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Mother's Day : मिलिए इन बहादुर बच्चों से, जिन्होंने बचाई अपनी मां की जान

मोइरंगथम सदानंद सिंह, मणिपुर (उम्र 14 साल) 6 मई 2016 को मोइरंगथम ने अपनी सूझ-बूझ से अपनी मां को बिजली का करंट लगने से बचाया। उस दिन लगातार बारिश हो रही थी। उनके घर में लगे इलेक्ट्रिक वॉटर पंप

लाइव हिन्दुस्तान टीमFri, 12 May 2017 05:04 PM

मोइरंगथम सदानंद सिंह, मणिपुर
(उम्र 14 साल)

6 मई 2016 को मोइरंगथम ने अपनी सूझ-बूझ से अपनी मां को बिजली का करंट लगने से बचाया। उस दिन लगातार बारिश हो रही थी। उनके घर में लगे इलेक्ट्रिक वॉटर पंप का कनेक्शन रसोई में लगे मेन सर्किट की एक्सटेंशन कॉर्ड के साथ जुड़ा हुआ था। बारिश की वजह से उसमें शॉर्ट सर्किट हुआ और आग की चिंगारियां निकलने के साथ विस्फोट हुआ। आग लगने के डर से उसकी मां मेन सर्किट का स्विच निकालने लगीं। तो उन्हें बिजली का जोर से झटका लगा। मां की चीख सुन कर मोइरंगथम वहां पहुंचा। उसने बिना किसी देरी के परदे की लकड़ी की रॉड से मेन स्विच बंद किया और अपनी मां का हाथ सर्किट पिन से अलग किया। फिर वह उन्हें तुरंत अस्पताल ले गया और इलाज कराया। कुछ दिनों बाद वह पूरी तरह ठीक हो गईं।

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Mother's Day : मिलिए इन बहादुर बच्चों से, जिन्होंने बचाई अपनी मां की जान

 
अर्जुन सिंह, उत्तराखंड
(उम्र 16 साल)

अर्जुन ने साहस और निर्भीकता के साथ बाघ पर एक औजार से हमला कर अपनी मां को बचाया। यह घटना 16 जुलाई 2014 की है। शाम के समय बाघ उनके घर में घुस आया, जिसे देखकर उसकी मां बेहोश हो गईं। लेकिन अर्जुन डरा नहीं और दूसरे कमरे से फसल काटने वाला एक औजार उठा लाया। उसने दूसरे हाथ में एक लाठी भी ले ली और बड़ी निडरता से बाघ पर हमला किया। बाघ की आवाज सुनकर गांव वाले भी आ गए। तभी बाघ इतनी भीड़ देख कर वहां से भाग खड़ा हुआ।

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दिशांत मेहंदीरत्ता, हरियाणा
(उम्र 12 साल)

4 अप्रैल 2015 को दिशांत ने अपनी सूझबूझ और निडरता से जबरन घर में घुस आए एक बदमाश के चंगुल से अपनी मां को बचाया और उसे पुलिस के हवाले किया। उस दिन दिशांत अपनी मां और छोटे भाई के साथ घर पर था। उसके पापा ऑफिस गए थे, तभी एक आदमी घर पर आया और खुद को पापा का सहकर्मी बताते हुए उसके पापा की कार की चाबी मांगी। दिशांत की मां के मना करने पर उसने मां से टॉयलेट इस्तेमाल करने की अनुमति मांगी। जैसे ही उसकी मां उसे टॉयलेट ले जाने लगीं, तभी उस बदमाश ने जेब से चाकू निकाल कर उनकी गर्दन पर रख दिया और बच्चों को फटाफट कैश और कीमती सामान उसके हवाले करने को कहा। तभी दिशांत को एक उपाय सूझा। वह बदमाश के पैरों पर गिर कर गिड़गिड़ाने लगा। इससे पहले कि वो बदमाश कुछ समझ पाता, दिशांत कुछ ही सेकंड में उठ खड़ा हुआ और बदमाश के हाथ से चाकू छीन कर दूर फेंक दिया। उसके छोटे भाई के एमरजेंसी अलार्म बजाने पर पड़ोसी आ गए और  उस बदमाश को पकड़ कर पुलिस के हवाले किया।

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रेचल मूर के बच्चे, ऑस्ट्रेलिया
(उम्र 4-12 साल)

अप्रैल 2014 में रेचल के पांचों बच्चों ने अपनी मां को अपने पूर्व-पिता की हिंसा से बचाया। 11 अप्रैल की रात को उनके पिता जबरदस्ती घर में घुस आए और मां के साथ झगड़ने लगे। जब उनकी मां ने उनकी बात नहीं मानी तो उन्होंने गुस्से में आकर गोली चला दी। उनकी मां के दाएं कंधे में गोली लगने से वो गिर गईं। मां ने पिता के डर से उन्हें छुपने के लिए कहा था, लेकिन बच्चों से रहा नहीं गया और वे पिता से जूझ पड़े। रेचल के बड़े बेटे ने पिस्तौल छीन ली और उसे बाहर फेंक दिया। सभी बच्चों ने मिल कर उन्हें बांध दिया। रेचल की 9 साल की बेटी ने मां को फर्स्ट एड दी। उनके बच्चों ने पूर्व-पिता को पुलिस के हवाले कर दिया और अपनी मां को अस्पताल ले गए। बच्चों की दिलेरी के लिए ऑस्ट्रेलिया सरकार ने उन्हें वीरता पुरस्कार से सम्मानित किया और घरेलू हिंसा के लिए पिता को 12 साल की जेल की सजा दी।
 

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