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मूडीज़ ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को दी है ये बड़ी चेतावनी

गोमांस और अन्य मुद्दों से फैले तनाव का हवाला देते हुए वैश्विक क्रेडिट रेटिंग एजेंसी मूडीज की विश्लेषण इकाई ने कहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को अपनी पार्टी के सदस्यों पर लगाम लगाना चाहिए नहीं तो...

मूडीज़ ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को दी है ये बड़ी चेतावनी
एजेंसीSat, 31 Oct 2015 08:13 AM
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गोमांस और अन्य मुद्दों से फैले तनाव का हवाला देते हुए वैश्विक क्रेडिट रेटिंग एजेंसी मूडीज की विश्लेषण इकाई ने कहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को अपनी पार्टी के सदस्यों पर लगाम लगाना चाहिए नहीं तो उनके लिए घरेलू और वैश्विक स्तर पर विश्वसनीयता खोने का खतरा है।

मूडीज ऐनेलिटिक्स ने एक रपट में कहा कि भाजपा का राज्य सभा में बहुमत नहीं है इसलिए सुधारों की दष्टि से महत्वपूर्ण कई विधेयक पारित नहीं हो पा रहे और विपक्ष का रवैया अवरोधक की तरह है। लेकिन हाल में सरकार ने भी स्वयं अपने लिए कोई अच्छा काम नहीं किया क्योंकि भाजपा के कई सदस्य विवादित टिप्पणी करते रहे।

मूडीज ने कहा मोदी ने आम तौर पर राष्ट्रवादी तत्वों की टिप्पणियों से अपने आप को दूर रखा है पर विभिन्न अल्पसंख्यक समुदायों को उन्मादी तरीके से उकसाने से सामुदायिक तनाव पैदा हुए हैं। मूडीज ने कहा हिंसा बढने से सरकार को राज्य सभा में और कड़े प्रतिरोध का सामना करना पड़ेगा और ऐसे में वहां आर्थिक नीति भटक जाएगी। मोदी को अपने पार्टी सदस्यों पर लगाम रखना चाहिए नहीं तो घरेलू और अंतरराष्ट्रीय विश्वसनीयता खत्म होने का जोखिम है।

रपट में कहा गया मोदी को अपने पार्टी सदस्यों पर नियंत्रण रखना चाहिए नहीं तो घरेलू एवं वैश्विक विश्वसनीयता खोने का जोखिम है। मूडीज कार्पोरेशन की आर्थिक अनुसंधान एवं विश्लेषण शाखा मूडीज ऐनेलिटिक्स भारत के हालिया राजनीतिक विवादों पर टिप्पणी करने वाली पहली प्रमुख वैश्विक संस्था है। मूडीज ऐनेलिटिक्स ने कहा इसकी टिप्पणी स्वतंत्र है और मूडीज कार्पोरेशन की अनुषंगी साख निर्धारण एजेंसी मूडीज इन्वेस्टर्स सर्विस इंक के विचारों जाहिर नहीं करती।

मूडीज ऐनेलिटिक्स ने अपनी रपट भारत का परिदृश्य: संभावनाओं की तलाश में कहा कि बिहार में हो रहा है विधानसभा चुनाव मोदी के नेतृत्व के लिए महत्वपूर्ण होगा। एजेंसी ने कहा बिहार में भाजपा की सरकार नहीं है इसलिए यहां जीतने से राज्य सभा में बहुमत प्राप्त करने में मदद मिलेगी। कुल मिलाकर यह अभी साफ नहीं है कि भारत सुधार के दावे का पूरा कर सकता है या नहीं या अपनी वद्धि की संभावनाओं को प्राप्त कर सकता है या नहीं। निस्संदेह कई तरह के राजनीतिक नतीजे सफल की सीमा तय करेंगे।

मूडीज ने अनुमान जताया है कि सितंबर की तिमाही में भारत के सकल घरेलू उत्पाद की वद्धि दर 7.3 प्रतिशत रहेगी जबकि पूरे वित्त वर्ष के दौरान 7.6 प्रतिशत रहेगी। रपट में हालांकि आगाह किया गया कि भारतीय शेयर बाजार भी घरेलू रुझान में नरमी से प्रभावित होंगे और प्रमुख सुधार नहीं हो पाने के कारण आशावाद खत्म हुआ है।

रपट में कहा गया नयी सरकार से शेयर बाजार आए नए उत्साह के बाद से सेंसेक्स करीब 11 प्रतिशत गिर चुका है। लेकिन प्रमुख आर्थिक सुधार में नरमी से आशावाद कम हुआ है। मूडीज ने कहा मुख्य आर्थिक सुधार से आर्थिक वद्धि बढ़ सकती है क्योंकि इनसे भारत की उत्पादन क्षमता बढ़ेगी। इनमें भूमि अधिग्रहण विधेयक, वस्तु एवं सेवा कर विधेयक और संशोधित श्रम कानून शामिल हैं। इनके 2015 में संसद में पारित होने की संभावना नहीं है लेकिन 2016 में इनके सफल होने की गुंजाइश है।

ब्याज दर के मामले में एजेंसी ने कहा कि कम ब्याज दर से अल्पकालिक स्तर पर अर्थव्यवस्था को बढ़ावा मिलेगा लेकिन दीर्घकालिक स्तर पर संभावित वद्धि के स्तर पर पहुंचने के लिए सुधार कार्यक्रम जरूरी हैं। रिजर्व बैंक ने इस साल सुधार की शुरुआत की और रेपो दर में 1.25 प्रतिशत की कटौती की। मूडीज ने कहा कि वैश्विक वद्धि में नरमी भारतीय निर्यातकों के लिए बड़ी बाधा साबित होगी और 2015 में निर्यात में हुई गिरावट 2016 में भी जारी रहेगी।

रपट में कहा वैश्विक वद्धि और नरमी आती है तो भारत में चालू खाते के घाटे में हाल में आया संतुलन नए दबाव में आ सकता है। अब तक कच्चे तेल में नरमी से व्यापार संतुलन सुधरा है। लेकिन कीमत बढ़ने से यदि आपूर्ति का पुनर्संतुलन होता है तो इससे व्यापार संतुलन गड़बड़ा सकता है।

मूडीज ने कहा आरबीआई भारत के बैंकिंग और वित्तीय ढांचे में सुधार पर लगातार विचार कर रहा है। हमारा मानना है कि भारत में पूर्ण पूंजी खाता उदारीकरण अनिवार्य है। एजेंसी ने कहा यह अगले दो से चार साल में हो सकता है। एक मुक्त पूंजी खाता भारतीय कंपनियों विदेशी बाजारों में बड़ी पहुंच प्रदान करेगा, ऋण लागत घटेगी और ऋण वद्धि में मदद करेगा जो निवेश बढ़ाने का मुख्य अवयव है।

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