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नवाब का मटका

जयनगर की एक पड़ोसी रियासत के नवाब से अनबन थी। एक दिन दरबार में उस रियासत का एक दूत आया। उसके पास धातु का एक मटका था। उसने राजा से कहा, ‘हमारे नवाब आपके दरबारियों की ताकत देखना चाहते हैं।...

नवाब का मटका
लाइव हिन्दुस्तान टीमSat, 25 Feb 2017 01:25 PM
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जयनगर की एक पड़ोसी रियासत के नवाब से अनबन थी। एक दिन दरबार में उस रियासत का एक दूत आया। उसके पास धातु का एक मटका था। उसने राजा से कहा, ‘हमारे नवाब आपके दरबारियों की ताकत देखना चाहते हैं। अगर कोई इस मटके को एक बार में तोड़ देगा तो वह हार मान लेंगे।’
    कई दरबारी मटके पर ताकत आजमाने के लिए तैयार हो गए। मटके को वहां रख कर दूत दूर खड़ा हो गया था। तेनालीराम ने राजा से कहा, ‘महाराज, यह मटका सारी प्रजा के सामने फोड़ना चाहिए, ताकि प्रजा साक्षी रहे।’
राजा मान गए। तेनालीराम ने नगर से बाहर का मैदान छांटा। दूत मटका लेकर मैदान में आया। राजा ने सेनापति को इशारा किया। तेनालीराम हाथ जोड़कर बोले, ‘महाराज, मटका धातु से बना है। यह सच्चाई जनता को बताने के लिए दूत महाशय इस मटके पर पहला वार स्वयं करें। वरना जनता कहेगी, हमारे सेनापति ने मिट्टी का मटका फोड़ा है।’ राजा ने नवाब के दूत से मटके पर चोट करने के लिए कहा तो वह घबरा गया। वह मटका छोड़कर भागने लगा, पर पकड़ा गया। तेनालीराम ने कहा, ‘यह मटका नहीं, बम है। नवाब इसे हमारे दरबार में फुड़वाना चाहता था, ताकि उसका आतंक छा जाए।’
      राजा ने तेनालीराम से पूछा, ‘तुमने कैसे जाना कि यह बम है?’ ‘सूंघकर।’ तेनालीराम बोले और मुस्कराने लगे। 
 सभी ने तेनालीराम की सूझबूझ की प्रशंसा की। पड़ोसी नवाब को मुंह की खानी पड़ी। 

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