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पहाड़ों पर बनें चिड़ियाघर के इन जानवरों के बारे में जानते हैं आप

क्या तुम जानते हो कि एक चिड़ियाघर ऐसा भी है, जहां सिर्फ पहाड़ पर रहने वाले जानवर ही पाए जाते हैं। ऐसे ही अनोखे जानवरों के बारे में जानते हैं आज ऊंचाई पर बना सबसे बड़ा चिड़ियाघर (पद्मजा नायडू हिम

लाइव हिन्दुस्तान टीमFri, 24 Mar 2017 05:34 PM

क्या तुम जानते हो कि एक चिड़ियाघर ऐसा भी है, जहां सिर्फ पहाड़ पर रहने वाले जानवर ही पाए जाते हैं। ऐसे ही अनोखे जानवरों के बारे में जानते हैं आज

ऊंचाई पर बना सबसे बड़ा चिड़ियाघर
(पद्मजा नायडू हिमालयन जूलॉजिकल पार्क)

यह चिड़ियाघर ‘पहाड़ियों की रानी’ कहे जाने वाले शहर दार्जिलिंग में है। इसे दार्जिलिंग जू भी कहते हैं, जिसकी गिनती भारत के बेहतरीन चिड़ियाघरों में की जाती है। इसे खासतौर पर पहाड़ी क्षेत्रों के पशु-पक्षियों की प्रजातियों को बढ़ावा देने के लिए बनाया गया है। यहां स्नो लेपर्ड, तिब्बती लोमड़ियां, रेड पांडा और न्यूट्स (छिपकली की तरह दिखने वाला जानवर) बड़ी संख्या में हैं। यह नीली भेड़ और सलेटी रंग के मोर का घर भी है। इसे साल 1958 में हिमालयन जूलॉजिकल पार्क के नाम से बनाया गया था। 1975 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने इसका नाम पश्चिम बंगाल की पूर्व गवर्नर पद्मजा नायडू के नाम पर बदल दिया था। यहां आने का सही समय मार्च से जून और सितंबर से जनवरी है। इस समय यहां मौसम साफ होता है और पार्क की सुंदरता देखने लायक होती है। यहां की प्रवेश फीस 20 रुपए है। कैमरा भी ले जा सकते हैं।

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गुफाएं, जहां रहते हैं सी लॉयन
(केव्स ऑफ सी लॉयन्स)

सी लॉयन्स गुफाएं अमेरिका की सबसे बड़ी गुफाएं हैं, जहां स्टेलर सी लॉयन्स बड़ी संख्या में रहते हैं। ओरेगन समुद्र तट के पास इसे साल 1932 में सैंक्चुरी का रूप दिया गया था। सर्दियों में स्टेलर सी लॉयन्स के रहने के लिए यह एक मात्र जगह है। यह सामान्य चिड़ियाघरों की तरह नहीं है। यहां की गुफाओं में सी लॉयन्स हमेशा नहीं होते। इस संरक्षित क्षेत्र में वे अपनी मर्जी से आते-जाते हैं। सर्दियों में यहां इनकी भरमार रहती है। वसंत इनकी ब्रीडिंग का समय होता है। इस समय वे ये गुफाएं छोड़कर समुद्री पहाड़ी क्षेत्रों में चले जाते हैं। यह गुफा 12 मंजिली इमारत जितनी लंबी और फुटबॉल के मैदान जितनी चौड़ी है। समुद्री लहरों के बीच बने प्लेटफॉर्म पर खड़े होकर आप इन गुफाओं और अन्य समुद्री जीव-जन्तुओं को देख सकते हैं। समुद्री पक्षी, चमगादड़, व्हेल, उल्लू, बाल्ड ईगल्स, स्लेटी गिलहरियां, हिरण, पहाड़ी शेर, बत्तखें आदि यहां बड़ी संख्या में देखे जा सकते हैं।

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कोआला के साथ रहते हैं कंगारू
(लोन पाइन कोआला सैंक्चुरी )

भालू जैसा दिखने वाला जानवर है कोआला। दुनिया की सबसे बड़ी और पुरानी कोआला सैंक्चुरी ऑस्ट्रेलिया में है। यहां लगभग 130 कोआला हैं। यह सैंक्चुरी साल 1925 में बनी थी। कोआला के अलावा यहां दूसरे ऑस्ट्रेलियाई जानवर जैसे कंगारू, तोते, रेप्टाइल्स, तस्मानियाई डैविल (आगे से इसका चेहरा कुछ-कुछ चूहे और भालू जैसा होता है, आकार में यह भालू से छोटा होता है) आदि भी हैं।

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