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अब रूस भी चखेगा दशहरी और चौसा का स्वाद

इस बार रूस भी दशहरी और चौसा आम का स्वाद चखेगा। मंडी परिषद प्रदेश के दशहरी और चौसा किस्म के आम को रूस के बाजारों में उतारने जा रहा है। इसके लिए राजधानी के मलिहाबाद स्थित मैंगो पैक हाउस में तैयारियां...

अब रूस भी चखेगा दशहरी और चौसा का स्वाद
लाइव हिन्दुस्तान टीमTue, 02 Jun 2015 08:52 AM
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इस बार रूस भी दशहरी और चौसा आम का स्वाद चखेगा। मंडी परिषद प्रदेश के दशहरी और चौसा किस्म के आम को रूस के बाजारों में उतारने जा रहा है। इसके लिए राजधानी के मलिहाबाद स्थित मैंगो पैक हाउस में तैयारियां शुरू हो गई है। मंडी परिषद की एक्सपोर्ट सेल को पूरी तरह से सक्रिय कर दिया गया है जो विदेशों के कारोबारियों से संपर्क कर उनसे डिमांड ले रहे हैं। पहले चरण में दशहरी का निर्यात किया जाएगा और उसके बाद सहारनपुर और लखनऊ का चौसा भी रूस भेजा जाएगा।

मंडी परिषद ने बीते वर्ष दुबई और सऊदी अरब समेत खाड़ी के अन्य देशों में भारी मात्रा में आम का निर्यात किया था। कुछ टन आम आॠस्ट्रेलिया, अमेरिका, जापान और सिंगापुर आदि देशों को भी भेजे गए थे। कुल मिलाकर पिछले वर्ष प्रदेश से इन देशों को 170 टन से अधिक आम निर्यात किया गया था। इससे उत्साहित मण्डी परिषद ने रूस को भी दशहरी के निर्यात की योजना तैयार की है। इसके तहत मुंबई व दिल्ली के निर्यातकों से संपर्क किया गया है जो देश में बने अन्य उत्पाद रूस को निर्यात करते हैं।

मंडी निदेशक अनूप यादव कहते हैं कि 2013 में प्रदेश से मात्र 37 टन आमों का निर्यात किया जा सका था लेकिन पिछले साल खाड़ी के देशों के साथ-साथ अमेरिका, आस्ट्रेलिया जापान, मलेशिया व सिंगापुर में हमने बीते वर्ष से पांच गुना अधिक आम निर्यात किया जो बड़ी उपलब्धि थी। ऐसा बेहतर क्वालिटी और मार्केटिंग के बल पर किया गया। इस बार हमने रूस को भी आम निर्यात करने की तैयारी की है।

इसके अलावा खाड़ी के देशों में दशहरी के निर्यात के आंकड़े को और अधिक बढ़ाने के लिये हमने इस महीने के दूसरे सप्ताह में वहां आयोजित होने जा रहे दुबई महोत्सव में दशहरी को बेहतर तरीके से पेश करने की तैयारी है। वहां के प्रसिद्ध लूला सुपर मार्केट में दशहरी की मांग पहले से ही अधिक रही है।

मौसम की बेरुखी से दशहरी 15 दिन लेट
मलिहाबाद के बागवान परवेज खान कहते हैं कि मौसम की बेरुखी की वजह से इस बार आम कम और करीब 15 दिन लेट है। फिर भी यह जहां है उसकी क्वालिटी बेहतर है और विदेशों में क्वालिटी की ही मांग होती है। वहीं बागवान राबिन गुप्ता का कहना है कि कम उत्पादन के कारण देश के अंदर भी बाजारों में दाम अच्छे मिलने के आसार हैं।

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