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काठमांडू में पीड़ितों का जख्म भर रहा शहर का डॉक्टर

नेपाल में भूकंप से जानमाल का भारी नुकसान हुआ है। पीड़ित लोगों के जख्मों पर दवा के साथ ही संवेदना का मरहम लगाने का काम काठमांडू में मुरादाबाद के चिकित्सक डॉ.कार्तिकेय गुप्ता बखूबी कर रहे हैं। भूकंप से...

काठमांडू में पीड़ितों का जख्म भर रहा शहर का डॉक्टर
लाइव हिन्दुस्तान टीमSun, 26 Apr 2015 07:02 PM
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नेपाल में भूकंप से जानमाल का भारी नुकसान हुआ है। पीड़ित लोगों के जख्मों पर दवा के साथ ही संवेदना का मरहम लगाने का काम काठमांडू में मुरादाबाद के चिकित्सक डॉ.कार्तिकेय गुप्ता बखूबी कर रहे हैं। भूकंप से हुई तबाही के बाद वह अब तक आठ सौ से ज्यादा मरीजों का उपचार कर चुके हैं। उनके अस्पताल में मरीजों की तादाद बढ़ती जा रही है।

महानगर में कांठ रोड स्थित गोकुल विहार निवासी डॉ.कार्तिकेय गुप्ता इस समय कांठमांडू के इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिसिन में मनोचिकित्सक पद पर तैनात हैं। कांठमांडू के जिस इलाके में यह हॉस्पिटल स्थित है वहां भूकंप से सबसे ज्यादा नुकसान हुआ है। इसके बाद अस्पताल परिसर में चिकित्सा राहत शिविर खोल दिया गया है। इसकी कमान सीनियर रेजिडेंट डॉक्टर कार्तिकेय को सौंपी गई है। डॉ.कार्तिकेय ने बताया कि अब तक भूकंप में मारे गए चार हजार से ज्यादा लोगों के शव अस्पताल में पहुंचाए जा चुके हैं। बहुत बड़ी तादाद में लोग चोटिल होने के साथ ही मानसिक तौर पर आहत हैं। वह अब तक एक हजार से ज्यादा लोगों का इलाज कर चुके हैं। अस्पताल में मरीजों की भीड़ बढ़ती ही जा रही है। डॉ.कार्तिकेय ने बताया कि शनिवार को जिस समय भूकंप आया वह अपने घर पर नाश्ता कर रहे थे। देखते ही देखते जबरदस्त भगदड़ मच गई। बिल्डिंगें भरभराकर ढहने लगीं। अस्पताल में आपातकालीन स्थिति घोषित कर दी गई। वह नाश्ता बीच में छोड़कर अस्पताल पहुंच गए। डॉ.कार्तिकेय महानगर के चिकित्सक डॉ.राजकमल गुप्ता के बेटे और आर्किटेक्ट विनायक गुप्ता के भाई हैं। डॉ.कार्तिकेय ने बताया कि काठमांडू के अस्पताल में इलाज कराने पहुंचने वाले लोगों में काफी बड़ी तादाद भारतीयों की है।

चोट से भी ज्यादा खतरनाक भूकंप का सदमा
भूकंप के झटकों से जानमाल का भारी नुकसान देखकर लोग सहमे हुए हैं। यह खौफनाक मंजर रह रहकर उनके मन को झकझोर रहा है। डॉ.कार्तिकेय गुप्ता के मुताबिक भूकंप सरीखी प्राकृतिक आपदाओं का सिर्फ सदमा ही चोट से भी खतरनाक है। इससे आहत व्यक्ति का मन पूरी तरह नकारात्मक हो जाता है। अवसाद सरीखी मानसिक बीमारियां उसे अपनी चपेट में ले लेती हैं। यह स्थिति जिन्दगी को सामान्य बनाने में बाधा पैदा करती है। ऐसी दशा में व्यक्ति को मनोवैज्ञानिक परामर्श मिलना बहुत जरूरी है।

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