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महल में कौन!

राजा कृष्णदेव राय ने तेनालीराम पर प्रसन्न होकर उन्हें अपना एक महल एक वर्ष के लिए दे दिया। कुछ दरबारियों को यह बात खल गई। उन्होंने मंत्री और सेनापति के साथ मिलकर अफवाह फैला दी कि उस महल में भूत रहते...

महल में कौन!
लाइव हिन्दुस्तान टीमThu, 23 Mar 2017 02:14 PM
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राजा कृष्णदेव राय ने तेनालीराम पर प्रसन्न होकर उन्हें अपना एक महल एक वर्ष के लिए दे दिया। कुछ दरबारियों को यह बात खल गई। उन्होंने मंत्री और सेनापति के साथ मिलकर अफवाह फैला दी कि उस महल में भूत रहते हैं। यह बात तेनालीराम ने हंसी में टाल दी, मगर उस महल में उन्हें रात बितानी कठिन हो गई। रात भर उन्हें चलते-फिरते अजीब-अजीब आकार दिखाई दिए।
उन्होंने राजा कृष्णदेव राय से शिकायत की, ‘महल में भूत हैं।’ दरबारी हंसने लगे।
राजा ने चुटकी ली, ‘हमने आज तक भूत नहीं देखा। आज हम तुम्हारे कक्ष में रहेंगे और भूत देखेंगे।’ 
रात को राजा और तेनालीराम कक्ष में छिपकर बैठ गए। आधी रात बीत गई। कोई विचित्र घटना नहीं घटी। अचानक कहीं पास में किसी के गिरने की आवाज आई। राजा और तेनालीराम ने देखा कि कुछ काली आकृतियां गिरती-पड़ती भाग रही हैं। राजा तलवार खींचकर गरजे, ‘रुक जाओ, वरना मार डालूंगा।’
आकृतियां रुक गईं। राजा ने गौर से देखा तो चकित रह गए। काले लबादों में सेनापति, राज पुरोहित और उसका पुत्र था। पूछताछ से पता चला कि वही तीनों महल में उत्पात मचवाते थे, ताकि तेनालीराम को राजा की दृष्टि में डरपोक, सनकी और वहमी बना सकें। उस रात तीनों एक टांड पर छिपकर यह देखने-सुनने को बैठे थे। मगर उनको यह पता न था कि तेनालीराम ने वह टांड उसी दिन कच्ची लकड़ी से इस तरह बनवाया था कि अधिक बोझ न संभाल सके। 
राजा ने प्रसन्न होकर वह महल तेनालीराम को सदा के लिए दे दिया। 

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