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YEAR ENDER: 2016 में सेना ने बदले तेवर तो बौखला उठा पाकिस्तान

साल 2016 की शुरुआत पठानकोट आतंकी हमले से हुई। पर उरी हमले के बाद सेना ने तेवर बदलते हुए पीओके में घुसकर सजिर्कल स्ट्राइक कर डाली। बौखलाए पाकिस्तान की सीमा पार से जारी गोलाबारी का भी मुंहतोड़ जवा

लाइव हिन्दुस्तान टीमMon, 26 Dec 2016 12:58 PM

साल 2016 की शुरुआत पठानकोट आतंकी हमले से हुई। पर उरी हमले के बाद सेना ने तेवर बदलते हुए पीओके में घुसकर सजिर्कल स्ट्राइक कर डाली। बौखलाए पाकिस्तान की सीमा पार से जारी गोलाबारी का भी मुंहतोड़ जवाब दिया गया। पेश है देश की आतंरिक सुरक्षा पर पंकज कुमार पाण्डेय की रिपोर्ट।

साल 2016 भारत की आंतरिक सुरक्षा रणनीति में आक्रामक बदलाव के लिए याद किया जाएगा। 18 सितंबर को उरी सैन्य कैंप पर वीभत्स आतंकी हमले ने भारतीय नेतृत्व और सुरक्षा तंत्र की सोच व रणनीति को पूरी तरह से बदल दिया। देश के सुरक्षा तंत्र को चुनौती देने वाली इस आतंकी वारदात में हमारे 19 जाबांज शहीद हो गए। 

साल के शुरू में ही पाकिस्तानी आतंकियों द्वारा पठानकोट हमले के बाद सहयोग की पेशकश करने वाला पाकिस्तान उरी हमले के दौरान अपना असली रंग दिखाने लगा। पाकिस्तान की बार-बार की दगाबाजी का जवाब भारतीय सैनिकों ने सीमा पार सर्जिकल स्ट्राइक के रूप में दिया। नियंत्रण रेखा पार करके पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में आतंकियों के कैंप नष्ट किए। पहले की कूटनीतिक सोच से अलग आक्रामक रणनीति अपनाते हुए सर्जिकल स्ट्राइक का डीजीएमओ ने बाकायदा ऐलान भी किया।

2016 की प्रमुख आतंकी घटनाएं-

-2 जनवरी को पठानकोट हमला
-25 जून को पम्पोर में हमला
-8 जुलाई 2016 को बुरहान वानी को सुरक्षा बलों ने मौत के घाट उतारा
-8 जुलाई से घाटी में ¨हसा का दौर शुरु हुआ 
-5 अगस्त को कोकराझार में हमला हुआ 14 लोग मारे गए 
-18 सितंबर को उरी में चार आतंकियों ने हमला किया। इस हमले में 19 सैनिक शहीद हो गए। दशक के सबसे बड़े हमलों में से एक था। 
-2 और 3 अक्तूबर 2016 को बारामुला में राष्ट्रीय राइफल्स के कैंप पर हमला किया गया। 
-6 अक्तूबर को हंदवाड़ा में हमला

आगे की स्लाइड्स में पढ़ें सेना के लिए कैसा रहा साल 2016 

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पठानकोट हमले ने दहलाया

दो जनवरी को पठानकोट हवाई अड्डे में चार से छह आतंकियों ने घुसकर हमला किया। पांच जनवरी तक चली इस मुठभेड़ में सात सुरक्षाकर्मियों और एक नागरिक की मौत हो गई। चार आतंकियों को एनएसजी कमांडो ने मुठभेड़ में मार गिराया। यह घटना पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद का सीधा प्रमाण था। पाकिस्तान ने पहली बार माना कि घटना के लिए उसकी जमीन का प्रयोग किया गया। जैश ए मोहम्मद ने हमले की जिम्मेदारी ली।

पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से बातकर जांच में सहयोग का वादा किया। दोनों देशों की संयुक्त जांच पर सहमति बनी। पाकिस्तान का संयुक्त जांच दल जिसमें आईएसआई के सदस्य भी शामिल थे जांच के लिए भारत आए। लेकिन वापस पाकिस्तान जाते ही पाकिस्तानी एजेंसियों के सुर बदल गए। भारतीय जांच एजेंसी एनआईए को पाकिस्तान जाने की अनुमति नहीं दी गई।

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बुरहान की मौत से बढ़ी चुनौती

आंतरिक सुरक्षा के लिए असली चुनौती हिजबुल मुजाहिदीन कमांडर बुरहान वानी की मौत के बाद शुरु हुई। जुलाई में सुरक्षा बलों ने आतंकी कमांडर को मौत के घाट उतारा। इस घटना के बाद कश्मीर के दस जिलों में ¨हसा का दौर शुरु हो गया। लोगों को 90 का दशक याद आने लगा। अलगाववादियों ने पाक खुफिया एजेंसी आईएसआई व हाफिज सईद की शह पर बुरहान की मौत को भुनाने का प्रयास किया। आतंकी कमांडर को शहीद बताया गया।

भारत-अमेरिका के बीच लेमोआ समझौता
भारत और अमेरिका ने 29 अगस्त को रसद के आदान-प्रदान के समझौते लेमोआ पर हस्ताक्षर किए। दोनों देश एक दूसरे के सैन्य अड्डों का इस्तेमाल रसद, मरम्मत और ईंधन के लिए कर सकेंगे। इस समझौते से देश की सैन्य रणनीतिक ताकत में इजाफा हुआ है। वहीं भविष्य में भारत को अमेरिका से ड्रोन समेत अत्याधुनिक रक्षा तकनीक हासिल करने में मदद मिलेगी।

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देश के भीतर भी बदला रुख

सुरक्षा मामलों के जानकार मानते हैं कि उरी आतंकी हमले के बाद सर्जिकल स्ट्राइक की घटना हमारी रक्षा व आतंरिक सुरक्षा रणनीति में मील का पत्थर है। पाकिस्तान को साफ शब्दों में संदेश दिया गया कि आतंकी घटनाओं और गोलीबारी होने पर अत्याधिक रणनीति प्रतिरोध के बजाए अब आक्रामक जवाब हमारे सुरक्षा बलों का मूलमंत्र बन चुका है। इसका असर सीमा पर ही नहीं देश के अंदर भी नजर आ रहा है। नक्सली व पूर्वोत्तर के उग्रवादियों के खिलाफ सुरक्षा बलों की आक्रामक रणनीति असर दिखा रही है।

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