महिलाएं संभाल रहीं दिल्ली-एनसीआर के मॉल
देश में सूचीबद्ध कई कंपनियों को अपने बोर्ड के लिए महिला निदेशक खोजने में पसीने छूट गए, लेकिन कुछ कारोबार ऐसे हैं जिन्हें महिलाएं बखूबी चला रही हैं- वह है मॉल का कारोबार। दिल्ली-एनसीआर के लगभग सभी...
देश में सूचीबद्ध कई कंपनियों को अपने बोर्ड के लिए महिला निदेशक खोजने में पसीने छूट गए, लेकिन कुछ कारोबार ऐसे हैं जिन्हें महिलाएं बखूबी चला रही हैं- वह है मॉल का कारोबार।
दिल्ली-एनसीआर के लगभग सभी सफल मॉल की मुखिया महिलाएं ही हैं। चाहे वह साकेत का सेलेक्ट सिटी वॉक हो या गुड़गांव और बसंत कुंज का एंबिएंस मॉल अथवा डीएलएफ इंपोरियो या नोएडा का मॉल ऑफ इंडिया सभी की नेतृत्व महिलाएं ही कर रही हैं। डीएलएफ मॉल ऑफ इंडिया की वरिष्ठ उपाध्यक्ष पुष्पा बेक्टर मॉल के परिचालन और लीजिंग का कार्य देखती हैं। डीएलएफ मॉल ऑफ इंडिया खुलते समय कंपनी का दावा था कि यह देश का सबसे बड़ा मॉल होगा। बेक्टर ने इससे पहले डीएलएफ प्रोमेनाड को विकसित किया, इसके बाद उन्हें मॉल ऑफ इंडिया भेज दिया गया। इसी तरह वसंतकुंज और गुड़गांव के एंबिएंस मॉल की प्रमुख दीप्ति गोयल हैं। दीप्ति एक आर्किटेक्ट हैं, वह कहती हैं- अन्य कारोबार की तरह ही मॉल की अपनी चुनौतियां और मांग होती है। एक महिला इस कारोबार के संतुलन को बेहतर तरीके से समझती है। दीप्ति का कहना है कि मॉल का कारोबार अब सिर्फ लेन-देन ही नहीं रह गया है बल्कि इसमें आज की जरूरतों को समझकर कल का विश्लेषण करना होता है। दीप्ति के हिसाब से एक आर्किटेक्ट होने की वजह से एक ही समय में स्थान को समझकर योजना बनाने और उसके प्रभाव का आकलन करने में काफी मदद मिलती है। ऐसी ही एक दिग्गज डिनाज मधुकर हैं, जो डीएलएफ एंपोरियो और डीएलएफ प्रोमेनाड की वरिष्ठ उपाध्यक्ष हैं। डिनाज का
कहना है कि एक लग्जरी मॉल होने के बावजूद वहां औसतन हर महीने लगभग 10 लाख फुटफॉल होता है।