दिवाली पर सुनो जानवरों की रिक्वेस्ट
इस दिवाली हम सारे जानवर तुम बच्चों से रिक्वेस्ट करते हैं कि दिवाली जरूर मनाना लेकिन हमारा भी ख्याल रखना। बम, चटाई जैसे खतरनाक पटाखों के फूटने पर बहुत सारे बच्चों को भले ही मजा आता हो, लेकिन हम...
इस दिवाली हम सारे जानवर तुम बच्चों से रिक्वेस्ट करते हैं कि दिवाली जरूर मनाना लेकिन हमारा भी ख्याल रखना। बम, चटाई जैसे खतरनाक पटाखों के फूटने पर बहुत सारे बच्चों को भले ही मजा आता हो, लेकिन हम जानवरों को ये पटाखे किसी मुसीबत से कम नहीं लगते।
गौरैया
‘अगर कभी दिवाली के दिन हम आतिशबाजी शुरू होने से पहले अपने घोंसले तक न पहुंच पाएं तो हमारी आफत ही आ जाती है। पटाखों की आवाजों से हम एकदम कन्फ्यूज हो जाती हैं। न ही घोंसले तक का रास्ता याद रहता है, न रुकावटों का अंदाजा। कई बार हमारे घोंसलों में जलते हुए रॉकेट गिरते हैं, जिससे हमारे पंख जल जाते हैं।’
डॉग
‘हमारी सुनने की शक्ति तुमसे कई गुना तेज है, यह तो तुमने स्कूल में पढ़़ा ही होगा। तुम जब किसी के कान में कोई बात कहते हो तो भी हम उसे सुन सकते हैं। तो तुम सोच सकते हो कि तेज बम फूटने की आवाज, जिसे सुनकर तुम कान बंद कर लेते हो, वह हमें कितनी तेज सुनाई देती होगी। अचानक इतनी तेज आवाज सुनाई देने पर कई बार हमें पागलपन का दौरा पड़ जाता है। कभी-कभी हार्ट अटैक भी आ जाता है।’
उल्लू
‘हम तो रात में जागने वाले पक्षी हैं। पटाखों से होने वाले ‘लाइट पॉल्यूशन’ की तरफ किसी का ध्यान नहीं जाता। इतनी रोशनी हमें चकाचौंध कर देती है और हम कई बार खंभों और इमारतों से टकरा जाते हैं। इस रोशनी से हमारा रात में शिकार करने का दायरा कम हो जाता है, जिस वजह से हम भूखे रह जाते हैं।’
खरगोश
‘मैं तो तुम्हारे चिल्लाने से ही डर जाता हूं। फिर सोचो तो ऊन बम जैसे खतरनाक पटाखों से मेरा क्या हाल होता होगा। दिवाली के दिन मैं डर से कांपने लगता हूं। कई बार तो मुझे हार्ट अटैक भी आ जाता है।’
गाय
‘दिवाली की अगली सुबह मैदानों में घास चरते समय मैं बुझे हुए पटाखों में मौजूद खतरनाक केमिकल्स खा लेती हूं, जिससे मेरा पाचनतंत्र खराब हो जाता है।’
ईकोफ्रेंडली पटाखे हो सकते हैं समाधान
तेज आवाज और धुएं वाले पटाखों से परहेज करना चाहिए। अगर जरूरी हो तो बिना शोर और धुएं वाले पटाखे जलाने चाहिए, वह भी बहुत कम ताकि घर के नवजात बच्चों, बुजुर्गों, मरीजों, जानवरों और पर्यावरण को कम से कम नुकसान हो। घर के पालतू जानवरों को दिवाली के दिन घर के अंदर ही रहने दें। उनके कमरों में मोटे पर्दे लगा देने चाहिए, ताकि बाहर का शोर अंदर कम से कम जाए और उन्हें कम से कम परेशानी हो।
(एनिमल रिसर्चर रॉबर्ट सिरिल से प्राप्त जानकारी के आधार पर)