भारत में सिकुड़ता जा रहा है मध्यम वर्ग
दुनिया में एक तरफ जहां गरीबी कम होती जा रही है और मध्यम वर्ग व निम्न मध्यम वर्ग की संख्या में इजाफा हो रहा है। वहीं भारत में यह वर्ग सिकुड़ता जा रहा है। प्यू रिसर्च सेंटर की एक नई रिपोर्ट में यह...
दुनिया में एक तरफ जहां गरीबी कम होती जा रही है और मध्यम वर्ग व निम्न मध्यम वर्ग की संख्या में इजाफा हो रहा है। वहीं भारत में यह वर्ग सिकुड़ता जा रहा है। प्यू रिसर्च सेंटर की एक नई रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई। प्यू की नई शोध रिपोर्ट में दावा किया गया है कि दुनिया के कई देशों में गरीबी के स्तर में गिरावट देखी गई है और लोगों की जीवनयापन के साधनों में सुधार आया है।
रिपोर्ट के मुताबिक, 2001 से 2011 में करीब 700 करोड़ लोग गरीबी के दायरे से बाहर निकले हैं। इस दशक में जहां वैश्विक गरीबी में भारी कमी दर्ज की गई, वहीं मध्यम वर्ग के लोगों की आय में भी दोगुनी बढ़ोतरी आंकी गई है। प्यू ने अपने विश्लेषण में बताया कि 2011 में विश्व की 56 प्रतिशत आबादी जहां कम आय के दायरे में दर्ज की गई, वहीं 13 फीसदी आबादी मध्य आय वर्ग के तहत दर्ज की गई। इससे साफ होता है कि 2011 में निम्न वर्ग के लोगों की संख्या काफी अधिक थी और धीरे-धीरे यह सिकुड़न कम होकर मध्यम वर्ग तक पहुंची है।
रिपोर्ट के मुताबिक, 2001 से 2011 के दौरान मध्यम वर्गीय लोगों की जनसंख्या में काफी बढ़ोतरी हुई है। यह बढ़ोतरी खासतौर से चीन, दक्षिण अमेरिका और पूर्वी यूरोप में दर्ज की गई। हालांकि मध्यम वर्ग का दायरा भारत व दक्षिण-पूर्वी एशिया, अफ्रीका और मध्य अमेरिका में बमुश्किल ही बढ़ा है।
प्यू ने बताया कि निम्न वर्ग से जो लोग मध्य वर्ग की तरफ आए हैं, वे अपने रहन-सहन, खानपान का खासा लुत्फ उठा रहे हैं। अध्ययन में बताया गया है कि एक मध्यमवर्गीय व्यक्ति का प्रतिदिन का खर्च 10-20 डॉलर (600 से 1200 रुपये) होता है। ऐसे में अगर उस व्यक्ति के पास चार लोगों का परिवार है, तो उसकी सालाना आय 14,600-29,200 डॉलर (नौ से 18 लाख रुपये) होना अनिवार्य हो जाती है।
रिपोर्ट में बताया गया है कि अमेरिका में अधिकांश जनसंख्या उच्च आय वर्ग के अंतर्गत आती है और 2011 में मात्र 16 फीसदी लोगों ने 20 डॉलर में अपना खर्चा चलाया। प्यू ने कहा कि विकसित और विकासशील देशों के बीच आय एक बड़ी खाई का काम करती है और इसे पाटना आसान बात नहीं है।