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उत्तर प्रदेश देगा अब आपको बिना गुठली वाले जामुन का मजा

उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ स्थित केन्द्रीय उपोष्ण [sub temprate] बागवानी संस्थान के वैज्ञानिकों ने करीब 10 साल कडे़ परिश्रम के बाद औषधीय गुणों से भरपूर अंगूर के आकार के बिना गुठली वाले जामुन देने...

उत्तर प्रदेश देगा अब आपको बिना गुठली वाले जामुन का मजा
एजेंसीMon, 20 Jul 2015 01:43 PM
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उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ स्थित केन्द्रीय उपोष्ण [sub temprate] बागवानी संस्थान के वैज्ञानिकों ने करीब 10 साल कडे़ परिश्रम के बाद औषधीय गुणों से भरपूर अंगूर के आकार के बिना गुठली वाले जामुन देने वाली पौध तैयार की है।
  
सामान्य तापमान में पांच दिनों तक खराब न होने वाला गुठलीरहित यह जामुन आम जामुन से अधिक स्वादिष्ट और अनेक औषधीय गुणों से भरपूर है। इसका आकार भी सामान्य जामुन से बडा है। इसमें मधुमेह पीडितों को राहत दिलाने वाले तत्वों की बहुतायत होने के साथ ही एंटी आक्सीडेन्ट्स प्रचुर मात्रा में हैं।
    
इस जामुन की खोज करने वाले दल के अध्यक्ष प्रमुख बागवानी वैज्ञानिक ए के सिंह ने बताया कि करीब 10 वर्ष पहले उन्हें नेशनल नेटवर्क प्रोजेक्ट आन अंडरप्जेज्ड फ्रूट्स के तहत उन्हें यह प्रोजेक्ट मिला था। इसके लिए वह और उनके दल ने देश भर की जामुन की करीब 40 प्रजातियों का गहन अध्ययन किया।
 
बीज रहित जामुन के लिए कुछ सर्वश्रेष्ठ प्रजातियों को चुना गया। इनमें उत्तर प्रदेश के चंदौली जिले के पहाडी़ इलाके से चुनी गयी बीज रहित जामुन की प्रजाति प्रमुख है। अनेक प्रयोगों के बाद इन प्रजातियों में से यह संकर प्रजाति तैयार की गयी है।
   
उन्होंने बताया कि बेहद स्वादिष्ट इस बीज रहित जामुन का औसत वजन आठ ग्राम है और इसकी लम्बाई 2.57 सेंटीमीटर और चौडाई 2.18 सेंटीमीटर है। इसमें औसतन 97.9 प्रतिशत गूदा होता है।
सिंह ने बताया कि इसमें टीएसएस 14.47 ओबी, एसकोरबिक एसिड 34.1, एमजी प्रति 100 ग्राम, टैनानिन 0.231 प्रतिशत पाया जाता है। इसमें एन्थ्रोक्सिन 1.56 फीसदी होता है और इसकी कुल एंटी आक्सीडेन्ट वैल्यू 5.54 एमजीएईएसी प्रति ग्राम है।
  
कृषि वैज्ञानिक ने बताया कि बीजरहित होने के कारण इस जामुन की प्रसंस्करण क्षमता बहुत अच्छी है। इसे रुम टेम्परेचर पर पांच दिनों तक रखा जा सकता है जबकि सामान्य प्रजाति के जामुन दो से तीन दिनों तक ही सामान्य तापमान पर रखे जा सकते हैं। इससे ज्यादा रखने पर वह सड़ने लगते हैं।
 
सिंह ने बताया कि संस्थान में इस प्रजाति की पौध काफी संख्या में तैयार कर ली गयी हैं और वे बागवानों तथा किसानों को उपलब्ध करायी जाने लगी हैं। पौध रोपण के बाद पांच या छह वर्षों में इसके पेड फल देने लगते हैं। इसका पेड़ सामान्य आकार का होता है और इसे खेतों,बागों और सडकों के किनारे आसानी से उगाया जा सकता है।
    
संस्थान के निदेशक एस राजन ने बताया कि इस प्रजाति का नाम सीआईएसएचजे-42 रखा गया है। राजन ने बताया कि संस्थान में एक और जामुन की प्रजाति तैयार की गयी है जिसका नाम सीआईएसएचजे-37 है। इस प्रजाति आकार आंवले की तरह होता है। इसका वजन 22 से 24 ग्राम के बीच होता है।

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