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अब्दुल कलाम: सेब की पेटियों में गए न्यूक्लियर बम, अमेरिका भी घबराया

सभी जानते हैं कि भारत के पूर्व राष्ट्रपति डॉ. अब्दुल पाकिर जैनुलआब्दीन कलाम को मिसाइल मैन कहा जाता है। क्या आप जानते हैं कि उन्होंने ही भारत के लिए अग्नि, पृथ्वी जैसी मिसाइलें बनाईं थीं और देश को...

अब्दुल कलाम: सेब की पेटियों में गए न्यूक्लियर बम, अमेरिका भी घबराया
लाइव हिन्दुस्तान टीमWed, 27 Jul 2016 05:32 PM
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सभी जानते हैं कि भारत के पूर्व राष्ट्रपति डॉ. अब्दुल पाकिर जैनुलआब्दीन कलाम को मिसाइल मैन कहा जाता है। क्या आप जानते हैं कि उन्होंने ही भारत के लिए अग्नि, पृथ्वी जैसी मिसाइलें बनाईं थीं और देश को परमाणु शक्ति संपन्न  देशों की कैटेगरी में शामिल कराया। कलाम ने डीआरडीओ और इसरो के साथ काफी दिनों तक काम किया है। उनको देश की सेवा के लिए सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न से भी सम्मानित किया गया था।

अब्दुल कलाम ने एक मछुआरे के घर में जन्म लिया। अख़बार बेचकर पढ़ाई करने वाले कलाम देश के चोटी के वैज्ञानिक बने और फिर सबसे बड़े राष्ट्रपति पद को भी शोभायमान किया। वे करोड़ों युवाओं के प्रेरणास्रोत रहे। अपनी वाक कला से हजारों की भीड़ को मंत्र-मुग्ध करते रहे। युवाओं में नया करने का जोश और हौसला भरते रहे। दो दर्जन किताबों में अपने अनुभव का निचोड़ पेश किया लेकिन अंत तक ट्विटर प्रोफाइल पर खुद को एक 'लर्नर' बताते रहे।

इसरो पहुंचे कलाम
1962 में कलाम इसरो में पहुंचे। इन्हीं के प्रोजेक्ट डायरेक्टर रहते भारत ने अपना पहला स्वदेशी उपग्रह प्रक्षेपण यान एसएलवी-3 बनाया। 1980 में रोहिणी उपग्रह को पृथ्वी की कक्षा के समीप स्थापित किया गया और भारत अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष क्लब का सदस्य बन गया। कलाम ने इसके बाद स्वदेशी गाइडेड मिसाइल को डिजाइन किया। उन्होंने अग्नि और पृथ्वी जैसी मिसाइलें भारतीय तकनीक से बनाईं। 1992 से 1999 तक कलाम रक्षा मंत्री के रक्षा सलाहकार भी रहे। 

कलाम की मेहरबानी से दूसरी बार फिर बुद्ध मुस्कुराए
शायद आप न जानते हों लेकिन 1974 में परमाणु परीक्षण के बाद से ही अमेरिका ने भारत पर कड़े आर्थिक प्रतिबन्ध लगा दिए थे। साल 1999 में 'बुद्ध फिर मुस्कुराए' तो ये कलाम का ही करिश्मा था। बता दें कि कलाम ने ऐसी योजना बने थी कि अमेरिकि उपग्रहों तक को इसकी भनक नहीं लगी। ऑपरेशन शक्ति के दौरान परमाणु बमों को सेब की की पेटियों में रखकर विमान एएन-32 के जरिये पोखरण तक पहुंचाए गए थे। इस पूरे अभियान की कमान जनरल नटराजन के हाथ में थी। 

 

ऐसे बने मिसाइलमैन: 
साल 1982 में कलाम को डीआरडीएल (डिफेंस रिसर्च डेवलपमेंट लेबोरेट्री) का डायरेक्टर बनाया गया। उसी दौरान अन्ना यूनिवर्सिटी ने उन्हें डॉक्टर की उपाधि से सम्मानित किया। कलाम ने तब रक्षामंत्री के वैज्ञानिक सलाहकार डॉ. वीएस अरुणाचलम के साथ इंटीग्रेटेड गाइडेड मिसाइल डेवलपमेंट प्रोग्राम (आईजीएमडीपी) का प्रस्ताव तैयार किया। स्वदेशी मिसाइलों के विकास के लिए कलाम की अध्यक्षता में एक कमेटी बनाई गई।

इसके पहले चरण में जमीन से जमीन पर मध्यम दूरी तक मार करने वाली मिसाइल बनाने पर जोर था। दूसरे चरण में जमीन से हवा में मार करने वाली मिसाइल, टैंकभेदी मिसाइल और रिएंट्री एक्सपेरिमेंट लॉन्च वेहिकल (रेक्स) बनाने का प्रस्ताव था. पृथ्वी, त्रिशूल, आकाश, नाग नाम के मिसाइल बनाए गए. कलाम ने अपने सपने रेक्स को अग्नि नाम दिया। 

 

सबसे पहले सितंबर 1985 में त्रिशूल फिर फरवरी 1988 में पृथ्वी और मई 1989 में अग्नि का परीक्षण किया गया। इसके बाद 1998 में रूस के साथ मिलकर भारत ने सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल बनाने पर काम शुरू किया और ब्रह्मोस प्राइवेट लिमिटेड की स्थापना की गई. ब्रह्मोस को धरती, आसमान और समुद्र कहीं भी दागी जा सकती है। इस सफलता के साथ ही कलाम को मिसाइल मैन के रूप में प्रसिद्धि मिली और उन्हें पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया।

कलाम को 1981 में भारत सरकार ने देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान, पद्म भूषण और फिर, 1990 में पद्म विभूषण और 1997 में भारत रत्न प्रदान किया। भारत के सर्वोच्च पर पर नियुक्ति से पहले भारत रत्न पाने वाले कलाम देश के केवल तीसरे राष्ट्रपति हैं। उनसे पहले यह मुकाम सर्वपल्ली राधाकृष्णन और जाकिर हुसैन ने हासिल किया।
 

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