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पत्थरबाजों पर नकेलः Whatsapp से जुटती थी भीड़,इंटरनेट बंद से टूटी कमर

मुठभेड़ स्थलों पर सुरक्षा बलों के अभियानों को बाधित करने के लिए कश्मीर में पथराव करने वालों को जुटाने के लिए तकरीबन 300  व्हाट्सएप  ग्रुप का इस्तेमाल किया जा रहा था। उसमें से 90 फीसदी अब बंद...

पत्थरबाजों पर नकेलः Whatsapp से जुटती थी भीड़,इंटरनेट बंद से टूटी कमर
एजेंसीMon, 24 Apr 2017 11:12 AM
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मुठभेड़ स्थलों पर सुरक्षा बलों के अभियानों को बाधित करने के लिए कश्मीर में पथराव करने वालों को जुटाने के लिए तकरीबन 300  व्हाट्सएप  ग्रुप का इस्तेमाल किया जा रहा था। उसमें से 90 फीसदी अब बंद हो गए हैं। एक पुलिस अधिकारी ने रविवार को यह बात कही।

नाम न बताने की शर्त पर अधिकारी ने कहा, प्रत्येक ग्रुप में तकरीबन 250 सदस्य थे। हमने इन ग्रुप और ग्रुप एडमिनिस्ट्रेटर की पहचान की, जिन्हें पुलिस ने काउंसलिंग के लिए बुलाया था। हमें इस पहल पर अच्छी प्रतिक्रिया मिली। उन्होंने कहा कि पिछले तीन सप्ताह में इन व्हाट्सएप ग्रुप में 90 फीसदी से अधिक को बंद कर दिया गया है।

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इंटरनेट सेवा बंद करने का असर
इंटरनेट सेवाओं को निलंबित करने से मुठभेड़ों के दौरान पथराव पर में कमी आई है। उन्होंने बडगाम जिले में शनिवार की मुठभेड़ के मामले का हवाला दिया। मुठभेड़ में दो आतंकवादियों को मार गिराया गया था। उस दौरान पथराव करने के लिए कुछ ही युवक जुटे थे। 

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मुसीबढ़ बढ़ाते अफवाह 
कश्मीर में अफवाह सुरक्षाबलों को सबसे ज्यादा परेशान कर रही है। सोशल मीडिया पर जैसे ही कोई अफवाह फैलती है, हिंसा शुरू हो जाती है। 10 अप्रैल को तीन दिन के लिए इंटरनेट से जैसे प्रतिबंध हटाया गया सोशल मीडिया पर सुरक्षा बलों के नागरिकों पर कथित अत्याचार के पोस्ट, फोटो और वीडियो की बाढ़ आ गई।

एडमिन्स की हुई काउंसलिंग

 नाम प्रकाशित ना करने की शर्त पर एक अधिकारी ने बताया कि हमने ऐसे वाट्सऐप ग्रुप की पहचान कर उनके एडमिन्स को बुलाकर काउंसलिंग की और उसका अच्छा परिणाम मिला। अधिकारी ने कहा कि बीते तीन हफ्तों में 90 फीसदी से ज्यादा वाट्सऐप ग्रुप बंद हो चुके हैं।

मिले हैं पॉजिटिव रिजल्ट 
शनिवार को बडगाम जिले में आतंकियों के साथ मुठभेड़ क हवाला देते हुए कहा कि इंटरनेट सेवा सस्पेंड करने के पॉजिटिव रिजल्ट मिले हैं इससे पत्थरबाजी पर लगाम लगी है। अधिकारी ने यह भी कहा कि इंटरनेट सेवा ना होने से भीड़ को इकट्ठा करना लगभग नामुमकिन हो चुका है। इससे पहले 10 किलोमीटर दूर से भी युवक कार्रवाई वाली जगह जाते थे।

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