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पीसीएस प्री के सात प्रश्नों के उत्तर गलत

लोक सेवा आयोग की पीसीएस प्री 2015 सामान्य अध्ययन (जीएस) प्रथम प्रश्न पत्र में पूछे गए सात प्रश्नों के जवाब पर सवाल खड़ा हो गया है। इनमें से दो प्रश्नों के उत्तर में दिए गए चार में से दो-दो विकल्प सही...

पीसीएस प्री के सात प्रश्नों के उत्तर गलत
लाइव हिन्दुस्तान टीमWed, 27 May 2015 12:43 PM
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लोक सेवा आयोग की पीसीएस प्री 2015 सामान्य अध्ययन (जीएस) प्रथम प्रश्न पत्र में पूछे गए सात प्रश्नों के जवाब पर सवाल खड़ा हो गया है। इनमें से दो प्रश्नों के उत्तर में दिए गए चार में से दो-दो विकल्प सही बताए जा रहे हैं। एक प्रश्न को तकनीकी तौर पर गलत बताया जा रहा है जबकि चार प्रश्नों के आयोग की ओर से जारी किए गए उत्तर को गलत ठहराया जा रहा है।

आपत्ति मांगी: जीएस प्रश्न पत्र की परीक्षा 29 मार्च को हुई थी लेकिन पेपर लीक होने के कारण आयोग ने परीक्षा निरस्त कर 10 मई को फिर से कराई थी। आयोग ने सोमवार को इस पेपर में पूछे गए प्रश्नों की उत्तर कुंजी जारी करते हुए प्रतियोगियों से 29 मई तक आपत्ति देने को कहा है। प्रतियोगी पत्रिकाओं के प्रकाशक समसामयिक घटनाचक्र ने उत्तरों पर आपत्ति की है।

परीक्षा में एक प्रश्न था कि बासमती चावल के दाने पकाने पर लंबे हो जाते हैं क्योंकि उसमें बाहुल्य है? आयोग ने इसका उत्तर लाइसिन दिया है जबकि प्रकाशक का दावा है कि ऐसी स्थिति एमाइलोज की अधिकता के कारण होती है।

एक प्रश्न के उत्तर में आयोग ने लौंग को पत्तियां माना है जबकि प्रकाशक का दावा है कि लौंग सूखी हुई पुष्प कलिका है।

आयोग ने पूछा था कि यमन में संचालित ऑपरेशन स्टार्म ऑफ रिजाल्व में निम्न में से कौन से देश ने भाग नहीं लिया है? आयोग इसका उत्तर ओमान दिया है जबकि दावा है कि सही उत्तर पाकिस्तान है।

किस देश में उसके कुल क्षेत्रफल का 30 प्रतिशत से अधिक क्षेत्र राष्ट्रीय पार्क के अंतर्गत आता है? इस प्रश्न का उत्तर आयोग ने इजरायल दिया है जबकि प्रकाशक का दावा है कि सही उत्तर भूटान होगा। इसी तरह  मत देने के अधिकार संबंधी प्रश्न और यूपी की साक्षरता दर पर प्रश्न के उत्तर पर विवाद है।

आयोग ने पीसीएस 2012 की कापियां जला दीं
इलाहाबाद।
लोक सेवा आयोग की परीक्षा को लेकर एक और बखेड़ा खड़ा हो गया है। आयोग ने आरटीआई के तहत पीसीएस मेन्स 2012 की कॉपी देखने के लिए आवेदन करने वाले एक प्रतियोगी को भेजे गए जवाब में कहा है कि कॉपी संरक्षित रखने की निर्धारित समय सीमा समाप्त होने के कारण इसकी कॉपियों को 20 मार्च 2015 को नष्ट कर दिया गया है।

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