हादसे सपने नहीं तोड़ते, सुधा चंद्रन जैसी सोच से बदलें अपनी भी जिंदगी
सपने देखना नहीं छोड़ना है। भले ही एक हादसा आपका जीवन बदल दे लेकिन आप आगे बढ़ते रहें। जब आपके हाथ पैर सलामत हैं और आप जीवन में चलने लायक हैं तब सफलता जल्दी मिलती है, लेकिन जब आपके शरीर का एक अंग भी...
सपने देखना नहीं छोड़ना है। भले ही एक हादसा आपका जीवन बदल दे लेकिन आप आगे बढ़ते रहें। जब आपके हाथ पैर सलामत हैं और आप जीवन में चलने लायक हैं तब सफलता जल्दी मिलती है, लेकिन जब आपके शरीर का एक अंग भी आपका साथ छोड़ दे फिर भी आप निराश न हों और आगे बढ़ते चले, उसे कहते हैं जज्बा। अपनी जिस्मानी कमी को एक काबलियत में तब्दील करने वाली नृत्यांगना सुधा चंद्रन औरों के लिए ऐसी मिसाल हैं।
लोग अपनी सफलता के किस्से हाथों से लिखते हैं, लेकिन सुधा चंद्रन वो शख्सियत हैं जिन्होंने अपने पैरों से सफलता की कहानी लिखी है। हम आपको उनकी संघर्ष की गाथा नहीं, बल्कि उनकी साहस की कहानी सुनाएंगे।
हादसे में खोया पैर, लेकिन जज्बा नहीं
छोटे में ही सुधा चंद्रन ने एक हादसे में अपने शरीर का एक अंग खो दिया था, साल 1981 में एक दुर्घटना में सुधा का एक पैर हमेशा के लिए जिस्म से जुदा हो गया था। इस हादसे को आज कितने साल हो गए, लेकिन सुधा के चेहरे पर इसकी शिकंज तक नहीं है। वे आज भी कहती हैं कि इस हादसे ने मेरी जिंदगी बदल दी, मुझे अंधेरे में ढकेल दिया, लेकिन वहीं से रोशनी की लौ भी दिखाई दी। आज सुधा चंद्रन एक जानी मानी डांसर हैं।
अनमोल विचार
जीवन के हर हादसे या दुख की घड़ी को वरदान में बदल दें।
अपनी असफलताओं से सफलता का मंत्र लिया और आगे बढ़ती गई।
जो बीत गया वो कल था, पीछे मुड़कर नहीं देखना चाहिए। हमारा अतीत हमारा भविष्य नहीं बनाता है।
सपने देखना कभी नहीं छोड़ना चाहिए। जीवन में कभी भी कुछ भी हो जाए, हमेशा सकारात्मक सोच के साथ चलना चाहिए।
हमारी व्यर्थताएं हमारी शिक्षक होती हैं। हमें उनसे ही सीखना चाहिए।