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Hindi Newsपोकेमोन गो भी टेक्सटिंग जितना ही खतरनाक है: शोध

पोकेमोन गो भी टेक्सटिंग जितना ही खतरनाक है: शोध

एक नए शोध में पता चला है कि रियलिटी गेम पोकेमोन गो खेलने से लोगों को उसी तरह के खतरे हो सकते हैं जिस तरह के टेक्सटिंग के दौरान पेश आते हैं। पोकेमोन गो इसी साल जुलाई में लॉन्च हुआ है। इसमें ग्लोबल...

पोकेमोन गो भी टेक्सटिंग जितना ही खतरनाक है: शोध
एजेंसीThu, 18 Aug 2016 02:14 PM
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एक नए शोध में पता चला है कि रियलिटी गेम पोकेमोन गो खेलने से लोगों को उसी तरह के खतरे हो सकते हैं जिस तरह के टेक्सटिंग के दौरान पेश आते हैं। पोकेमोन गो इसी साल जुलाई में लॉन्च हुआ है। इसमें ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम की मदद से खिलाड़ी पोकेमोन को खोजते हैं, उन्हें पकड़ते हैं, उनसे लड़ते हैं और उन्हें प्रशिक्षण देते हैं। ये पोकेमोन स्क्रीन पर इस तरह नजर आते हैं जैसे वे उसी असल दुनिया में हों जिसमें खिलाड़ी है।

यह गेम दुनियाभर में काफी लोकप्रिय हुआ है और इसे 10 करोड़ से ज्यादा बार डाउनलोड किया जा चुका है। गेम के लॉन्च होने के बाद से ऐसी खबरें आने लगीं कि इसके खिलाड़ी गिर रहे हैं, चीजों से टकरा रहे हैं और यहां तक कि गेम खेलते हुए व्यस्त सड़कों पर पहुंच जा रहे हैं। अमेरिका की टेक्सास ए ऐंड एम यूनिवर्सिटी में शोध विज्ञानी कोनराड अर्नेस्ट ने कहा, मेरे खयाल से पोकेमोन गो के साथ परेशानी यह है कि यह बिलकुल ऐसी दुनिया में ले जाता है जहां व्यक्ति की गति एकदम धीमी हो जाती है और लोग अपने पोकेमोन को पकड़ने के लिए विशेष दिशा में चलने लगते हैं।

बीते साल अर्नेस्ट ने चलते हुए टेक्सटिंग पर शोध किया था। इसमें पाया था कि बिना ध्यान भटकाए राहगीरों के मुकाबले टेक्सटिंग कर रहे और या संज्ञानात्मक रूप भटके राहगीरों की चलने की गति धीमी हो जाती है, वे अड़चनों से पार पाने के लिए ज्यादा और उंचे उंचे डग भरते हैं। अर्नेस्ट ने कहा, इसकी संभावना ज्यादा होती है कि जब क्रासवाक का संकेत साफ तौर पर जाने का नहीं होता है तो खिलाड़ी सड़क पार करें। इसकी ज्यादा संभावना है कि वे क्रासवाक के बजाए मध्य से सड़क पार करें।

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