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केजरीवाल और जंग के बीच एक बार फिर संघर्ष शुरू? बीजेपी-आप भी आए आमने सामने

दिल्ली के उपराज्यपाल नजीब जंग और मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के बीच कटु संघर्ष का एक नया चक्र शुरू हो गया है और जंग ने बिहार के पांच पुलिस अधिकारियों को यहां भ्रष्टाचार रोधी शाखा में शामिल करने के आम...

केजरीवाल और जंग के बीच एक बार फिर संघर्ष शुरू? बीजेपी-आप भी आए आमने सामने
एजेंसीTue, 02 Jun 2015 11:03 PM
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दिल्ली के उपराज्यपाल नजीब जंग और मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के बीच कटु संघर्ष का एक नया चक्र शुरू हो गया है और जंग ने बिहार के पांच पुलिस अधिकारियों को यहां भ्रष्टाचार रोधी शाखा में शामिल करने के आम आदमी पार्टी सरकार के फैसले पर सवाल उठाया है, वहीं दिल्ली सरकार ने इस पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की।

आप सरकार की ओर से मुख्यमंत्री नीतीश कुमार कार्यालय को किये गए अनुरोध के बाद बिहार पुलिस के तीन निरीक्षक और दो उप निरीक्षक दिल्ली सरकार के एसीबी में शामिल हो गए हैं। ये नियुक्तियां ऐसे समय पर हुई हैं जब केजरीवाल सरकार और उपराज्यपाल के बीच अधिकारक्षेत्र को लेकर तीखी जंग जारी है।

इस कदम पर कड़ी प्रतिक्रिया जताते हुए उपराज्यपाल के कार्यालय ने एक तरह से बिहार के पांच पुलिसकर्मियों की नियुक्ति को खारिज कर दिया और इस बात की पुष्टि की कि भ्रष्टाचार निरोधक शाखा उनके प्रत्यक्ष अधिकार और नियंत्रण में है।

उपराज्यपाल के कार्यालय ने एक बयान में कहा, भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो दिल्ली, एक थाने के रूप में उपराज्यपाल के नियंत्रण और देखरेख में काम करता है। इस स्थिति को गृह मंत्रालय द्वारा अधिसूचना संख्या 1368 (ई) के माध्यम से भी स्पष्ट कर दिया गया है।

बयान में यह भी कहा गया है कि उपराज्यपाल को अभी तक बिहार पुलिसकर्मियों की नियुक्ति से जुड़ा कोई प्रस्ताव नहीं मिला है।

उपराज्यपाल कार्यालय ने कहा, उपराज्यपाल कार्यालय को अभी तक दिल्ली पुलिस से बाहर के ऐसे पुलिसकर्मियों की प्रतिनियुक्ति का कोई प्रस्ताव नहीं मिला है। जैसे ही उपराज्यपाल को दिल्ली सरकार के सतर्कता विभाग से औपचारिक प्रस्ताव मिलता है, उसका पूरा अध्ययन किया जाएगा।

दूसरी ओर, आप सरकार ने इस पहल को जायज ठहराते हुए उपराज्यपाल और केंद्र पर तीखा प्रहार किया और कहा कि उसे एसीबी में अधिकारियों को तैनात करने का पूरा अधिकार है।

दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा, दिल्ली सरकार को देश के किसी भी हिस्से से पुलिस अधिकारियों को लेने का पूरा अधिकार है। पहले भी ऐसा हुआ है। केंद्र सरकार सभी चीजों का मजाक बना रही है। कभी वे उपराज्यपाल को कहते हैं कि अधिकारी उनके मातहत आते हैं और कभी उपराज्यपाल से यह कहने को कहते हैं कि एसीबी उनके तहत आते हैं।

सिसोदिया ने कहा कि वे संविधान, अदालत के आदेश और कानून का पालन नहीं कर रहे हैं। वे एक दिन कहेंगे कि वे उपराज्यपाल के जरिये व्हाइट हाउस चलायेंगे।

आप के नेता आशुतोष ने कहा कि ऐसा लगता है कि अगर ओबामा को कुछ जांच करनी हो तो उन्हें भी दिल्ली के उपराज्यपाल से अनुमति लेनी होगी। और यह तब हो रहा है जब दिल्ली उच्च न्यायालय और दिल्ली विधानसभा का प्रस्ताव सामने है।

आप ने कहा कि भ्रष्टाचार निरोधक शाखा उपराज्यपाल के अधिकार क्षेत्र से बाहर है। पूरे केंद्र सरकार के तंत्र को एसीबी को कमजोर बनाने में लगाया गया है।

आशुतोष ने कहा कि अगर एसीबी मजबूत होती है तो किसे डरने की जरूरत है केवल उन लोगों को जो भ्रष्ट हैं। उपराज्यपाल का विरोध जनभावना के खिलाफ है।

वहीं, भाजपा ने उपराज्यपाल का समर्थन करते हुए आप सरकार पर अनावश्यक तौर पर उपराज्यपाल से संघर्ष करने और संविधान का पालन नहीं करने का आरोप लगाया।

दिल्ली प्रदेश भाजपा के अध्यक्ष सतीश उपाध्याय ने कहा,संविधान और स्थापित नियमों एवं प्रक्रियाओं को दरकिनार करते हुए आप सरकार सत्ता नहीं चला सकती है।

सतीश उपाध्याय ने कहा कि इस विषय में उपराज्यपाल का कहना ठीक है कि एसीबी में अधिकारियों को लेने के लिए उनसे अनुमति प्राप्त करना जरूरी है।

दिल्ली सरकार ने हाल ही में बिहार पुलिस अधिकारियों के लिए अनुरोध भेजा था। इसके बाद बिहार पुलिस के पांच अधिकारियों को भेज दिया गया था।

आप सरकार और उपराज्यपाल के बीच शक्तियों को लेकर लड़ाई चल रही है। केंद्र ने 21 मई को एक अधिसूचना जारी कर उपराज्यपाल का पक्ष लिया था।

विधानसभा के एक सत्र में हाल ही में मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल ने कहा था कि उपराज्यपाल नजीब जंग को ज्यादा शक्तियां देने वाली अधिसूचना दरअसल देश को तानाशाही की ओर ले जाने के एक प्रयोग का हिस्सा है।

अधिसूचना में केंद्र ने उपराज्यपाल को नौकरशाहों की नियुक्ति के मामले में संपूर्ण शक्तियां दे दी थीं। इसके साथ ही केंद्र ने यह स्पष्ट कर दिया था कि उन्हें पुलिस और लोक व्यवस्था के मुद्दों पर मुख्यमंत्री के साथ विचार विमर्श करने की जरूरत नहीं है।

हाल ही में केजरीवाल ने बिहार, उत्तरप्रदेश और पश्चिम बंगाल समेत कई राज्यों के मुख्यमंत्रियों से कहा था कि केंद्र द्वारा अधिसूचना के जरिए उपराज्यपाल को अपना समर्थन देना भारतीय संघीय ढांचे के लिए नुकसानदेह है और यह दूसरे राज्यों के साथ भी हो सकता है।

दिल्ली पुलिस के कुछ जवानों को हाल ही में भ्रष्टाचार रोधी इकाई द्वारा कथित तौर पर रिश्वत लेने के मामले में गिरफ्तार किए जाने के बाद से दिल्ली पुलिस और एसीबी के बीच तनातनी की स्थिति पैदा हो गई थी।

बिहार से पुलिसकर्मियों को शामिल करने के कदम को एसीबी की निर्भरता दिल्ली पुलिस पर कम करने के कदम के रूप में भी देखा जा सकता है। अब तक इसके सभी अधिकारी दिल्ली पुलिस से ही लिए जाते थे।

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