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आर्मी ट्रिब्यूनल ने तीन तलाक पर दिया था अहम फैसला

वर्तमान में देशभर में तीन तलाक का मुद्दा खासा अहम हो गया है। सुप्रीम कोर्ट में नियमित रूप से इसकी सुनवाई हो रही है। वहीं आर्मी ट्रिब्यूनल लखनऊ बेंच ने 25 मई 2016 को मामले में स्पष्ट फैसला दिया था।...

आर्मी ट्रिब्यूनल ने तीन तलाक पर दिया था अहम फैसला
लाइव हिन्दुस्तान टीमFri, 19 May 2017 07:40 PM
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वर्तमान में देशभर में तीन तलाक का मुद्दा खासा अहम हो गया है। सुप्रीम कोर्ट में नियमित रूप से इसकी सुनवाई हो रही है। वहीं आर्मी ट्रिब्यूनल लखनऊ बेंच ने 25 मई 2016 को मामले में स्पष्ट फैसला दिया था। इसमें आरोपी पति की ओर से पत्र के माध्यम से दिए गए तीन तलाक को अवैधानिक करार देते हुए पत्नी को भरण पोषण देने को कहा था।

सशस्त्र सेना बल न्यायाधिकरण क्षेत्रीय खंडपीठ (आर्मी ट्रिब्यूनल लखनऊ) के विभागाध्यक्ष न्यायमूर्ति देवी प्रसाद सिंह व प्रशासनिक सदस्य एयर मार्शल अनिल चोपड़ा की खंडपीठ में यह फैसला हुआ था। स्वयं न्यायमूर्ति सिंह ने यहां आयोजित पत्रकार वार्ता में इसका जिक्र किया। घटनाक्रम के मुताबिक बरेली के आंवला निवासी अर्सेजहां की ओर से 28.7.2012 में ट्रिब्यूनल में भरण पोषण के लिए वाद दायर हुआ। कहा कि उसका पति लांसनायक टेलर मो.फरूर उर्फ फारुख खां निवासी मोहनपुरा जिला बरेली आर्मी जाट रेजिमेंट में सेवारत है। 24 अक्टूबर 2009 को उसका मुस्लिम रीति रिवाज के साथ विवाह हुआ। किन्हीं कारणों से हुई अनबन के बाद पति उसे भरण पोषण नहीं दे रहा है।वाद की सुनवाई में लांसनायक फारुख ने कहा कि पत्नी से अनबन के बाद उन्होंने पत्र के माध्यम से उसे तीन बार तलाक कहकर तलाक दे दिया है। अब पत्नी किसी भी प्रकार भरण पोषण की अधिकारी नहीं है। मामले में सुनवाई के बाद ट्रिब्यूनल ने 120 पृष्ठ के आदेश में उक्त तीन तलाक को असंवैधानिक करार दिया। कहा कि देश में रहने वाला हर नागरिक (महिला व पुरुष) संविधान से जुड़ा है। संविधान के तहत उसके अधिकार भी हैं। संवैधानिक अधिकार में धार्मिक कानून दखल नहीं दे सकता है। ट्रिब्यूनल ने तीन माह के एरियर समेत भरण पोषण का भुगतान देने का आदेश दिया था।

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