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पाकिस्तानी जेलों में 71 का कोई भारतीय युद्धबंदी जीवित नहीं: केंद्र

सरकार ने कहा है कि 1971 से पाकिस्तान की जेलो में बंद 54 भारतीय युद्धबंदियों में से कोई भी जीवित नहीं है। हम मान रहे हैं कि उनकी मृत्यु हो चुकी है क्योंकि पाकिस्तान अपनी जेलों में उनकी मौजूदगी से...

पाकिस्तानी जेलों में 71 का कोई भारतीय युद्धबंदी जीवित नहीं: केंद्र
लाइव हिन्दुस्तान टीमTue, 01 Sep 2015 09:01 PM
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सरकार ने कहा है कि 1971 से पाकिस्तान की जेलो में बंद 54 भारतीय युद्धबंदियों में से कोई भी जीवित नहीं है। हम मान रहे हैं कि उनकी मृत्यु हो चुकी है क्योंकि पाकिस्तान अपनी जेलों में उनकी मौजूदगी से इनकार करता आ रहा है। हम समझते हैं सभी का निधन हो चुका हैं।

विदेश और रक्षा मंत्रालय ने मंगलवार को यह जवाब जस्टिस टीएस ठाकुर और के जोसेफ की पीठ के समक्ष दिया। कोर्ट ने सवाल किया था कि क्या वे अभी जीवित हैं, हमें बताइये, उनकी स्थिति के बारे में सरकार की क्या समझ है। क्या वे जीवित हैं या मर गए हैं।

पीठ ने केंद्र से कहा कि यदि ऐसा है तो इन युद्धबंदियों के आश्रितों को वेतन और सेवानिवृत्ति के पूरे लाभ दिए जाएं। इस पर सालिसिटर जनरल ने कहा कि यह किया जा रहा है।

रक्षा मंत्रालय के हलफनामे के विवरण का हवाला देते हुये सालिसिटर जनरल ने कहा कि इन 54 लापता रक्षाकर्मियों की स्थिति के बारे में, समझा जाता है कि वे पाकिस्तान की जेलों में हैं, सही स्थिति की जानकारी नहीं है। इन 54 कार्मियों में से भारतीय सेना के तीन कर्मियों के संबंध में कोई सेवा विवरण उपलब्ध नहीं है।

इन युद्धबंदियों का मामला अंतरराष्ट्रीय अदालत में नहीं ले जाने पर रंजीत कुमार ने कहा कि पाकिस्तान के साथ सशस्त्र टकराव होने की स्थिति में भारत खुद को अंतरराष्ट्रीय न्यायालय के अधिकार क्षेत्र के समक्ष पेश नहीं सकता।

पीठ ने जब दोनों देशों के बीच जल विवाद को अंतरराष्ट्रीय न्यायालय में ले जाने का जिक्र किया तो सालिसिटर जनरल ने कहा कि वैसे भी पाकिस्तान के इस तरह के प्रयास को एक बार भारत सफलता पूर्वक विफल कर चुका है।

पीठ ने भारतीय युद्धबंदियों, कारगिल युद्ध के दौरान कैप्टन सौरव कालिया के साथ की गई बर्बरता और 2013 में पाकिस्तानी सेना द्वारा दो भारतीय सैनिकों का सिर काटने और उनके शव को क्षत विक्षत करने के मामले में अंतरराष्ट्रीय न्यायालय जाने का केंद्र को निर्देश देने के लिये दायर तीन याचिकाओं पर सुनवाई स्थगित कर दी।

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