बीटेक के बाद कॉरपोरेट नहीं, सेना को तरजीह
सेना में अफसरों की कमी की खबरों के बीच एक राहत पहुंचाने वाली खबर भी है। इंजीनियरिंग की डिग्री लेने वाले नौजवान कॉरपोरेट क्षेत्र के मोटे पैकेज को छोड़कर सेना में भर्ती होने को तरजीह दे रहे हैं। कुछ समय...
सेना में अफसरों की कमी की खबरों के बीच एक राहत पहुंचाने वाली खबर भी है। इंजीनियरिंग की डिग्री लेने वाले नौजवान कॉरपोरेट क्षेत्र के मोटे पैकेज को छोड़कर सेना में भर्ती होने को तरजीह दे रहे हैं। कुछ समय पूर्व आईआईटी, एनआईटी से बीटेक डिग्रीधारियों के बड़े पैमाने पर डीआरडीओ में जाने की खबरें आई थी, जिन्हें हिन्दुस्तान ने प्रमुखता से प्रकाशित किया था। अब दिल्ली के एक इंजीनियरिंग कालेज के 40 बीटेक छात्रों का सेना की यूनिवर्सिटी एंट्री स्कीम (यूईएस) में बतौर अधिकारी चयन हुआ है।
सैन्य बलों में बीटेक डिग्रीधारियों की सीधे एंट्री होती है। तीनों सेनाएं अपनी-अपनी जरूरत के हिसाब से भर्ती करती हैं। इंद्रप्रस्थ विश्वविद्यालय के तहत आने वाले इंजीनियरिंग कालेज एचएमआर इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी एंड मैनेजमेंट, हमीदपुर के 2015 के बैच 40 बीटेक छात्रों ने एक साथ यह परीक्षा पास की है। इसमें सिविल, मैकेनिकल, इलेक्ट्रानिक एंड कम्युनिकेशन, कंप्यूटर साइंस आदि के छात्र शामिल हैं। देशव्यापी परीक्षा में एक कालेज के 40 बच्चों की सफलता बड़ी उपलब्धि है।
कालेज के निदेशक (ट्रेनिंग एवं प्लेसमेंट) विलफ्रेड पीटर्स ने हिन्दुस्तान को बताया कि इस इस वर्ष 424 छात्रों को विभिन्न कंपनियों में रोजगार मिला है जिसमें 102 छात्रों को इंफोसिस एवं 42 छात्रों को डैल कंपनी ने लिया है। लेकिन उससे भी बड़े गौरव की बात कालेज के लिए यह है कि 40 छात्रों को यूनिवर्सिटी एंट्री स्कीम के तहत सेना में जाने का मौका मिला है। पीटर्स के अनुसार इन छात्रों के इंटरव्यू एवं मेडिकल की प्रक्रिया अंतिम चरण में है और उन्हें पूरी उम्मीद है कि ये सभी छात्र इन औपचारिकताओं में भी खरे उतरेंगे। पीटर्स के अनुसार संभवत यह किसी कालेज के लिए रिकार्ड है।
बता दें कि यूनिवर्सिटी एंट्री स्कीम के इंजीनियरिंग ग्रेजुएट को सेना में सीधे लेफ्टिनेंट के पद पर तकनीकी शाखाओं में नियुक्ति दी जाती है। जो छात्र एनडीए के जरिये सेना में भर्ती होने से चूक जाते हैं, उनके लिए बीटेक करने के बाद यह सेना में एंट्री का यह एक और अच्छा मौका होता है।