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कश्मीर: मृतकों की संख्या 42, तनावपूर्ण हालात के बीच मीडिया ब्लैकआउट

कश्मीर घाटी में हिजबुल कमांडर बुरहान वानी की भारतीय सुरक्षा बलों के हाथों मौत के बाद भड़की हिंसा अभी भी जारी है और माहौल तनावपूर्ण बना हुआ है। राज्य सरकार ने हालातों को देखते हुए कई स्थानीय समाचार...

कश्मीर: मृतकों की संख्या 42, तनावपूर्ण हालात के बीच मीडिया ब्लैकआउट
एजेंसीSun, 17 Jul 2016 10:01 AM
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कश्मीर घाटी में हिजबुल कमांडर बुरहान वानी की भारतीय सुरक्षा बलों के हाथों मौत के बाद भड़की हिंसा अभी भी जारी है और माहौल तनावपूर्ण बना हुआ है। राज्य सरकार ने हालातों को देखते हुए कई स्थानीय समाचार पत्रों के कार्यालयों पर छापेमारी की और केबल टीवी का प्रसारण भी रोक दिया, जिससे घाटी में मीडिया ब्लैकआउट की स्थिति बन गई है।

मृतकों की संख्या बढ़ी

पुलिस के एक प्रवक्ता ने बताया, ‘‘उत्तरी कश्मीर में कई जगहों पर रुक-रुक कर पथराव की छिटपुट घटनाएं हुईं।’’ कुपवाड़ा जिले के हाटमुला गांव में भीड़ ने एक पुलिस चौकी पर हमला बोल दिया। पुलिस प्रवक्ता ने बताया, ‘‘स्थिति पर नियंत्रण पाने के लिए की गई कार्रवाई में तीन व्यक्ति घायल हुए। घायलों में से एक व्यक्ति की जख्म अधिक होने से मौत हो गई।’’

इसके साथ ही बीते एक सप्ताह में कश्मीर में जारी हिंसक प्रदर्शनों में मृतकों की संख्या बढ़कर 42 हो गई। पुलिस सूत्रों ने बताया कि दक्षिणी कश्मीर के एक गांव में संदिग्ध आतंकवादियों की गोलीबारी में दो व्यक्ति घायल हुए हैं। घायलों में से एक व्यक्ति गिरफ्तार किए गए मृत हिजबुल कमांडर बुरहान वानी के सहयोगी का रिश्तेदार है।

मीडिया ब्लैकआउट

राज्य सरकार ने कश्मीर में चल रहे हिंसक विरोध-प्रदर्शनों की खबर करने पर प्रत्यक्षत: रोकथाम लगाने के उद्देश्य से शुक्रवार रात कई प्रिंटिंग प्रेस पर छापा मारकर उर्दू और अंग्रेजी के बड़े अखबारों की प्रतियां जब्त कर लीं। अखबारों के संपादकों और मालिकों ने इसके बाद एक बैठक में राज्य सरकार की इस कार्रवाई को ‘प्रेस की आजादी पर हमला’ करार दिया और ‘हर कीमत पर इसके खिलाफ लड़ने’ का संकल्प लिया। संपादकों ने एक वक्तव्य जारी कर कहा कि वे राज्य सरकार से इस संबंध में बातचीत करेंगे, लेकिन एक प्रवक्ता ने उन्हें बताया कि ‘घाटी में शांति बहाली को रोकने के लिए गंभीर हिंसा की शंका से अगले तीन दिनों तक सख्त कर्फ्यू लागू रहेगा।’

राज्य सरकार के प्रवक्ता ने श्रीनगर के संपादकों को बताया कि ऐसी परिस्थिति में ‘मीडियाकर्मियों का आवागमन और अखबारों का वितरण नहीं हो सकेगा।’ संपादकों ने सरकार के इस कदम को ‘निंदनीय’ कहा है। सरकार की कार्रवाई की वजह से श्रीनगर के अधिकांश अखबार नहीं छप सके और जिन अखबारों की प्रतियां छप गई थीं उन्हें जब्त कर लिया गया। प्रकाशकों ने अपनी-अपनी वेबसाइटों पर दावा किया कि उनकी मुद्रित प्रतियां जब्त कर ली गईं और प्रिंटिंग प्रेस के लिए काम करने वाले लोगों को गिरफ्तार कर लिया गया।

समाचार पत्र ‘ग्रेटर कश्मीर’ की वेबसाइट की एक रिपोर्ट में कहा गया, ‘‘पुलिसकर्मियों ने ‘ग्रेटर कश्मीर’ के मुद्रण के लिए तैयार की गई प्लेटों और एक उर्दू दैनिक ‘कश्मीर उज्मा’ की 5०,००० मुद्रित प्रतियां जब्त कर लीं तथा जी.के.सी. प्रिंटिंग प्रेस को बंद कर दिया।’’ एक अन्य अंग्रेजी दैनिक ‘कश्मीर रीडर’ ने कहा, ‘‘पुलिस ने ‘कश्मीर रीडर’ की प्रतियां जब्त कर लीं।’’ दैनिक ने कश्मीर रीडर डॉट कॉम पर कहा, ‘‘पुलिस ने शुक्रवार रात दो बजे रांग्रेथ स्थित के.टी प्रिंटिंग प्रेस पर छापा मारकर आठ लोगों को हिरासत में ले लिया और ‘कश्मीर रीडर’ की प्रतियां भी जब्त कर लीं।’’

के.टी. प्रेस घाटी के बड़े पिंटिंग प्रेसों में एक है और कई दैनिक अखबारों जैसे कश्मीर रीडर, तमील-ए-इरशाद, कश्मीर टाइम्स, कश्मीर ऑब्जर्वर, द कश्मीर मॉनीटर, ब्राइटर कश्मीर और कश्मीर ऐज का मुद्रण करता है। एक हॉकर ने कहा, ‘‘जब हम वितरण के लिए समाचर पत्र की प्रतियां लेने गए तो पुलिसकर्मी पहले ही बंडलों को जब्त कर चुके थे। जब हमने उनसे पूछा यह क्यों हो रहा था तो उन लोगों ने हमारे साथ दुव्र्यवहार किया।’’

खराब हैं हालात

मोबाइल नेटवर्क यहां गुरुवार की शाम से निलंबित है और गत 8 जुलाई को हिजबुल कमांडर बुरहान वानी (22) के सुरक्षा बलों के हाथों मारे जाने के बाद से यहां मोबाइल इंटरनेट सेवा भी बंद है। घाटी में शनिवार को सातवें दिन भी अशांति बनी हुई है। अलगाववादियों ने लोगों से सोमवार तक बंद रखने का आह्वान किया है। घाटी में एकमात्र भारत संचार निगम लिमिटेड (बीएसएनएल) की मोबाइल सेवा और इंटरनेट कनेक्टिीविटी के रूप में एकमात्र बीएसएनएल ब्रॉडबैंड सेवा चालू है।

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