नीति आयोग की बैठक में बोले पीएम मोदी, कहा- ग्रामीण विकास पर नहीं होनी चाहिए राजनीति
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने राज्यों से गरीबी को समाप्त करने के लिए मिलकर काम करने का आह्वान करते हुये आज कहा कि भूमि अधिग्रहण पर बने राजनीतिक गतिरोध से स्कूलों, अस्पतालों, सडकों और सिंचाई परियोजना...
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने राज्यों से गरीबी को समाप्त करने के लिए मिलकर काम करने का आह्वान करते हुये आज कहा कि भूमि अधिग्रहण पर बने राजनीतिक गतिरोध से स्कूलों, अस्पतालों, सडकों और सिंचाई परियोजना सहित ग्रामीण विकास बुरी तरह प्रभावित हो रहा है।
मोदी ने भूमि अधिग्रहण विधेयक पर राज्यों के साथ विचार-विमर्श के लिए आयोजित नीति आयोग की संचालन परिषद की दूसरी बैठक को संबोधित करते हुये कहा कि जहाँ तक क्षतिपूर्ति में बढोतरी का सवाल है इस पर केन्द्र और राज्यों के बीच मतभेद नहीं है।
उन्होंने अपनी सरकार के दृष्टिकोण का उल्लेख करते हुये कहा कि राज्यों को टीम इंडिया के तहत विकास की गतिविधियों पर ध्यान केन्द्रित करना चाहिये। मोदी ने कहा कि मुख्यमंत्री अक्सर केन्द्र से राज्यों के साथ मशविरा कर नीतियाँ बनाने की बात कहते हैं।
प्रधानमंत्री ने कहा कि पिछले एक साल के दौरान इस मायने में शुरुआत अच्छी रही है कि योजना बनाने की प्रक्रिया में राज्यों को शामिल किया जा रहा है और राज्यों के मुख्यमंत्री नीति आयोग के उप समूहों का नेतृत्व कर रहे हैं। मोदी ने कहा कि उनकी सरकार बनने के बाद कई राज्यों ने भूमि अधिग्रहण कानून 2०13 को लागू करने पर चिंता जतायी थी और कई का मानना था कि इस कानून की वजह से विकास प्रभावित हो रहा है। कुछ मुख्यमंत्रियों ने इस कानून को बदलने का आग्रह किया और इसके लिए पत्र भी भेजे।
मोदी ने कहा कि राज्यों की चिंताओं के मद्देनजर ही भूमि अधिग्रहण अध्यादेश लाया गया और यह सुनिश्चित किया गया कि किसानों को बेहतर क्षतिपूर्ति मिले।
प्रधानमंत्री ने मुख्यमंत्रियों से भूमि अधिग्रहण पर बने गतिरोध का राजनीतिक समाधान निकालने की अपील करते हुये कहा कि इससे ग्रामीण क्षेत्रों में विकास को बल मिलेगा और किसान समृद्ध होंगे। उन्होंने कहा कि यह मामला अभी संसद की स्थायी समिति के पास है और मानसून सत्र के शुरू होने से पहले इस पर फिर से राज्यों की राय जानने की आवश्यकता महसूस की जा रही है।
इसके बाद मुख्यमंत्रियों ने अपनी राय रखी। प्रधानमंत्री नीति आयोग की संचालन परिषद के अध्यक्ष हैं और सभी मुख्यमंत्री एवं संघ शासित प्रदेशों के उपराज्यपाल इसके सदस्य हैं। इस दूसरी बैठक में हालाँकि कांग्रेस शासित नौ राज्यों के मुख्यमंत्रियों के साथ ही ओडिशा, आँध्र प्रदेश, पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री ने भाग नहीं लिया।