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अंगों की खराबी से हर वर्ष मरते हैं पांच लाख लोग

हर वर्ष करीब पांच लाख लोगों की मौत शारीरिक अंगों में आई खराबी के कारण होती है। यही नहीं, करीब डेढ़ लाख लोग सालाना सड़क हादसे के शिकार होते हैं। अगर इन लोगों के अंगों को दान कर दिया...

अंगों की खराबी से हर वर्ष मरते हैं पांच लाख लोग
Fri, 26 May 2017 07:51 PM
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हर वर्ष करीब पांच लाख लोगों की मौत शारीरिक अंगों में आई खराबी के कारण होती है। यही नहीं, करीब डेढ़ लाख लोग सालाना सड़क हादसे के शिकार होते हैं। अगर इन लोगों के अंगों को दान कर दिया जाए तो कई जिंदगियां बचाई जा सकती हैं। अंग दान कर लोग मरने के बाद भी दूसरे में जीवित अर्थात अमर हो जाते हैं।

ये बातें गुजरात में अंग दान से जुड़ी संस्था ‘डोनेट लाइफ के निदेशक नीलेश मंडेवाला ने कहीं। वह शुक्रवार को एमडीडीएम कॉलेज के सेमिनार हॉल में ऑर्गन डोनेशन पर आयोजित एक दिवसीय सेमिनार को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि शारीरिक अंग खराब होने पर लोग डायलिसिस और ट्रांसप्लांट का तरीका अपनाते हैं। डायलिसिस में रेगुलर चेकअप कराना पड़ता है, लेकिन ट्रांसप्लांट में क्वालिटी लाइफ मिलती है। किडनी और लिवर दान परिवार के लोग करें तो ज्यादा बेहतर है। अंग दान से ब्रेन हैमरेज होने पर भी लोगों को बचाया जा सकता है। उन्होंने प्रोजेक्टर के माध्यम से अंग दान से जड़ी जानकारी छात्राओं को दी।

उन्होंने कहा कि भारत में 1994 में होटा (ह्यूमन ऑर्गन ट्रांस्लेशन एक्ट) बना। इसके तहत परिवार के सदस्य के साथ अन्य लोग भी कानूनन अंग दान कर सकते हैं। ग्रैंड फादर और ग्रैंड मदर भी अंग दान कर सकें इसके लिए 2001 में इसमें प्रावधान जोड़ा गया। उन्होंने बताया कि उनकी संस्था गुजरात में लोगों के मृत शरीर को लाने और ले जाने का खर्च वहन करने के साथ उनके परिवार को रोजगार दिलाने का भी काम करती है।

स्वागत भाषण और विषय प्रवेश प्राचार्य डॉ. ममता रानी ने किया। उन्होंने कहा कि अंगदान महादान होता है। दूसरे के लिए जिएं इससे बढ़कर हमारे लिए कुछ और नहीं हो सकता। प्राचार्य ने छात्राओं और उपस्थित लोगों को इस अभियान को आगे बढ़ाने की शपथ दिलाई। वहीं, सौर्य चक्र विजेता मनीष मिश्रा ने अंग दान को देश हित में बताया। कहा, शरीर को जलाने व दफनाने से बेहतर है कि इनके अंग किसी के काम आ सकें। मौके पर यूरेका सुपर-30 के डॉ. अजय कुमार, डॉ. शोभा, लेफ्टिनेंट राजेश कुमार रंजन, तपस्या मिश्रा, डॉ. सुशीला सिंह, डॉ. अलका जायसवाल, डॉ. शकिला अजीम, डॉ. नीलम कुमारी, डॉ. नविन कुमार सहित छात्राएं मौजूद थीं।

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