वक्त पर फ्लैट नहीं तो मांग सकते हैं हर्जाना
अगर आपने फ्लैट बुक कराया है। तय रकम का भुगतान भी कर दिया गया है। बावजूद इसके निर्धारित समय पर आपको फ्लैट पर कब्जा नहीं दिया जाता, तो आप इसके एवज में हर्जाना पाने के हकदार हैं। ऐसे ही दो अलग-अलग...
अगर आपने फ्लैट बुक कराया है। तय रकम का भुगतान भी कर दिया गया है। बावजूद इसके निर्धारित समय पर आपको फ्लैट पर कब्जा नहीं दिया जाता, तो आप इसके एवज में हर्जाना पाने के हकदार हैं। ऐसे ही दो अलग-अलग मामलों में उपभोक्ता अदालत ने फ्लैट पर कब्जा देने में देरी करने पर बिल्डर कंपनी पर प्रतिमाह के हिसाब से जुर्माना लगाया है।
अदालत ने बिल्डर कंपनी को कहा है कि वह पांच रुपचे स्कॉवायर फीट के हिसाब से फ्लैट के भीतर के कुल माप 15 सौ स्कॉवायर फीट का उपभोक्ताओं को हर माह हर्जाना दे। पूर्वी दिल्ली स्थित उपभोक्ता विवाद निपटारा फोरम के अध्यक्ष एन ए जैदी एवं सदस्य पूनम मल्होत्रा की पीठ ने बिल्डर कंपनी को कहा है कि वह 45 दिन के भीतर दोनों फ्लैट मालिकों संतोष जैन एवं राजेश को हर्जाना देना शुरू कर दे। अन्यथा इस रकम पर दस फीसदी का ब्याज भी बिल्डर कंपनी को देना होगा। हर्जाना रकम का भुगतान कब्जा दिए जाने तक जारी रहेगा।
इसके अलावा उपभोक्ता अदालत ने बिल्डर कंपनी को फ्लैट पर मालिकाना हक रखने वाली महिला संतोष जैन व राजेश को 60 हजार रुपये की अतिरिक्त राशि के भुगतान के आदेश भी दिए गए हैं। यह राशि उपभोक्ताओं को मानसिक व शारीरिक प्रताड़ना एवं मुकदमा खर्च की भरपाई के रूप में दी गई है।
परियोजना पर काम जारी होने की हुई पुष्टि: इन शिकायतपत्रों पर सुनवाई के दौरान अदालत में इस बात की पुष्टि हुई कि जिस परियोजना के तहत दोनों उपभोक्ताओं ने दिल्ली से यह फ्लैट बुक कराए थे, उन पर अभी भी काम जारी है। अभी फ्लैटों पर कब्जा देने में थोड़ा समय लगेगा। अदालत ने माना कि हर्जाना रकम की भरपाई से उपभोक्ता को राहत दी गई है। साथ ही अदालत ने यह भी कहा है कि इससे बिल्डर कंपनी को सबक भी मिलेगा।
सरकारी परियोजना पर भी लागू होता है कानून: कानून के जानकारों का कहना है कि यदि सरकारी परियोजनाओं में भी उपभोक्ता को कब्जे में देरी अथवा किसी अन्य तरह की असुविधा व सेवा में कोताही का सामना करना पड़ता है जो कि निर्धारित नियमों का पालन न करने की वजह से हुई है। उसके लिए उपभोक्ता हर्जाना रकम पाने के लिए सरकार के खिलाफ उपभोक्ता अदालत में जा सकता है।
नौ साल पहले बुक कराया था तीन बेडरूम का फ्लैट
करोलबाग निवासी संतोष जैन औरं द्वारका निवासी राजेश ने अधिवक्ता संजीव निरवानी के माध्यम से उपभोक्ता अदालत में दो अलग-अलग शिकायतपत्र दाखिल किए थे। इनका कहना था कि इन्होंने मैसर्स एम टेक डेवलपर्स लिमिटेड के अखबार में छपे विज्ञापन के आधार पर अगस्त 2006 में भिवाड़ी राजस्थान में 3 बेडरूम का फ्लैट बुक कराया था। बिल्डर कंपनी की तरफ से 2006 से 2009 के बीच उनसे 7 लाख 58 हजार रुपये की रकम अलग-अलग वसूल की गई। आपसी करार में कंपनी ने वादा किया कि वह 12 सितंबर 2011 को फ्लैट पर कब्जा दे देंगे, लेकिन आदेश होने तक कंपनी ने फ्लैट पर दोनों उपभोक्ताओं पर कब्जा नहीं दिया है।