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पृथ्वी पर आधे से भी ज्यादा पेड़ हुए नष्ट

अमेरिका की येल यूनिवर्सिटी के एक अध्ययन के मुताबिक धरती से करीब आधे से अधिक पेड़ नष्ट हो चुकें है। और जिस रफ़्तार से कटाई जारी है, इससे आने वाले समय में ग्लोबल वार्मिंग गंभीर रूप ले सकती...

पृथ्वी पर आधे से भी ज्यादा पेड़ हुए नष्ट
एजेंसीThu, 03 Sep 2015 07:36 PM
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अमेरिका की येल यूनिवर्सिटी के एक अध्ययन के मुताबिक धरती से करीब आधे से अधिक पेड़ नष्ट हो चुकें है। और जिस रफ़्तार से कटाई जारी है, इससे आने वाले समय में ग्लोबल वार्मिंग गंभीर रूप ले सकती है। इस अध्ययन में यह कहा गया है के पूरी दुनिया में हर साल करीब 15 अरब पेड़ों कि कटाई हो रही है, जबकि नए पेड़ों को लगाने की रफ़्तार 5 अरब पेड़ प्रति वर्ष है। मानव सभ्यता की शुरुआत के समय धरती पर जितने पेड़ थे उसके मुकाबले आज उनकी तादाद सिर्फ 46 फीसदी रह गई है।   
 
फ़िलहाल दुनिया में 422 पेड़ प्रति व्यक्ति है 
येल यूनिवर्सिटी के स्कूल ऑफ फॉरेस्ट्री एंड एन्वायरमेंटल स्टडीज में शोधकर्ता थॉमस क्राउथर ने कहा, धरती पर पेड़ों की तादाद लगभग आधी हो चुकी है। इसका नतीजा हम जलवायु और मानव स्वास्थ्य पर पड़ रहे दुष्प्रभावों में देख रहे हैं। अध्ययन से स्पष्ट हुआ कि दुनियाभर में वनों को बहाल करने के लिए वैश्विक स्तर पर कितने अधिक और तेज प्रयासों की जरूरत है। यह अध्ययन दुनियाभर में फैले चार लाख वनों की उपग्रह से मिली तस्वीरों और जमीनी सर्वेक्षणों पर आधारित है। इसके अनुसार, अभी दुनिया में एक व्यक्ति के मुकाबले करीब 422 पेड़ हैं। लेकिन इससे ज्यादा खुश नहीं हुआ जा सकता। यह अध्ययन ‘नेचर’ जर्नल में छपा है।   
 
दुनियाभर में 30 खरब से ज्यादा पेड़
अध्ययन के अनुसार, दुनियाभर में अभी कुल 30 खरब 40 अरब पेड़ है। इनमें से 13 खरब 90 अरब पेड़ उष्णकटिबंधीय और उपोष्णकटिबंधीय इलाकों में हैं। जबकि समशीतोष्ण जंगलों में 6 खरब 10 अरब और टैगा जंगलों में सात खरब 40 अरब पेड़ हैं। पेड़ों का सर्वाधिक घनत्व टैगा जंगलों में पाया गया है।
 
10 अरब पेड़ पृथ्वी से हुए गायब 
इससे पहले किए गए एक आकलन में दुनियाभर में पेड़ों की कुल संख्या 400 अरब बताई गई थी। लेकिन नए अध्ययन में यह संख्या आठ गुना ज्यादा है। हालांकि पेड़ों के वजूद पर मानवीय गतिविधियों का असर साफ देखा जा रहा है। विशेषज्ञों का अनुमान है कि हर वर्ष 10 अरब पेड़ पृथ्वी से गायब हो रहे हैं।
 
बढ़ती आबादी से वनों पर मार 
विशेषज्ञों का मानना है कि दुनिया की बढ़ती आबादी की मार पेड़ों पर पड़ रही है। आबादी के बढ़ने के कारण खाद्यान्नों की मांग बढ़ रही है जिसके लिए वनों को हटाकर खेती की जा रही है। इमारती लकड़ी की बढ़ती मांग भी वनों के कटने के लिए जिम्मेदार है। विशेषज्ञों का अनुमान है कि करीब 11 हजार वर्ष पूर्व अंतिम हिम युग की समाप्ति के बाद मानव सभ्यता की शुरुआत से अब तक करीब 30 खरब पेड़ काटे जा चुके हैं। क्राउथर ने कहा, एक समय यूरोप पूरी तरह जंगलों से ढका हुआ था लेकिन आज हर तरफ खेत और घास के मैदान दिखते हैं। आज वनों का घनत्व पूरी तरह मानव के नियंत्रण में है।

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