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सच्चिदानंदन ने साहित्य अकादमी से इस्तीफा दिया

प्रसिद्ध कवि और लेखक सच्चिदानंदन ने साहित्य अकादमी की सभी समितियों से इस्तीफा दे दिया है, वहीं कई और लेखकों के पुरस्कार लौटाने का सिलसिला जारी है। सच्चिदानंदन अकादमी की आम परिषद, कार्यकारी बोर्ड...

सच्चिदानंदन ने साहित्य अकादमी से इस्तीफा दिया
लाइव हिन्दुस्तान टीमSat, 10 Oct 2015 08:18 PM
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प्रसिद्ध कवि और लेखक सच्चिदानंदन ने साहित्य अकादमी की सभी समितियों से इस्तीफा दे दिया है, वहीं कई और लेखकों के पुरस्कार लौटाने का सिलसिला जारी है।

सच्चिदानंदन अकादमी की आम परिषद, कार्यकारी बोर्ड और वित्तीय समिति के सदस्य थे। लेखक ने कहा, मुझे यह कहते हुए बुरा लग रहा है कि अकादमी लेखकों के साथ खड़े होने की अपनी जिम्मेदारी और संविधान द्वारा सुनिश्चित अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को बनाए रखने में नाकाम रहा है। ऐसा लगता है कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का देश में हर दिन उल्लंघन हो रहा है।

मलयाली भाषा में आधुनिक कविता क्षेत्र की दिग्गज हस्ती सच्चिदानंदन के हमेशा से धर्मनिरपेक्ष विचार रहे हैं और वे पर्यावरण एवं मानवाधिकारों जैसे मुद्दों का समर्थन करते हैं। उन्होंने कहा, इससे पहले जब एमएम कलबुर्गी की हत्या हुई थी तब मैंने अकादमी को पत्र लिखा था। उन्होंने बेंगलुरु में शोकसभा आयोजित की लेकिन उन्हें राष्ट्रीय स्तर पर कुछ करना चाहिए था। मैंने उनसे प्रस्ताव पारित करने का अनुरोध किया जिसका कोई जवाब नहीं मिला।

सारा जोसेफ ने अकादमी पुरस्कार लौटाया
केरल की प्रख्यात मलयाली नारीवादी उपन्यासकार सारा जोसेफ ने लेखकों पर हाल में हुए हमले पर चुप्पी का विरोध करते हुए अपना साहित्य अकादमी पुरस्कार लौटाने का फैसला किया, जबकि कवि के सच्चिदानंदन और अपनी लघुकथा के लिए मशहूर लेखक पीके परक्कादावू ने साहित्य अकादमी की सदस्यता छोड़ने का निर्णय किया। सारा को अपने उपन्यास आलाहाउदे पेनमक्कल (सर्वपिता ईश्वर की बेटियां) के लिए इस प्रतिष्ठित पुरस्कार से नवाजा गया था। मलयाली उपन्यासकार ने कहा कि वह जल्द ही कूरियर से साहित्य अकादमी पुरस्कार की नकद राशि और प्रशस्ति पत्र वापस भेज देंगी। सारा ने त्रिशूर से बताया, मोदी सरकार के सत्ता में आने के बाद देश में जीवन के सभी क्षेत्रों में खतरनाक स्थिति बनाई गई है। धार्मिक सद्भाव और देश की धर्मनिरपेक्षता जबर्दस्त खतरे में है।

रहमान भी लौटाएंगे पुरस्कार
उर्दू उपन्यासकार रहमान अब्बास ने कहा कि वे साहित्य अकादमी और महाराष्ट्र राज्य उर्दू साहित्य अकादमी पुरस्कार लौटा देंगे। अब्बास ने मुंबई में कहा, दादरी में पीट-पीटकर एक व्यक्ति की हत्या किए जाने से उर्दू लेखक समुदाय नाखुश है। इसलिए मैंने पुरस्कार को लौटाने का फैसला किया है। कुछ अन्य उर्दू लेखक हैं जो प्रदर्शन में शामिल होना चाहते हैं। यह उचित समय है कि हम अपने ईद-गिर्द अन्याय के खिलाफ खड़े हों। उन्होंने कहा, शनिवार को कार्यालय बंद था इसलिए मैं सोमवार को पुरस्कार लौटाउंगा। अब्बास को साल 2011 में पुरस्कार मिला था।
कई लेखक पुरस्कार लौटाने के विरोध में

ज्ञानपीठ पुरस्कार विजेता एमटी वासुदेवन नायर ने कहा कि वह किसी भी विरोध प्रदर्शन के खिलाफ नहीं हैं लेकिन उन्होंने साफ किया कि वह अपना साहित्य सम्मान लौटाने नहीं जा रहे हैं जो उन्हें 1968 में दिया गया था। प्रख्यात कवि सुगाता कुमारी ने भी कहा कि लेखकों के विरोध को जताने के लिए पुरस्कार लौटाने का कोई मायने नहीं है। उपन्यासकार पी़ वलसाला ने कहा, कुछ लोगों को पुरस्कार के लिए चयनित किया जाता है और कुछ अन्य इसे खरीदते हैं। जिन्होंने भी पुरस्कार खरीदा है वे इसे अब लौटा रहे हैं। वलसाला की यह टिप्पणी विवाद पैदा कर सकती है। जाने माने लेखक यूए खादर ने कहा, सम्मान लौटाना किसी के लिए भी खुद को झुकाना होगा और कहा कि वह किसी राजनीतिक वर्ग के तुष्टिकरण के लिए पुरस्कार लौटाने में यकीन नहीं करते।

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