मनरेगा के 10 साल: 10 बड़ी बातें- कैसे बना दुनिया का सबसे बड़ा जॉब सोर्स
पूर्व पीएम मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार की महत्वाकांक्षी मनरेगा कार्यक्रम के मंगलवार को 10 साल पूरे हो गए हैं। 'काम के अधिकार' के तहत इसे राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी कानून के...
पूर्व पीएम मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार की महत्वाकांक्षी मनरेगा कार्यक्रम के मंगलवार को 10 साल पूरे हो गए हैं। 'काम के अधिकार' के तहत इसे राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी कानून के तौर पर लाया गया, जिसमें कम से कम 100 दिनों के रोजगार की गारंटी मिलती है।
इसकी तारीफ विश्व बैंक भी कर चुका है। यह कार्यक्रम क्यों खास है? आइए एक नजर डालते हैं इससे जुड़ी 10 खास बातों पर-
1- मनरेगा की शुरुआत दो फरवरी 2006 को देश के 200 जिलों से की गई थी, जिसे एक अप्रैल 2008 को देशभर के सभी जिलों में लागू कर दिया गया।
2- राष्ट्रपिता के सम्मान में इस कानून के साथ उनका नाम जोड़ दिया गया, जिसके बाद इसका नाम महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी कानून (मनरेगा) हो गया।
3- इसका मकसद 100 दिनों का रोजगार उपलब्ध कराकर ग्रामीण भारत में रहने वाले लोगों के जीवन स्तर को ऊपर उठाना है। साथ ही इसके तहत सड़कों, नहरों, तालाबों और कुओं का निर्माण कराना है।
4- जॉब कार्ड धारक को उसके निवास से पांच किमी के अंदर रोजगार उपलब्ध कराया जाता है। अगर 15 दिनों के अंदर कोई रोजगार नहीं मिलता है तो जॉब कार्ड धारक को बेरोजगारी भत्ता दिया जाता है।
5- इस योजना के तहत आर्थिक सुरक्षा देने के साथ-साथ ग्रामीण परिसंपत्ति तैयार करना भी है। इसके साथ ही पर्यावरण सुरक्षा, ग्रामीण महिलाओें का सशक्तिकरण और ग्रामीणों का शहरों के तरफ पलायन को रोकना भी उद्देश्य है।
6- ग्रामीण विकास मंत्रालय के अनुसार, इस कार्यक्रम के शुरू होने के बाद से इस पर 3,13,844 करोड़ रूपये खर्च हुआ है, जिसमें से 71 प्रतिशत मजदूरी का भुगतान करने में किया गया। इसके तहत 20 प्रतिशत कार्य अनुसूचित जाति वर्ग के मजदूरों और 17 प्रतिशत अनुसूचित जनजाति वर्ग के मजदूरों को प्रदान किया गया।
7-मंत्रालय का कहना है कि मनरेगा में महिला श्रमिकों की संख्या में लगातार वद्धि दर्ज की गई है और 57 प्रतिशत महिलाएं हैं। इस कार्यक्रम के तहत 65 प्रतिशत से ज्यादा काम कृषि एवं इससे जुड़ी गतिविधियों से संबंधित रहा।
8- इस कार्यक्रम में भी भ्रष्टाचार के आरोप लगे। बिहार में 2010 से 2015 के बीच 249 शिकायतें दर्ज की गईं, जिसमें से 13 विशिष्ट प्रकृति की हैं। इसी समय में उत्तर प्रदेश में 263 शिकायतें लंबित हैं जबकि छत्तीसगढ़ में 70 शिकायतें सामने आईं। हालांकि भ्रष्टाचार से निपटने के लिए कुछ जगहों पर सोशल ऑडिट का तरीका अपनाया गया है।
9- 2014 के वर्ल्ड डेवलपमेंट रिपोर्ट में विश्व बैंक ने इस योजना को ग्रामीण विकास का उत्कृष्ट उदाहरण बताया था। भारत सरकार इस योजना को दुनिया का सबसे बेहतरीन महात्वाकांक्षी सामाजिक सुरक्षा और जन रोजगार कार्यक्रम बताती है।
10- इस कार्यक्रम की सफलता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि विश्व बैंक ने 2015 की अपनी रिपोर्ट में इसे दुनिया का सबसे बड़ा जन रोजगार उपलब्ध कराने वाला कार्यक्रम बताया है, जो देश के लगभग 15 फीसदी लोगों को सामाजिक सुरक्षा प्रदान करता है।