जेईई मेन रैंकिंग में बोर्ड परीक्षा का 40 फीसदी वेटेज खत्म
मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने केंद्रीय इंजीनियरिंग संस्थानों में प्रवेश के लिए होने वाले ज्वाइंट एंट्रेस एग्जामिनेशन (जेईई) में अगले साल से बदलाव करने का फैसला लिया है। 2017 से जेईई मेन की रेंकिग में...
मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने केंद्रीय इंजीनियरिंग संस्थानों में प्रवेश के लिए होने वाले ज्वाइंट एंट्रेस एग्जामिनेशन (जेईई) में अगले साल से बदलाव करने का फैसला लिया है। 2017 से जेईई मेन की रेंकिग में बोर्ड परीक्षा के अंकों को 40 फीसदी की वेटेज को खत्म कर दिया गया है। लेकिन 12वीं की बोर्ड परीक्षा में मिलने वाले अंकों को परीक्षा में शामिल होने का प्रमुख आधार बनाया गया है। जेईई मेन की रेंकिग से एनआईटी और अन्य इंजीनियरिंग संस्थानों में प्रवेश होते हैं।
मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने कहा कि इस संबंध में अशोक मिश्रा समिति की सिफारिशों को स्वीकार करते हुए जेईई परीक्षा में कुछ बदलाव किए गए हैं। अगले साल से जेईई परीक्षा में बैठने के लिए छात्र-छात्राओं को 12वीं परीक्षा में कम से कम 75 फीसदी अंक लाने होंगे या फिर अपने बोर्ड के टॉप 20 पर्सेन्टाइल में स्थान पाना होगा। जबकि एससी एवं एसटी उम्मीदवारों के लिए बोर्ड अंकों की सीमा 65 फीसदी रखी गई है।
मौजूदा व्यवस्था के तहत अभी सिर्फ आईआईटी में एडमिशन के लिए 75 फीसदी बोर्ड अंक या टॉप 20 पर्सेन्टाइल में आने की आवश्यकता थी। लेकिन अब इसे संपूर्ण जेईई परीक्षा के लिए कर दिया गया है। अब यह जेईई परीक्षा में बैठने की न्यूनतम आवश्यकता होगी जबकि अभी न्यूनतम अंक सीमा 45 फीसदी होती है जो एआईसीटीई के तय मानकों के अनुरूप है।
अभी आईआईटी में एडमिशन के बाद जो छात्र बच जाते हैं, उनकी रेंकिग जेईई मेन की परीक्षा और बोर्ड परीक्षा से होती है। 60 फीसदी वेटेज जेईई मेन परीक्षा के अंकों की और बाकी 40 फीसदी बोर्ड के अंकों की दी जाती है। लेकिन अब सीधी रेंकिग मेन परीक्षा से होगी तथा बोर्ड की 40 फीसदी वेटेज खत्म कर दी गई है। दरअसल बोर्ड अंक भेजने में देरी करते हैं जिससे इसमें अनावश्यक विलंब होता है। जेईई के बाकी नियम पूर्ववत रहेंगे।