 फरवरी 2015: मध्य प्रदेश के राज्यपाल राम नरेश यादव के खिलाफ घोटाले में एफआईआर दर्ज की गई।
06 मई 2015: व्यापमं घोटाले में राज्यपाल राम नरेश यादव के खिलाफ एफआईआर अदालत ने रद्द की।
26 जून 2015: मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने व्यापमं घोटाले में घोटाले से जुड़ी मौतों के मामले का संज्ञान लिया।

मौतों पर मचा बवाल
26 मार्च 2015
घोटाले में आरोपी और पूर्व राज्यपाल रामनरेश यादव के बेटे शैलेष की लखनऊ में मौत
28 फरवरी 2015
सरकारी पशु चिकित्सक नरेंद्र सिंह तोमर की इंदौर जेल में संदिग्ध परिस्थितियों में मौत
07 जनवरी 2012
मेडिकल भर्ती घोटाले के सरगना डा. जगदीश सागर की नजदीकी नम्रता डोमार की मौत
04 जुलाई 2014
घोटाले की जांच में जुटे जबलपुर मेडिकल कॉलेज के डीन डा. साकले की जलकर मौत

सलाखों में घोटालेबाज
लक्ष्मीकांत शर्मा, पूर्व शिक्षामंत्री : जेल में बंद शर्मा ने घोटाले को पूरा संरक्षण दिया। पंकज त्रिवेदी को कंट्रोलर बनाया।
पंकज त्रिवेदी, पूर्व परीक्षा नियंत्रक : व्यापमं में परीक्षा कंट्रोलर बनकर भर्ती-प्रवेश पूरे घोटाले की पूरी रचना की।
विनोद भंडारी, अरविंदो कॉलेज के मालिक: भंडारी ने निजी मेडिकल कॉलेज में सीटें बेचने का खेल शुरू किया।
सुधीर शर्मा, शर्मा का ओएसडी : घोटाले में फर्जी भर्ती कराई। रसूखदारों से रिश्तों का फायदा उठाया। अब जेल में।
नितिन महेंद्रा, पूर्व सिस्टम एनालिस्ट: व्यापमं में कंप्यूटर प्रोग्राम की तकनीकी गड़बडियां की। तकनीकी खेल कर सबूत मिटाएं।
ओपी शुक्ला, शर्मा का ओएसडी: शर्मा का ओएसडी रहते हुए घोटाले को संरक्षित करने व फर्जीवाड़े में लिंक का काम किया।
जगदीश सागर, फर्जी परीक्षार्थी लाने वाला: फर्जी परीक्षार्थियों को परीक्षा दिलाई। पास कराने के ठेके लिए। अभी जेल में है।

घोटाले का भंडाफोड़ करने वाले
पारस सकलेचा: पूर्व विधायक पारस सकलेचा व्यापमं का मुद्दा विधानसभा के अंदर लेकर गए।
डॉ. आनंद राय: राय ने पीएमटी में फर्जी परीक्षार्थी की शिकायत की। फिर फर्जी प्रवेश व भर्ती की जांच शुरू हुई।
आशीष चतुर्वेदी : डीमेट घोटाले में सबसे पहले चतुर्वेदी ने ही ग्वालियर में फर्जी परीक्षार्थी होने की शिकायत की।
अजय दुबे: घोटाले में पर्यवेक्षकों की तैनाती में गड़बड़ी उजागर की। व्यापमं प्रमुखों की भूमिका उजागर की।

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